औरंगाबाद: समान काम, समान वेतन की मांग को लेकर नियोजित शिक्षकों का हड़ताल लगातार सातवें दिन भी जारी रही. हड़ताली शिक्षक अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. जिले के नियोजित शिक्षकों ने सभी प्रखंड कार्यालयों के बाहर मोर्चा खोल रखा है. सोमवार को सैकड़ों शिक्षकों एकजुट होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा के खिलाफ नारेबाजी करते दिखाई दिए.
आक्रोशित शिक्षकों का कहना है कि सरकार तानाशाही कर रही है. लगातार बिहार सरकार की ओर से धमकियां मिल रही हैं. लेकिन, उनकी मांग जायज है इसलिए वे नहीं झुकेंगे. अब तो हाईस्कूल के शिक्षकों ने भी साथ देने की बात कही है. सब एकजुट होकर मांग मनवा कर रहेंगे.
'मांग पूरी होने तक जारी रहेगा हड़ताल'
जानकारी के मुताबिक औरंगाबाद के सभी 11 प्रखंडों पर बीते 17 फरवरी से लगातार धरना-प्रदर्शन जारी है. हड़ताल कर रहे शिक्षकों का दावा है कि जबतक उनकी मांगे नहीं मान ली जाती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगा. सरकार की लापरवाही के कारण ही स्कूलों का काम बाधित हो रहा है. नीतीश कुमार को बच्चों के भविष्य की भी कोई चिंता नहीं है.
सरकार ने 25 फरवरी तक वापस लौटने के दिए निर्देश
बता दें कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने सभी हड़ताली शिक्षकों को 25 फरवरी तक काम पर वापस लौटने को कहा है. विभाग ने ये भी कहा है कि जो शिक्षक 25 फरवरी तक कार्य पर नहीं लौटेंगे, उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा. लेकिन, हड़ताल शिक्षक सुनने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. उनका कहना है कि सरकारी धमकी से वे डरने वाले नहीं हैं.
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क्या है शिक्षकों की मांग?
हड़ताल कर रहे नियोजित शिक्षकों की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
- समान कार्य समान वेतन
- पीएफ फंड जारी किया जाए
- राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए
- अनुकंपा नियुक्ति जैसे प्रावधान मिले