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औरंगाबादः जेल में बंद कैदी की मौत, परिजनों ने इलाज में लापरवाही का लगाया आरोप - prisoner dies during treatment

औरंगाबाद के दाउदनगर उपकारा में बंद विचाराधीन कैदी की इलाज के दौरान मौत हो गयी. परिजनों ने जेल प्रशासन पर समय से इलाज नहीं मुहैया कराने का आरोप लगाया है.

दाउदनगर उपकारा
दाउदनगर उपकारा
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Published : May 4, 2021, 7:24 PM IST

औरंगाबादः हत्या के मामले में दाउदनगर उपकारा में बंद एक विचाराधीन कैदी की मौत सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी. मृतक कैदी के भाई का आरोप है कि वह कई बीमारियों से ग्रसित था. लेकिन उसके बावजूद उसको इलाज मुहैया नहीं कराया गया. स्थिति गंभीर होने पर उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी.

सही तरीके से नहीं हुआ उपचार
मृतक के भाई जय किशोर सिंह ने बताया कि मेरा भाई हत्या के मामले में जनवरी माह से जेल में बंद था. उसे कई बीमारियां थी लेकिन जेल प्रशासन के द्वारा उपचार सही तरीके से नहीं कराया गया. तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो जेल प्रशासन और डॉक्टर ने आनन-फानन में इलाज के लिए सदर अस्पताल औरंगाबाद रेफर कर दिया.

ये भी पढ़ें- नीतीश पर 'तेज' वार: 'जब गांव-टोला में फैल गया संक्रमण तब दिखावा कर रहे CM'

गौरतलब है कि मृतक कैदी के भाई ने कहा कि यदि समय पर सही तरीके से उपचार हो जाता तो जान बचाई जा सकती थी. वह निर्दोष था लेकिन साजिश के तहत हत्याकांड में फंसाया गया. मौत के कारणों का न्यायिक पदाधिकारियों से जांच करायी जानी चाहिए.

औरंगाबादः हत्या के मामले में दाउदनगर उपकारा में बंद एक विचाराधीन कैदी की मौत सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी. मृतक कैदी के भाई का आरोप है कि वह कई बीमारियों से ग्रसित था. लेकिन उसके बावजूद उसको इलाज मुहैया नहीं कराया गया. स्थिति गंभीर होने पर उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी.

सही तरीके से नहीं हुआ उपचार
मृतक के भाई जय किशोर सिंह ने बताया कि मेरा भाई हत्या के मामले में जनवरी माह से जेल में बंद था. उसे कई बीमारियां थी लेकिन जेल प्रशासन के द्वारा उपचार सही तरीके से नहीं कराया गया. तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो जेल प्रशासन और डॉक्टर ने आनन-फानन में इलाज के लिए सदर अस्पताल औरंगाबाद रेफर कर दिया.

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गौरतलब है कि मृतक कैदी के भाई ने कहा कि यदि समय पर सही तरीके से उपचार हो जाता तो जान बचाई जा सकती थी. वह निर्दोष था लेकिन साजिश के तहत हत्याकांड में फंसाया गया. मौत के कारणों का न्यायिक पदाधिकारियों से जांच करायी जानी चाहिए.

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