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औरंगाबादः गहराता जा रहा है होलिका दहन जमीन विवाद, आठवें दिन भी जारी है धरना - dharna on sdo office in Aurangabad

लोगों की मांग है कि कब्रिस्तान की जो जमीन है, उसे नाप कर निकाल दिया जाए. बाकी बची जमीन पर होलिका दहन कराया जाए.

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धरना
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Published : Feb 29, 2020, 1:05 PM IST

औरंगाबादः दाउदनगर के पुराने शहर का इतिहास लगभग हजार साल पुराना है. यहां एक जमीन पर होलिका दहन की रोक को लेकर प्रशासन और स्थानीय लोगों में विवाद हो गया है. स्थानीय लोगों का दावा है कि इस जमीन पर 4 सौ साल पहले से ही होलिका दहन होता आ रहा है. प्रशासन चाहे तो खनन कराकर देख सकता है.

21 फरवरी से जारी है धरना
जिले के दाउदनगर के पुरानी शहर मोहल्ले में होलिका दहन की जमीन का विवाद गहराता जा रहा है. होलिका दहन स्थल विवाद को लेकर अनुमंडल कार्यालय के समक्ष आठवें दिन भी धरना जारी रहा. जमीन की मांग को लेकर पिछले 21 फरवरी से लगातार 24 घंटे का धरना कार्यक्रम अनुमंडल कार्यालय पर चल रहा है. स्थानीय लोग रात में भी धरना स्थल पर डटे हुए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

होलिका दहन के लिए जमीन की मांग
धरना पर बैठे दीनानाथ राय, लल्लू साधु, अजीत भगत आदि लोगों का कहना है कि उनके पूर्वजों और वह खुद जिस जगह पर लगभग 400 वर्षों से होलिका दहन करते आ रहे थे, उस जगह को सरकार ने पहले तो घेराबंदी की, फिर उस घेराबंदी की जमीन को कब्रिस्तान कमेटी को सुपुर्द कर दिया, जबकि यह जमीन कब्रिस्तान से अलग है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि कब्रिस्तान की जो जमीन है उसे नाप कर निकाल दिया जाए. बाकी बचे जमीन पर होलिका दहन कराई जाए.

Aurangabad
कुमारी अनुपम सिंह, एसडीएम

ये भी पढ़ेंः गया KVK के वैज्ञानिक के प्रयोग से पराली जलाने से मिली निजात, पहले से ज्यादा लहलहायी फसल

हाईकोर्ट में भी गया था मामला
धरना दे रहे लोगों ने बताया कि वे इस मामले को लेकर हाईकोर्ट भी गए थे, जहां से जमीन इस्तेमाल के लिए ऑल रिलिजियस परपस का फैसला आया था. वहीं, इस सम्बंध में एसडीएम कुमारी अनुपम सिंह का कहना है कि धरना पर बैठे लोगों से वार्ता हुई है. जल्द ही कुछ ना कुछ समाधान निकाला जाएगा. हालांकि उन्होंने कब्रिस्तान की नापी कराने की मांग को ठुकरा दिया है और कहा है कि कब्रिस्तान की अलग से कोई नापी नहीं कराई जाएगी. बल्कि होलिका दहन के लिए अलग से जमीन की व्यवस्था की जा सकती है.

Aurangabad
बयान देते स्थानीय बुजुर्ग

कब्रिस्तान से अलग है विवादित जमीन
धरना दे रहे पुराने शहर के वार्ड नंबर 5 के लोगों का कहना है कि जिस स्थल की घेराबंदी कराई गई है, कब्रिस्तान उससे अलग है. पिछले एसडीएम अनीस अख्तर ने घेराबंदी करके पूरी जमीन को कब्रिस्तान में मिला दिया था. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज भी उस जगह पर होलिका दहन करते आ रहे थे.

औरंगाबादः दाउदनगर के पुराने शहर का इतिहास लगभग हजार साल पुराना है. यहां एक जमीन पर होलिका दहन की रोक को लेकर प्रशासन और स्थानीय लोगों में विवाद हो गया है. स्थानीय लोगों का दावा है कि इस जमीन पर 4 सौ साल पहले से ही होलिका दहन होता आ रहा है. प्रशासन चाहे तो खनन कराकर देख सकता है.

21 फरवरी से जारी है धरना
जिले के दाउदनगर के पुरानी शहर मोहल्ले में होलिका दहन की जमीन का विवाद गहराता जा रहा है. होलिका दहन स्थल विवाद को लेकर अनुमंडल कार्यालय के समक्ष आठवें दिन भी धरना जारी रहा. जमीन की मांग को लेकर पिछले 21 फरवरी से लगातार 24 घंटे का धरना कार्यक्रम अनुमंडल कार्यालय पर चल रहा है. स्थानीय लोग रात में भी धरना स्थल पर डटे हुए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

होलिका दहन के लिए जमीन की मांग
धरना पर बैठे दीनानाथ राय, लल्लू साधु, अजीत भगत आदि लोगों का कहना है कि उनके पूर्वजों और वह खुद जिस जगह पर लगभग 400 वर्षों से होलिका दहन करते आ रहे थे, उस जगह को सरकार ने पहले तो घेराबंदी की, फिर उस घेराबंदी की जमीन को कब्रिस्तान कमेटी को सुपुर्द कर दिया, जबकि यह जमीन कब्रिस्तान से अलग है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि कब्रिस्तान की जो जमीन है उसे नाप कर निकाल दिया जाए. बाकी बचे जमीन पर होलिका दहन कराई जाए.

Aurangabad
कुमारी अनुपम सिंह, एसडीएम

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हाईकोर्ट में भी गया था मामला
धरना दे रहे लोगों ने बताया कि वे इस मामले को लेकर हाईकोर्ट भी गए थे, जहां से जमीन इस्तेमाल के लिए ऑल रिलिजियस परपस का फैसला आया था. वहीं, इस सम्बंध में एसडीएम कुमारी अनुपम सिंह का कहना है कि धरना पर बैठे लोगों से वार्ता हुई है. जल्द ही कुछ ना कुछ समाधान निकाला जाएगा. हालांकि उन्होंने कब्रिस्तान की नापी कराने की मांग को ठुकरा दिया है और कहा है कि कब्रिस्तान की अलग से कोई नापी नहीं कराई जाएगी. बल्कि होलिका दहन के लिए अलग से जमीन की व्यवस्था की जा सकती है.

Aurangabad
बयान देते स्थानीय बुजुर्ग

कब्रिस्तान से अलग है विवादित जमीन
धरना दे रहे पुराने शहर के वार्ड नंबर 5 के लोगों का कहना है कि जिस स्थल की घेराबंदी कराई गई है, कब्रिस्तान उससे अलग है. पिछले एसडीएम अनीस अख्तर ने घेराबंदी करके पूरी जमीन को कब्रिस्तान में मिला दिया था. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज भी उस जगह पर होलिका दहन करते आ रहे थे.

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