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बैंक की कार्यवाही: बैंक अकाउंट से अचानक रुपये काटे, किसानों में आक्रोश - bank proceedings

बैंक अधिकारी का कहना है कि बैंक से किसानों ने लोन लिया था. जिसकी एक किस्त भी इनलोगों ने जमा नहीं की. फलस्वरुप बैंक ने अपने एक विशेषाधिकार के तहत कर्ज को बैंक एकाउंट से काट लिया.

बैंक पहुंचे किसान
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Published : May 8, 2019, 5:21 AM IST

भोजपुर: एक ओर जहां सरकार किसानों के उत्थान के लिए नित नई-नई योजनाओं की घोषणा करती रहती है. वहीं, दूसरी तरफ यह योजनाएं कभी-कभी किसानों के लिए गर्दन की फांसी भी बन जाती है. जी, कुछ ऐसा ही नजारा भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के आयर गांव का है.

इस गांव में बिहार ग्रामीण बैंक की ओर से किसानों को बगैर सूचना दिए एक बड़ी राशि काट ली गई है. अचानक रुपये कट जाने के बाद किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. हालांकि इस बात को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. जबकि बैंक अधिकारी इसे बैंक के एक विशेषाधिकार के तहत की गई कार्यवाही बता रहे हैं.

पैसे कटने से परेशान किसान

क्या है मामला?
दरअसल, आयर निवासी अनिल कुमार की मानें तो मिलेनियम शैलो ट्यूबवेल योजना(एमएसटीपी) के तहत बिहार ग्रामीण बैंक के किसानों को खेत मे बोरिंग लगवाने के लिए 50000 रुपये स्वीकृत किये गए थे. जिसमें दस फीसदी राशि किसानों को अदा करनी थी. शेष 45000 में 22,500 रुपया सब्सिडी था. किसानों की माने तो पटवन को लेकर बैंक से बोरिंग कराने के लिए राशि ली गयी थी. जिसके किस्त का निर्धारित समय पर भुगतान किया जाना था. जब किसान अपने जानकारी के मुताबिक निर्धारित समय पर बैंक में रुपये जमा करने गए तब बैंककर्मियों की ओर से उन्हें यह कहा गया कि किस्त अभी नहीं बल्कि तीन साल बाद जमा लिया जाएगा. हालांकि कुछ किसानों ने एलआरओ को यह भी कहा था कि सब्सिडी छोड़कर आप मेरे अन्य राशि को जमा कर लीजिये. लेकिन, बैंक ने ऐसा नहीं किया.

बगैर सूचना कटे रुपये
जब किसान गेंहू कटनी के सीजन में हार्वेस्टर का भुगतान करने के लिए अपना पैसा निकालने ग्रामीण बैंक पहुंचे तब उन्हें मालूम हुआ कि उनके अकाउंट से पैसे कटे हैं. बैंक अधिकारी ने उन्हें जानकारी दी कि एकाउंट से 63,343 रुपये निकल गए हैं. इस जानकारी के बाद वह परेशान हैं. बता दें कि ऐसा केवल एक किसान के साथ नहीं बल्कि दर्जनभर किसानों के साथ यह घटना हुई है.

क्या कहते हैं बैंक अधिकारी?
इस बाबत बैंक अधिकारी का कहना है कि बैंक से किसानों ने लोन लिया था. जिसकी एक किस्त भी इनलोगों ने जमा नहीं की. फलस्वरुप बैंक ने अपने एक विशेषाधिकार के तहत कर्ज को बैंक एकाउंट से काट लिया.

भोजपुर: एक ओर जहां सरकार किसानों के उत्थान के लिए नित नई-नई योजनाओं की घोषणा करती रहती है. वहीं, दूसरी तरफ यह योजनाएं कभी-कभी किसानों के लिए गर्दन की फांसी भी बन जाती है. जी, कुछ ऐसा ही नजारा भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के आयर गांव का है.

इस गांव में बिहार ग्रामीण बैंक की ओर से किसानों को बगैर सूचना दिए एक बड़ी राशि काट ली गई है. अचानक रुपये कट जाने के बाद किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. हालांकि इस बात को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. जबकि बैंक अधिकारी इसे बैंक के एक विशेषाधिकार के तहत की गई कार्यवाही बता रहे हैं.

पैसे कटने से परेशान किसान

क्या है मामला?
दरअसल, आयर निवासी अनिल कुमार की मानें तो मिलेनियम शैलो ट्यूबवेल योजना(एमएसटीपी) के तहत बिहार ग्रामीण बैंक के किसानों को खेत मे बोरिंग लगवाने के लिए 50000 रुपये स्वीकृत किये गए थे. जिसमें दस फीसदी राशि किसानों को अदा करनी थी. शेष 45000 में 22,500 रुपया सब्सिडी था. किसानों की माने तो पटवन को लेकर बैंक से बोरिंग कराने के लिए राशि ली गयी थी. जिसके किस्त का निर्धारित समय पर भुगतान किया जाना था. जब किसान अपने जानकारी के मुताबिक निर्धारित समय पर बैंक में रुपये जमा करने गए तब बैंककर्मियों की ओर से उन्हें यह कहा गया कि किस्त अभी नहीं बल्कि तीन साल बाद जमा लिया जाएगा. हालांकि कुछ किसानों ने एलआरओ को यह भी कहा था कि सब्सिडी छोड़कर आप मेरे अन्य राशि को जमा कर लीजिये. लेकिन, बैंक ने ऐसा नहीं किया.

बगैर सूचना कटे रुपये
जब किसान गेंहू कटनी के सीजन में हार्वेस्टर का भुगतान करने के लिए अपना पैसा निकालने ग्रामीण बैंक पहुंचे तब उन्हें मालूम हुआ कि उनके अकाउंट से पैसे कटे हैं. बैंक अधिकारी ने उन्हें जानकारी दी कि एकाउंट से 63,343 रुपये निकल गए हैं. इस जानकारी के बाद वह परेशान हैं. बता दें कि ऐसा केवल एक किसान के साथ नहीं बल्कि दर्जनभर किसानों के साथ यह घटना हुई है.

क्या कहते हैं बैंक अधिकारी?
इस बाबत बैंक अधिकारी का कहना है कि बैंक से किसानों ने लोन लिया था. जिसकी एक किस्त भी इनलोगों ने जमा नहीं की. फलस्वरुप बैंक ने अपने एक विशेषाधिकार के तहत कर्ज को बैंक एकाउंट से काट लिया.

Intro:जहां एक ओर सरकार किसानों के उत्थान के लिए नित नई नई योजनाओं की घोषणा करती रहती है वहीं दूसरे तरफ योजनाएं किसानों के लिए गर्दन की फांस भी बन जाती है। जी हां कुछ ऐसा ही नजारा भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के आयर गांव की है जहां बिहार ग्रामीण बैंक के द्वारा किसानों के खाते से किसानों को बगैर सूचना दिए एक बड़ी राशि निकाल लिए जाने के बाद किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। हालांकि इस बात को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है जबकि बैंक अधिकारी इसे बैंक के एक विशेषाधिकार के द्वारा किया गया कार्यवाही बता रहे हैं।


Body:क्या है मामला- दरअसल आयर निवासी अनिल कुमार की माने तो मिलेनियम शैलो ट्यूबवेल योजना(एमएसटीपी) के तहत बिहार ग्रामीण बैंक के किसानों को खेत मे बोरिंग लगवाने के लिए 50000 रुपये स्वीकृत किये गए थे जिसमें दस फीसदी राशि किसानों को अदा करना था और शेष 45000 में 22,500 रुपया सब्सिडी था।किसानों की माने तो पटवन को लेकर बैंक से बोरिंग कराने के लिए राशि ली गयी थी जिसके क़िस्त का निर्धारित समय पर भुगतान किया जाना था।जब किसान अपने जानकारी के मुताबिक निर्धारित समय पर जमा करने गए तब बैंक के कर्मियों के द्वारा यह कहा गया कि क़िस्त अभी नही बल्कि तीन साल बाद जमा लिया जाएगा।हालांकि कुछ किसानों ने जब एलआरओ को यह भी कहा था कि सब्सिडी छोड़कर आप मेरे अन्य राशि को जमा कर लीजिये लेकिन बैंक के द्वारा ऐसा कुछ नही किया गया जिससे किसानों में नाराजगी देखी गयी।
बाइट-अनिल सिंह,किसान, आयर


Conclusion:हद तो तब हो गयी जब किसान गेंहुकटनी के सीजन में हार्वेस्टर का भुगतान करने के लिए अपना पैसा निकालने वे ग्रामीण बैंक पहुँचे।फिर बैंक अधिकारी ने उन्हें जो जानकारी दिया कि आज आपके एकाउंट से 63,343 रुपये निकल गए हैं।यह जानकारी मिलते ही किसान अनिल सिंह के पैरों के नीचे से मानो जमीन खिसक गई।इसके बाद लगातार विनोद कुमार सिंह,विनोद कुमार सिंह, फुलगेंदा देवी,आमोद कुमार सिंह सहित दर्जनभर किसान हैं जिनके साथ यह घटना घटी है।
बाइट-फुलगेंदा देवी
बाइट-उमाशंकर सिंह

क्या कहते हैं बैंक अधिकारी- इस बावत बैंक अधिकारी का कहना है कि बैंक से किसानों ने लोन लिया था जिसकी एक क़िस्त भी इनलोगों ने जमा नही किया जिसके फलस्वरूप बैंक ने अपने एक विशेषाधिकार के तहत अपने कर्ज को बैंक एकाउंट से काट लिया।

बाइट- बैंक अधिकारी,चन्दन कुमार

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