औरंगाबादः कोरोना संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉक डाउन लागू है. लॉक डाउन के कारण गरीब लोगों के सामने भोजन का संकट उत्पन्न हो गया है. हालांकि, इस संकट की घड़ी में हर कोई मदद का हाथ बढ़ा रहा है. जिले के औरंगाबाद में हड़ताली शिक्षक भी गरीबों के बीच राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं.
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति दाउदनगर के हड़ताली शिक्षकों ने प्रखंड के विभिन्न गांवों में जरूरतमंदो के बीच राहत सामाग्री का वितरण किया. समान काम समान वेतन को लेकर हड़ताल पर गए शिक्षक लॉक डाउन में परेशान लोगों की मदद के लिए सेनेटाइजेशन किट और अनाज का वितरण कर रहे हैं.
राहत सामग्री का हुआ वितरण
समन्वय समिति के अध्यक्ष बसंत कुमार ने कहा कि लॉक डाउन में दिहाड़ी मजदूर, गरीब किसान, ड्यूटी कर रहे सिपाही, सफाई कर्मचारी खाने-पीने के सामान जुटाने में असमर्थ हैं. इस संकट की घड़ी में हड़ताली शिक्षक खुद को भूखे रख कर लोगों को चिन्हित कर यथा संभव सहायता कर रहे हैं. आज आवश्यक खाद्य सामग्रियां तैयार कर विभिन्न गांव और कस्बो में जाकर राहत किट का वितरण किया गया है.
पैसे के अभाव में शिक्षकों की मौत
गोपगुट के जिलाध्यक्ष डॉ. मधेश्वर सिंह ने बताया कि शिक्षक देश के प्रति निष्ठावान हैं. शिक्षक हड़ताल पर ‘नो वर्क नो पेमेंट’ पर पिछले डेढ़ माह से हैं. ऊपर से 4 माह से वेतन बकाया है. एक तरफ कोरोना से लोग मर रहे हैं तो दूसरी तरफ शिक्षक बिना वेतन मरने को मजबूर हैं. पिछले डेढ़ माह में 30 से ज्यादा नियोजित शिक्षकों की पैसों के अभाव में समय पर इलाज न कराने की वजह से मौत हो गयी. सरकार इसपर चुप्पी साधे हुए है. शायद वो नियोजित शिक्षकों को इंसान की श्रेणी में नहीं रखती है.
संकट की घड़ी में वार्ता करे सरकार
शिक्षकों ने कहा कि जागरूकता फैलाने से लेकर राहत कार्य में भी सबसे आगे हैं. इस विपदा की घड़ी में सरकार को शिक्षकों से वार्ता करना चाहिए पर सरकार शिक्षकों को मरने के लिए छोड़ दी है. परंतु शिक्षक असहायों को उनके हालत पर नहीं छोड़ सकते. गोप गुट के जिला सचिव गोपाल प्रसाद ने कहा कि जब सभी राज्यों में विधायको सांसदों का 30% वेतन कटौती हो रहा है तो बिहार सरकार सिर्फ 15% कटौती कर रही है.