भोजपुरः जिले के भदवर गांव में भूतों का मेला लगता है. यहां हर साल हजारों लोग अपना दुख-दर्द भगाने के लिए आते हैं. दरअसल यहां सड़क किनारे ब्रह्मस्थान पर एक बड़ा सा बरगद का पेड़ है. जिसके नीचे बैठकर लोग आराधना और उपासना करते हैं. लोगों का कहना है कि यहां इंसान अपने ऊपर से काले साए को भगाने के लिए भूत बनकर नाचता है.
प्रेत की छाया से मुक्ति
इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, यहां इलाज करने के लिए कोई डॉक्टर नहीं है. बिना दवा और डॉक्टर वाले इस अस्पताल में अंधविश्वास के शिकार हजारों लोग आते हैं. जो भूत और प्रेत की छाया से मुक्ति दिलाने का दावा करते हैं. भूत- प्रेत की छाया से मुक्ति पाने के लिए लोग मेले में शामिल होते हैं. मेले का मकसद सिर्फ लोगों को भूत-प्रेत की छाया से मुक्ति दिलाना होता है. पीड़ित लोगों को यहां पर परिक्रमा कराई जाती है. स्थानीय निवासी श्याम आर्यन ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि यहां दूर-दूर से लोग अपने ऊपर जादू, टोने, टोटके के साये से छुटकारा पाने के लिए आते हैं. यहां पर सभी की मनोकामना पूरी होती है.
यहां लगता है भूतों का मेला, भूत की छाया से मुक्ति पाने को दूर-दूर से आते हैं लोग - बिहार
बिना दवा और डॉक्टर वाले इस अस्पताल में अंधविश्वास के शिकार हजारों लोग आते हैं और भूत खेलने का दावा करते हैं. जिन लोगों में भूत-प्रेत की छाया है. वह लोग मेले में शामिल होते हैं और चिल्लाने लगते हैं. मेले का मकसद सिर्फ लोगों को भूत की छाया से मुक्ति दिलाना है.
भोजपुरः जिले के भदवर गांव में भूतों का मेला लगता है. यहां हर साल हजारों लोग अपना दुख-दर्द भगाने के लिए आते हैं. दरअसल यहां सड़क किनारे ब्रह्मस्थान पर एक बड़ा सा बरगद का पेड़ है. जिसके नीचे बैठकर लोग आराधना और उपासना करते हैं. लोगों का कहना है कि यहां इंसान अपने ऊपर से काले साए को भगाने के लिए भूत बनकर नाचता है.
प्रेत की छाया से मुक्ति
इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, यहां इलाज करने के लिए कोई डॉक्टर नहीं है. बिना दवा और डॉक्टर वाले इस अस्पताल में अंधविश्वास के शिकार हजारों लोग आते हैं. जो भूत और प्रेत की छाया से मुक्ति दिलाने का दावा करते हैं. भूत- प्रेत की छाया से मुक्ति पाने के लिए लोग मेले में शामिल होते हैं. मेले का मकसद सिर्फ लोगों को भूत-प्रेत की छाया से मुक्ति दिलाना होता है. पीड़ित लोगों को यहां पर परिक्रमा कराई जाती है. स्थानीय निवासी श्याम आर्यन ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि यहां दूर-दूर से लोग अपने ऊपर जादू, टोने, टोटके के साये से छुटकारा पाने के लिए आते हैं. यहां पर सभी की मनोकामना पूरी होती है.
इसे आस्था कहें या अंधविश्वास भोजपुर के भदवर गांव में आपको भूतों का मेला देखने को मिल जाएगा. इस गांव में एक ऐसा मेला लगता है जहां सालों भर हजारों लोग अपने दुख दर्द को भगाने के लिए आते हैं. ये मेला सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे चलता है. इस मेले को देखकर आप दांतों तले उंगलियां चबा लेंगे. यहां के ब्रह्मस्थान की बातें ही निराली है यहां इंसान अपने ऊपर से काले साए को हटाने के लिए भूत बनकर नाचते हैं और तो और इन्हें इस ब्रह्मस्थान के आगे किसी डॉक्टर का इलाज भी कम लगता है. )
Body:वर्षों से इस ब्रह्मस्थान पर दूर-दूर से लोग आते रहे हैं और अपने दुख दर्द के बिल्कुल है खत्म होने की दावा करते हैं. इस ब्रह्मस्थान पर एक बड़ा सा बरगद का पेड़ है ठीक इसी बरगद के पेड़ के नीचे ब्रह्मस्थान और मंदिर है यहां लोग दूर-दूर से आकर इस बरगद के पेड़ से कि नीचे ब्रह्मस्थान पर आराधना उपासना करते हैं. यहां ना कोई डॉक्टर है ना कोई दवा बिना डॉक्टर वाले इस अस्पताल में अंधविश्वास के शिकार हजारों लोग आते हैं और भूत खेलाने का दावा करते हैं. जिन लोगों में भूत प्रेत की छाया है वह लोग यहां पर शामिल होते हैं चिल्लाने लगते हैं लोग काफी तेजी से झूमते और हाथ पैर पकड़ते हैं कहा जाता है कि यहां पर इस मेले का मकसद लोगों को भूत प्रेत की छाया से मुक्ति दिलाने का है पीड़ित लोगों को यहां पर परिक्रमा कराई जाती है. वही जब इस संबंध में मनोचिकित्सक अमित कुमार सिंह से बात की गई उन्होंने बताया कि इस तरह की भूत प्रेत की बातें नहीं होती है यह मात्र एक आस्था है इन्हें इलाज की जरूरत है.
बाइट-श्याम आर्यन(स्थानीय)
बाइट-डॉ०अमित कु०सिंह(मनोचिकित्सक)
Conclusion: