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भोजपुर: लॉकडाउन में कुम्हार समुदाय परेशान, खरीदार नहीं मिलने से भूखमरी की स्थिती

प्रतिदिन 200 से 400 रुपए कमाने वाले कुम्हार समुदाय के लोग आजकल 50 रुपये की भी कमाई नहीं कर पाते हैं. घड़े और लबनी बनाकर ये कुम्हार लोगों की राह जोह रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई खरीदार इन्हें नहीं मिल रहा है.

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Published : May 14, 2020, 6:56 PM IST

भोजपुर: लॉकडाउन के कारण कई लोगों की रोजी रोटी छिन गई है. इस संक्रमण काल में कुम्हार समुदाय के लोग भी भारी परेशानी झेल रहें हैं. गर्मी के मौसम में लोगों द्वारा खरीदे जाने वाला मिट्टी के घड़ों के खरीदार नहीं मिलने से इनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

बता दें कि जिले के गरीब कुम्हारों की स्थिति पहले से ही ठीक नहीं है. ऐसे में लगातार बढ़ रहे लॉकडाउन ने इनकी परेशानी और बढ़ा दी है. कुम्हार के चाक की रफ्तार भी लॉकडाउन में धीमी पड़ गई है. प्रतिदिन 200 से 400 रुपए कमाने वाले कुम्हार समुदाय के लोग आजकल 50 रुपये की भी कमाई नहीं कर पाते हैं. घड़े और लबनी बनाकर ये कुम्हार लोगों की राह जोह रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

लॉकडाउन से परेशान कुम्हार
लॉकडाउन से परेशान कुम्हार

सरकार से मदद की गुहार
कुम्हार दुखन बताते हैं जब से लॉकडाउन शुरु हुआ है उनके घर में खाने के लाले पड़ गए हैं. वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिलती है. जिससे वह काफी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि हम मिट्टी, गोइठा और पुआल आदि खरीद कर मिट्टी के बर्तन तैयार करते हैं. लेकिन इन बर्तनों को खरीदने वाले कोई भी नहीं हैं. इससे हमारे पैसों के साथ-साथ मेहनत पर भी पानी फिरने लगा है. कुम्हार समुदाय के लोगों ने इस परिस्थिती से उबारने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

भोजपुर: लॉकडाउन के कारण कई लोगों की रोजी रोटी छिन गई है. इस संक्रमण काल में कुम्हार समुदाय के लोग भी भारी परेशानी झेल रहें हैं. गर्मी के मौसम में लोगों द्वारा खरीदे जाने वाला मिट्टी के घड़ों के खरीदार नहीं मिलने से इनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

बता दें कि जिले के गरीब कुम्हारों की स्थिति पहले से ही ठीक नहीं है. ऐसे में लगातार बढ़ रहे लॉकडाउन ने इनकी परेशानी और बढ़ा दी है. कुम्हार के चाक की रफ्तार भी लॉकडाउन में धीमी पड़ गई है. प्रतिदिन 200 से 400 रुपए कमाने वाले कुम्हार समुदाय के लोग आजकल 50 रुपये की भी कमाई नहीं कर पाते हैं. घड़े और लबनी बनाकर ये कुम्हार लोगों की राह जोह रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

लॉकडाउन से परेशान कुम्हार
लॉकडाउन से परेशान कुम्हार

सरकार से मदद की गुहार
कुम्हार दुखन बताते हैं जब से लॉकडाउन शुरु हुआ है उनके घर में खाने के लाले पड़ गए हैं. वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिलती है. जिससे वह काफी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि हम मिट्टी, गोइठा और पुआल आदि खरीद कर मिट्टी के बर्तन तैयार करते हैं. लेकिन इन बर्तनों को खरीदने वाले कोई भी नहीं हैं. इससे हमारे पैसों के साथ-साथ मेहनत पर भी पानी फिरने लगा है. कुम्हार समुदाय के लोगों ने इस परिस्थिती से उबारने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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