भोजपुर: श्रीनगर में हुई आतंकवादियों और सीआरपीएफ जवानों की मुठभेड़ में आरा के रहने वाले जवान रमेश रंजन शहीद हो गए हैं. रमेश की शहादत की खबर सुनते ही पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है. वहीं, मां का रो-रोकर बुरा हाल है.
शहीद जवान रमेश का घर भोजपुर के जगदीशपुर इलाके के इसाढ़ी देवटोला गांव में है. पिता राधामोहन सिंह की पांच संतानों में सबसे छोटे बेटे रमेश ने 2011 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी. देशभक्ति से लबरेज रमेश की पहली पोस्टिंग संभलपुर ओडिशा में हुई थी. रमेश की शादी दो साल पहले हुई थी. बुधवार को आतंकियों से हुए एनकाउंटर में जहां तीनों आतंकवादी मार गिराए गए. वहीं, रमेश ने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.
श्रीनगर को गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद से जोड़ने वाले श्रीनगर-बारामुला हाईवे पर लावेपोरा नारबल नाके पर स्कूटी से आए तीन आतंकवादियों ने अचानक सीआरपीएफ जवानों पर हमला बोल दिया. सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन के सतर्क जवान भी तुरंत हरकत में आते हुए भाग रहे आतंकवादियों को मार गिराया. इस मुठभेड़ में भोजपुर के आरा के रहने वाले सीआरपीफ कांस्टेबल जीडी रमेश रंजन शहीद हो गए.
CM नीतीश ने जतायी गहरी शोक संवेदना, कहा- शहीद रमेश रंजन को देश हमेशा रखेगा याद
गोद हो गई सूनी- मां
परिवार वालो को जैसे ही बेटे के शहीद होने की खबर मिली, परिवार समेत पूरे गांव में मातमी सन्नाटा फैल गया. देश की सेवा में प्राण न्यौछावर करने वाले रमेश रंजन के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. शहीद की मां का कहना है कि मेरी गोद सूनी हो गई. वो रोते-रोते गश खाकर गिर जा रही हैं.
'मिटा दिया जाए आतंकियों का नामो-निशान'
वहीं, शहीद जवान के पिता राधामोहन सिंह ने बताया कि करीब एक माह पहले उनका बेटा छुट्टी में घर आया था. इसके बाद वो जम्मू-कश्मीर ड्यूटी पर चला गया. अपने शहीद बेटे पर गर्व है. शहीद के पिता ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि श्रीनगर में ऐसा काम किया जाए कि आतंकियों का नामो-निशान जड़ से मिट जाए और हमारे बेटे की तरह कोई और का बेटा शहीद न हो.