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भोजपुर: नियोजित शिक्षकों की हड़ताल 8 वें दिन भी जारी, लटके रहे स्कूलों में ताले

अध्यक्ष मंडल के सदस्य ने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ शुरू से ही भेदभाव करती आ रही है. सामान काम के लिए सामान वेतन का प्रावधान होने के बावजूद सरकार ने इस मामले को कानूनी दांवपेंच में फंसाकर अपना पल्ला झाड लिया. हालात यह है कि चपरासी से भी कम वेतन पर काम करने वाले शिक्षकों को मामूली वेतन भी नहीं मिल पा रहा है.

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शिक्षकों की हड़ताल
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Published : Feb 24, 2020, 10:57 PM IST

भोजपुर: नियोजित शिक्षकों की हड़ताल के आठवें दिन शहीद स्टेडियम पीरो में कई शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल हुए. शिक्षकों की हड़ताल के कारण ज्यादातर विद्यालयों में ताले लटक गए हैं. वहीं, अन्य शिक्षकों के हड़ताल पर रहने से पठन पाठन लगभग ठप है. हड़ताल के कारण विद्यालयों में छात्र छात्राओं की उपस्थिति भी प्रभावित है. हड़ताली शिक्षकों ने हड़ताल को पूर्णतः सफल बताया है.

'कानूनी दांवपेंच में फंसाकर झाड़ा पल्ला'
अध्यक्ष मंडल के सदस्य ने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ शुरू से ही भेदभाव करती आ रही है. सामान काम के लिए सामान वेतन का प्रावधान होने के बावजूद सरकार ने इस मामले को कानूनी दांवपेंच में फंसाकर अपना पल्ला झाड़ लिया. चपरासी से भी कम वेतन पर काम करने वाले शिक्षकों को मामूली वेतन भी नहीं मिल पा रहा है. जबकि शिक्षकों से तमाम तरह के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

'तीन सालों से बनाया जा रहा मूर्ख'
अध्यक्ष मंडल के सदस्य ने कहा कि सेवा शर्त के मामले में शिक्षकों को पिछले तीन सालों से मूर्ख बनाया जा रहा है. सरकार की शिक्षक विरोधी यह नीति अब बर्दाश्त से बाहर हो गई है. ऐसे में बाध्य होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया गया है. इस पर सरकार शिक्षकों पर कार्रवाई की धमकी देकर उन्हें डराने का प्रयास कर रही है. लेकिन शिक्षक सरकार की धमकी से डरने वाले नहीं हैं. समन्वय समिति ने यह तय कर लिया है कि परिणाम चाहे जो हो मांग जब तक पूरी नही होती हड़ताल जारी रहेगी.

भोजपुर: नियोजित शिक्षकों की हड़ताल के आठवें दिन शहीद स्टेडियम पीरो में कई शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल हुए. शिक्षकों की हड़ताल के कारण ज्यादातर विद्यालयों में ताले लटक गए हैं. वहीं, अन्य शिक्षकों के हड़ताल पर रहने से पठन पाठन लगभग ठप है. हड़ताल के कारण विद्यालयों में छात्र छात्राओं की उपस्थिति भी प्रभावित है. हड़ताली शिक्षकों ने हड़ताल को पूर्णतः सफल बताया है.

'कानूनी दांवपेंच में फंसाकर झाड़ा पल्ला'
अध्यक्ष मंडल के सदस्य ने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ शुरू से ही भेदभाव करती आ रही है. सामान काम के लिए सामान वेतन का प्रावधान होने के बावजूद सरकार ने इस मामले को कानूनी दांवपेंच में फंसाकर अपना पल्ला झाड़ लिया. चपरासी से भी कम वेतन पर काम करने वाले शिक्षकों को मामूली वेतन भी नहीं मिल पा रहा है. जबकि शिक्षकों से तमाम तरह के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कार्य कराये जा रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

'तीन सालों से बनाया जा रहा मूर्ख'
अध्यक्ष मंडल के सदस्य ने कहा कि सेवा शर्त के मामले में शिक्षकों को पिछले तीन सालों से मूर्ख बनाया जा रहा है. सरकार की शिक्षक विरोधी यह नीति अब बर्दाश्त से बाहर हो गई है. ऐसे में बाध्य होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया गया है. इस पर सरकार शिक्षकों पर कार्रवाई की धमकी देकर उन्हें डराने का प्रयास कर रही है. लेकिन शिक्षक सरकार की धमकी से डरने वाले नहीं हैं. समन्वय समिति ने यह तय कर लिया है कि परिणाम चाहे जो हो मांग जब तक पूरी नही होती हड़ताल जारी रहेगी.

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