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Video: जब बच्चे की सांस थमने लगी तो पिता ने मुंह से दिया ऑक्सीजन

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Published : Mar 15, 2022, 11:07 AM IST

Updated : Mar 15, 2022, 8:19 PM IST

बिहार में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए दर-दर भटकते लोगों की तस्वीरें शायद ही किसी की नजर में नही आई होगी. उस दौरान सांसों के लिए तड़प भरी गुहार लगाते लोग और उनके रोते बिलखते परिजन को भूलना किसी के लिए आसान नहीं होगा. अस्पतालों और घरों में कोरोना के मरीज एक-एक सांस के लिए तड़पते दिखे थे. आज ऐसी ही एक तस्वीर बिहार के भोजपुर जिले से आई है, जो एक बार फिर सोचने के लिए मजबूर करती है. पढ़ें पूरी खबर

Father giving mouth oxygen to save child
Father giving mouth oxygen to save child

भोजपुर: बिहार के भोजपुर जिले का वीडियो सोशल मीडिया (Bhojpur child Video Viral) में तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें एक पिता अपने दुधमुंहे बच्चे को मुंह ऑक्सीजन दे रहा है. दावा किया जा रहा है कि पीरो बाजार के शिवनाथ टोला निवासी अर्जुन चौधरी का 2 साल का बेटा ऋषभ घर के बाहर खेल रहा था. तभी खेलते वक्त बच्चा नाली में गिर गया और बेहोश हो गया. नाली बच्चे की लंबाई से ज्यादा गहरी होने के कारण उसके फेफड़ों में पानी भर गया.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा रहा है एक पिता अपने 2 साल बच्चे की जान बचाने के लिए मुंह से ऑक्सीजन (Father gave oxygen from mouth to save child) दे रहा है. वीडियो देखने से ऐसा लग रहा है जैसे कि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. इस वजह से पिता गोद में लिए अपने बच्चे को ऑक्सीजन दे रहा है.

देखें वायरल वीडियो

ये भी पढ़ें: सदन में उठा मगध मेडिकल कॉलेज से ऑक्सीजन सिलिंडर गायब होने का मामला, मंत्री ने कहा- दोषियों पर होगी कार्रवाई

बेटे की हालत गंभीर होती देखकर पिता अपनी बहन के साथ बाइक से लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं थे. परिजन अस्पताल कर्मियों से देखने की गुहार लगाते रहे लेकिन बिना किसी जांच के या रेफर किए आरा सदर अस्पताल ले जाने को कह दिया. बच्चे की हालत देखकर पिता बदहवास था. बेटे की सांसें धीरे धीरे उखड़ने लगीं थीं. बेबस पिता अस्पताल के सामने ही बाइक पर मुंह से ऑक्सीजन देने लगा. उसके सीने को हाथ से दबाकर सीपीआर देने लगा तब जाकर बेटे में हलचल होने लगी. इसके बाद बाइक से 40 किलोमीटर दूर उसे सासाराम के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए. फिलहाल बच्चे की हालत ठीक है. डॉक्टरों के मुताबिक उसे पिता ने समय पर मुंह से सांस और सीपीआर नहीं दिया होता तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.

ये भी पढ़ें: बिहार में एक तिहाई ऑक्सीजन प्लांट चालू होने की समस्या से जूझ रहे, हाईकोर्ट ने कोरोना तैयारियों पर जताया असंतोष

स्थानीय लोगों ने बताया कि अस्पताल से डॉक्टर हमेशा नदारद रहते हैं. अस्पताल में मरीजों की देखरेख ठीक से नहीं होती. ऋषभ के मामले में अगर पिता ने ये सब ना किया होता तो हमारे सिस्टम ने मासूम को मार डाला होता. जब जरूरतमंदों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता तो सवाल उठता है कि आखिर किस काम के ये डॉक्टर, अस्पताल और सिस्टम? क्या सिर्फ तनख्वाह लेकर लापता रहने के लिए है ये पूरी व्यवस्था. एक बार सरकार और प्रशासन को इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा.

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भोजपुर: बिहार के भोजपुर जिले का वीडियो सोशल मीडिया (Bhojpur child Video Viral) में तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें एक पिता अपने दुधमुंहे बच्चे को मुंह ऑक्सीजन दे रहा है. दावा किया जा रहा है कि पीरो बाजार के शिवनाथ टोला निवासी अर्जुन चौधरी का 2 साल का बेटा ऋषभ घर के बाहर खेल रहा था. तभी खेलते वक्त बच्चा नाली में गिर गया और बेहोश हो गया. नाली बच्चे की लंबाई से ज्यादा गहरी होने के कारण उसके फेफड़ों में पानी भर गया.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा रहा है एक पिता अपने 2 साल बच्चे की जान बचाने के लिए मुंह से ऑक्सीजन (Father gave oxygen from mouth to save child) दे रहा है. वीडियो देखने से ऐसा लग रहा है जैसे कि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. इस वजह से पिता गोद में लिए अपने बच्चे को ऑक्सीजन दे रहा है.

देखें वायरल वीडियो

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बेटे की हालत गंभीर होती देखकर पिता अपनी बहन के साथ बाइक से लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं थे. परिजन अस्पताल कर्मियों से देखने की गुहार लगाते रहे लेकिन बिना किसी जांच के या रेफर किए आरा सदर अस्पताल ले जाने को कह दिया. बच्चे की हालत देखकर पिता बदहवास था. बेटे की सांसें धीरे धीरे उखड़ने लगीं थीं. बेबस पिता अस्पताल के सामने ही बाइक पर मुंह से ऑक्सीजन देने लगा. उसके सीने को हाथ से दबाकर सीपीआर देने लगा तब जाकर बेटे में हलचल होने लगी. इसके बाद बाइक से 40 किलोमीटर दूर उसे सासाराम के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए. फिलहाल बच्चे की हालत ठीक है. डॉक्टरों के मुताबिक उसे पिता ने समय पर मुंह से सांस और सीपीआर नहीं दिया होता तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.

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स्थानीय लोगों ने बताया कि अस्पताल से डॉक्टर हमेशा नदारद रहते हैं. अस्पताल में मरीजों की देखरेख ठीक से नहीं होती. ऋषभ के मामले में अगर पिता ने ये सब ना किया होता तो हमारे सिस्टम ने मासूम को मार डाला होता. जब जरूरतमंदों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता तो सवाल उठता है कि आखिर किस काम के ये डॉक्टर, अस्पताल और सिस्टम? क्या सिर्फ तनख्वाह लेकर लापता रहने के लिए है ये पूरी व्यवस्था. एक बार सरकार और प्रशासन को इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा.

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Last Updated : Mar 15, 2022, 8:19 PM IST
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