भोजपुर: एक ओर जहां सरकार किसानों के उत्थान के लिए नित नई-नई योजनाओं की घोषणा करती रहती है. वहीं, दूसरी तरफ यह योजनाएं कभी-कभी किसानों के लिए गर्दन की फांसी भी बन जाती है. जी, कुछ ऐसा ही नजारा भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के आयर गांव का है.
इस गांव में बिहार ग्रामीण बैंक की ओर से किसानों को बगैर सूचना दिए एक बड़ी राशि काट ली गई है. अचानक रुपये कट जाने के बाद किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. हालांकि इस बात को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. जबकि बैंक अधिकारी इसे बैंक के एक विशेषाधिकार के तहत की गई कार्यवाही बता रहे हैं.
क्या है मामला?
दरअसल, आयर निवासी अनिल कुमार की मानें तो मिलेनियम शैलो ट्यूबवेल योजना(एमएसटीपी) के तहत बिहार ग्रामीण बैंक के किसानों को खेत मे बोरिंग लगवाने के लिए 50000 रुपये स्वीकृत किये गए थे. जिसमें दस फीसदी राशि किसानों को अदा करनी थी. शेष 45000 में 22,500 रुपया सब्सिडी था. किसानों की माने तो पटवन को लेकर बैंक से बोरिंग कराने के लिए राशि ली गयी थी. जिसके किस्त का निर्धारित समय पर भुगतान किया जाना था. जब किसान अपने जानकारी के मुताबिक निर्धारित समय पर बैंक में रुपये जमा करने गए तब बैंककर्मियों की ओर से उन्हें यह कहा गया कि किस्त अभी नहीं बल्कि तीन साल बाद जमा लिया जाएगा. हालांकि कुछ किसानों ने एलआरओ को यह भी कहा था कि सब्सिडी छोड़कर आप मेरे अन्य राशि को जमा कर लीजिये. लेकिन, बैंक ने ऐसा नहीं किया.
बगैर सूचना कटे रुपये
जब किसान गेंहू कटनी के सीजन में हार्वेस्टर का भुगतान करने के लिए अपना पैसा निकालने ग्रामीण बैंक पहुंचे तब उन्हें मालूम हुआ कि उनके अकाउंट से पैसे कटे हैं. बैंक अधिकारी ने उन्हें जानकारी दी कि एकाउंट से 63,343 रुपये निकल गए हैं. इस जानकारी के बाद वह परेशान हैं. बता दें कि ऐसा केवल एक किसान के साथ नहीं बल्कि दर्जनभर किसानों के साथ यह घटना हुई है.
क्या कहते हैं बैंक अधिकारी?
इस बाबत बैंक अधिकारी का कहना है कि बैंक से किसानों ने लोन लिया था. जिसकी एक किस्त भी इनलोगों ने जमा नहीं की. फलस्वरुप बैंक ने अपने एक विशेषाधिकार के तहत कर्ज को बैंक एकाउंट से काट लिया.