औरंगाबाद : जिले के देव स्थित राजा जगरनाथ देव किला का विरासत खंडर में तब्दील होने की कगार पर है. ऐतिहासिक, धार्मिक और संस्कृति का प्रतीक यह किला सरकारी उपेक्षा का शिकार है.
खंडहर में तब्दील होने के कगार पर है किला
गौरतलब है कि बिहार के सुप्रसिद्ध और तीर्थ स्थल देव स्थित देश के इकलौते पश्चिमाभिमुख अति प्राचीन सूर्य मंदिर की महिमा चारों ओर है. देव सूर्य नगरी को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के उद्देश्य से हर वर्ष बिहार सरकार का पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन कराती है. लेकिन बिहार सरकार की घोषणा के बाद भी देव किला का विरासत खंडर में तब्दील होने की कगार पर है.
राज्य सरकार नहीं है गंभीर
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है. कई बार देव किला का अधिग्रहण स्थानीय स्तर पर और प्रशासनिक स्तर पर शुरू किया गया था. जिले के पूर्व डीएम कुंदन कुमार के कार्यकाल में अधिग्रहण का कार्य बहुत आगे बढ़ा था. जिसके बाद हम सभी को ऐसा लगा था कि किला का अधिग्रहण होगा. पुरातत्व और राजस्व विभाग को इस दिशा में ठोस पहल करते हुए इस किला का अधिग्रहण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कई बार यहां आए और कहा कि इस किला का अधिग्रहण किया जाएगा. लेकिन वे देव वासियों को छल कर चले गए.
हेरिटेज होटल के रूप में किया जा सकता है विकसित
अगर राज्य सरकार इसका अधिग्रहण करती है तो यह पूरे बिहार के लिए एक अच्छा पर्यटन स्थल हो सकता है. इसके साथ ही इसे हेरिटेज होटल के रूप में भी विकसित किया जा सकता है. इससे राजस्व में वृद्धि होगी. इसके साथ ही यहां के स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिलेगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं औरंगाबाद जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल ने बताया कि इस किला पर निजी स्वामित्व है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस किले के लिए अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है कि, इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. ऐसा प्रस्ताव आने के बाद राज्य सरकार को इस बाबत ज्ञापन सौंपा जाएगा.