भोजपुर: कोरोना को लेकर जब देश में लॉकडाउन की घोषणा हुई तो इस दौरान प्रकृति में बहुत बदलाव देखने को मिलें. या यूं कहें कि पूरा मंजर ही बदल गया. सुबह के समय जगने के लिए आलार्म की जरूरत नहीं पड़ती थी, पक्षियों की चहचहाट से ही नींद खुल जाती थी. जिनकी आवाज शायद हम कभी भूल चुके थे. इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वायरस ने लाखों जिंदगियां लील लीं. लेकिन इसका सकारात्मक पहलू भी निकलकर सामने आया, जो हमें प्रकृति में साफ तौर से दिखा.
कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान तमाम फैक्ट्रियों सहित यातायात के साधनों पर रोक लगा दी गईं थी. इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था को भारी धक्का जरूर लगा. लाखों लोग बेरोजगार भी हुए. लेकिन इन सब में अच्छी बात ये रही कि कार्बन उत्सर्जन रुक गया. पिछले साल की तुलना में इस साल प्रदूषण की प्रतिशत में भी कमी आई है. लेकिन प्रकृति की ये खूबसूरती ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं.
दूषित हुआ वातावरण
लॉकडाउन के समाप्त होते ही कल-कारखाने खोल दिए गए हैं. सड़कों पर वाहनों का हूजूम उमड़ पड़ा और वातावरण एक बार फिर से दूषित होने लगा. ऐसा ही कुछ मंजर भोजपुर के गीधा औद्योगिक क्षेत्र से सामने आ रहा है. जिले की सभी फैक्ट्रियों को खोल दिया गया है. अब आलम ये है कि हर तरफ बदबू, प्रदूषित जल, धूल और धुंए का अंबार लग गया है. यही नहीं हजारों वाहनों की कतार सड़कों पर धुंआ छोड़ते बड़े आराम से घूम रही हैं.
लोगों को हो रही परेशानी
इस क्षेत्र में एक बार फिर से टीबी, पेट की बीमारी, आंख की बीमारी, त्वचा रोग सहित अन्य प्रदूषण जनित बीमारियां पनपने लगी हैं. लोग फिर से प्रदूषित वातावरण में रहने को मजबूर हो गए हैं. लॉकडाउन के खत्म होने के साथ ही नरकीय जीवन की शुरुआत हो चुकी है. लोगों की माने को इलाकें में फैली गंदगी के कारण यहां रहना दुश्वार हो गया है. दिन-रात बदबू आती रहती है. फैक्ट्रियों से निकलते धुएं उन्हें परेशान करते हैं. उनका कहना है कि जब सरकार नई नीतियों का निर्माण कर रही है तो उसे वाहनों और उद्योगों के संचालन की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे प्रदूषण से सदा-सदा के लिए मुक्ति मिल जाये.
200 के पास पहुंचा AQI
वहीं, डॉक्टर की मानें तो लॉकडाउन में एक्यूआई 100 के आस पास थी. जबकि अब जब लॉकडाउन खत्म हो गया है को एक्यूआई 180 से 200 के बीच पहुंच गया है. ये हमें बीमार करने के लिए काफी है. बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि जिले में लगातार बढ़ रही प्रदूषण पर प्रशासन की तरफ से कब तक नियंत्रण पाया जाता है.