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बालू के अवैध खनन से अब्दुलबारी पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म क्षतिग्रस्त - bhojpur news

प्रतिदिन लगभग सैकड़ों नाव सोन नदी में पुल के इर्द गिर्द सरकार की मशीनरी को चुनौती देते हुए प्रतिबन्धित क्षेत्र में बालू का अवैध उत्खनन कर रहे हैं. जिससे पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म टुकड़ों में बिखर गया है.

बालू के अवैध उत्खनन से अब्दुलबारी पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म क्षतिग्रस्त
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Published : Oct 22, 2019, 2:17 PM IST

भोजपुर: जिले के प्रवेश द्वार और आरा को राजधानी से जोड़ने वाले कोईलवर सोन नदी पर स्थित अब्दुलबारी पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म टूट गया है. जिससे इसपर खतरा मंडरा रहा है. बालू की अंधाधुंध कटाई ने 156 साल पुराने पुल की नींव को हिला रख दिया है.

बालू का अवैध उत्खनन
प्रतिदिन लगभग सैकड़ों नाव सोन नदी में पुल के इर्द गिर्द सरकार की मशीनरी को चुनौती देते हुए प्रतिबन्धित क्षेत्र में बालू का अवैध उत्खनन कर रहे है. जिससे पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म टुकड़ों में बिखर गया है. प्लेटफॉर्म के नीचे कई फुट तक की खुदाई से खतरे की घंटी बज रही है.

बालू के अवैध उत्खनन से अब्दुलबारी पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म क्षतिग्रस्त

सभी पिलरों का प्लेटफॉर्म क्षतिग्रस्त
पटना-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग की लगभग 200 यात्री ट्रेनें यहां से हर दिन गुजरती हैं. हर दिन करीब पांच लाख लोग पुल से सफर करते हैं. स्थानीयों ने बताया कि बालू माफियाओं की सक्रियता और प्रशासन की निष्क्रियता यहां 10 फीट से अधिक गड्ढे हो गए हैं. पुल के 28 पिलरों में से किसी का प्लेटफॉर्म व्यवस्थित नहीं है. कुछ तो इतने क्षतिग्रस्त हो गये हैं की जमीन के तल में गड़े पिलर स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं.

bhojpur
कोईलवर सोन नदी

भोजपुर: जिले के प्रवेश द्वार और आरा को राजधानी से जोड़ने वाले कोईलवर सोन नदी पर स्थित अब्दुलबारी पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म टूट गया है. जिससे इसपर खतरा मंडरा रहा है. बालू की अंधाधुंध कटाई ने 156 साल पुराने पुल की नींव को हिला रख दिया है.

बालू का अवैध उत्खनन
प्रतिदिन लगभग सैकड़ों नाव सोन नदी में पुल के इर्द गिर्द सरकार की मशीनरी को चुनौती देते हुए प्रतिबन्धित क्षेत्र में बालू का अवैध उत्खनन कर रहे है. जिससे पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म टुकड़ों में बिखर गया है. प्लेटफॉर्म के नीचे कई फुट तक की खुदाई से खतरे की घंटी बज रही है.

बालू के अवैध उत्खनन से अब्दुलबारी पुल के पिलर का प्लेटफॉर्म क्षतिग्रस्त

सभी पिलरों का प्लेटफॉर्म क्षतिग्रस्त
पटना-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग की लगभग 200 यात्री ट्रेनें यहां से हर दिन गुजरती हैं. हर दिन करीब पांच लाख लोग पुल से सफर करते हैं. स्थानीयों ने बताया कि बालू माफियाओं की सक्रियता और प्रशासन की निष्क्रियता यहां 10 फीट से अधिक गड्ढे हो गए हैं. पुल के 28 पिलरों में से किसी का प्लेटफॉर्म व्यवस्थित नहीं है. कुछ तो इतने क्षतिग्रस्त हो गये हैं की जमीन के तल में गड़े पिलर स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं.

bhojpur
कोईलवर सोन नदी
Intro:भोजपुर
पुल के खंभे के समीप नावों से बालू की अवैध उत्खनन व प्रेषण से 156 साल पुराने पुल की नींव को हिला रख दिया है. प्रतिदिन लगभग सैकड़ो नाव सोन नदी में पुल के इर्द गिर्द सरकार की मशीनरी को चुनौती देते हुए प्रतिबन्धित क्षेत्र में बालू का अवैध उत्खनन कर रहे है.जिससे पुल के पिलर का प्लेटफाॅर्म (चबूतरा) टुकड़ों में बिखर गया है. प्लेटफॉर्म के नीचे करीब कई फुट तक खुदाई ने खतरे की घंटी बजा दी है. आशंका है कि सोन नदी की तेज धार कहीं कोइलवर पुल के पिलर के नीचे की जमीन ही न खिसका दे.Body:भोजपुर का प्रवेश द्वार और आरा को राजधानी से जोड़ने वाला कोईलवर सोन नदी पर स्थित अब्दुलबारी पुल लाइफलाइन है. लेकिन बालू की अंधाधुंध कटाई से 156 साल पुराने रेल सह सड़क पुल पर खतरा मंडराने लगा है. पटना-दिल्ली मुख्य रेल मार्ग से लगभग 200 यात्री ट्रेनें हर दिन गुजरती हैं. वहीं पुल के निचले भाग एनएच 30 से हजारों वाहन आते-जाते हैं. हर दिन करीब पांच लाख लोग पुल से सफर करते हैं. लोगों की मानें तो बालू माफियाओं की सक्रियता व प्रशासन की निष्क्रियता ने इस पुल की सुरक्षा पर संकट खड़ा कर दिया है. जिस कोइलवर पुल के प्लेटफॉर्म तक बालू की रेत उभरी रहती थी, वहां लगभग 10 फीट से अधिक गड्ढे होने के कारण प्लेटफॉर्म की ईंटे जीर्ण शीर्ण हो गयी हैं. इससे साफ है कि सरकारी मशीनरी गंभीर नहीं है जिसमे रेल प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक के बीच समन्वय की कमी दिखती है. पुल के 28 पिलरों में से किसी का प्लेटफाॅर्म व्यवस्थित नहीं है. कुछ प्लेटफॉर्म तो इतने क्षतिग्रस्त हो गये हैं कि जमीन के तल में गड़े पिलर स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले प्लेटफॉर्म का केवल ऊपरी हिस्सा दिखता था. लेकिम बालू माफियाओं ने सोन नदी के भूगर्भ को दस से पंद्रह फीट खोद दिया. जिससे आसपास की जमीन खाली होने से प्लेटफॉर्म दरकने लगा. जिसके बाद पानी कम होने से चार से पांच पिलर के बीच नदी बन गयी है. मालूूूम हो कि दानापुर रेल मंडल ने पुल के अपस्ट्रीम में दो सौ मीटर व पुल के डाउन स्ट्रीम में सौ मीटर तक खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है. Conclusion:स्थापत्य कला का अद्‍भुत नमूना है कोईलवर पुल

अंग्रेजी हुकूमत की स्थापत्य कला व प्राचीन समय की इंजीनियरिंग का अद्‍भुत नमूना है. 1440 मीटर लंबे दो मंजिले रेल सह सड़क पुल का निर्माण लैटिक गडर तकनीक से हुआ है. इसमें कंक्रीट व स्टील का प्रयोग हुआ है. पुल का दक्षिणी लेन 4़ 12 मीटर चौड़ा व उत्तरी लेन 3़ 03 मीटर चौड़ा है. इसमें लगभग 5683 टन लोहा इस्तेमाल हुआ. 1862 में इस पुल का निर्माण काम पूरा हुआ था. ऐतिहासिक पुल में रेल का परिचालन ऊपर से व वाहनों का परिचालन नीचे से होता है. बाद में आजादी के बाद पुल का नामकरण कोइलवर निवासी प्रखर स्वतंत्रता सेनानी व मजदूर नेता अब्दुल बारी के नाम पर हुआ. जिसे संजो की रखने की जरूरत है. लेकिन बालू माफिया पुल के खम्भो के समीप अवैध उत्खनन कर इसे बर्बाद करने पर तुले है. इस संदर्भ में जिला सहायक खनन पदाधिकारी ने बताया कि सूचना मिली थी कि सोन नदी में नावों से अवैध उत्खनन किया जा रहा. सूचना मिलते ही त्वरित करवाई करते हुए सोन नदी में छापेमारी की गई. इस दौरान 4 नाव व चार मजदूर को अवैध उत्खनन के मामले में पकड़ा गया है. वही आरा पटना नेशनल हाइवे पर बालू ओवर लोड वाहनों की धड़ पकड़ की गई. जिसमें 15 ओवरलोड वाहन को जब्त किया गया है. आगे भी नदी में और सड़क पर छपेमारी अभियान जारी रहेगा.

बाइट :- स्थानीय ग्रामीण
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