औरंगाबाद: शुक्रवार सुबह निर्भया के दोषियों को आखिरकार फांसी दे दी गई. दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर के गृह जिले में फांसी के बाद लोगों में खुशी है. लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे हैं. लोगों का कहना है कि ऐसे आरोप में फांसी ही एकमात्र विकल्प है.
फांसी को लेकर लोगों में खुशी
साल 2012 में हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. जिसके बाद संसद में अध्यादेश लाकर दुष्कर्म के मामले में कठोर सजा के कानून लाए गए. फांसी की सजा पाने वाले इन दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर बिहार के औरंगाबाद के नवीनगर प्रखंड के लहंग करमा गांव का रहने वाला था. जहां निर्भया कांड के बाद औरंगाबाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार करके दिल्ली पुलिस को सौंपा था. तब से लेकर आज तक इस मुकदमे में जिले के लोगों की खासी दिलचस्पी रही और आखिरकार सभी दोषियों को फांसी दे दी गई. ऐसे में लोग फांसी के बाद एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं.
'ऐसे मामलों में फांसी ही एकमात्र विकल्प'
जदयू उपाध्यक्ष विजय कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में फांसी ही एकमात्र विकल्प है. दूसरा कोई अन्य विकल्प नहीं है. हालांकि उन्होंने इस बात पर असंतोष जताया कि मामले को इतना लंबा खींचा गया. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में दोषियों को तत्काल सजा देनी चाहिए.
वहीं, शिक्षाविद राजेश कुमार ने उत्तर प्रदेश के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और पूर्व मंत्री चिन्मयानंद जैसे मामलों में दोषियों की फांसी की मांग की. उन्होंने कहा कि इससे लोगों में कानून के प्रति आस्था बढ़ेगी और अपराधियों में डर व्याप्त होगा.