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भोजपुर: कर्मियों की कमी से जूझ रहा है बिहार का इकलौता मानसिक अस्पताल - मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया

आरोग्यशाला के निर्देशक प्रमोद कुमार सिंह को पीएमसीएच के मनोचिकित्सक विभाग के अलावा मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. जिसके बाद निर्देशक सप्ताह के दो दिन ही कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला आ पाते हैं.

मानसिक अस्पताल
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Published : Oct 19, 2019, 11:33 PM IST

भोजपुर: बिहार के भोजपुर के कोइलवर में स्थित प्रदेश का इकलौता मानसिक आरोग्यशाला कर्मियों की कमी से जूझ रहा है. 2005 में सूबे के इस इकलौता मानसिक स्वास्थ्य और संबद्ध विज्ञान संस्थान की नींव रखी गई थी. 2000 में बिहार से अलग होने के बाद रांची के कांके स्थित मानसिक अस्पताल झारखंड के हिस्से में चला गया. जिसके बाद बिहार के भोजपुर में एक मानसिक आरोग्यशाला का निर्माण कराया गया.

मरीजों की संख्या हो सकती है दोगुनी
आरोग्यशाला के निर्देशक प्रमोद कुमार सिंह को पीएमसीएच के मनोचिकित्सक विभाग के अलावा मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. जिसके बाद निदेशक सप्ताह के दो दिन ही कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला आ पाते हैं. इस संबंध में आरोग्यशाला के निर्देशक प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक हमारे यहां 65,600 मरीज देखे गए हैं.

bhojpur
कर्मियों की कमी

कर्मचारियों की कमी से होती है परेशानी
निर्देशक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण परेशानी जरूर है, लेकिन हम सब मिलकर अपना काम ईमानदारी पूर्वक कर रहे हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि जब हम लोग 11 बजे अस्पताल पहुंचे, तो कोई भी कर्मी अपने कक्ष में नहीं था. वहीं, दवा वितरण कर रही वार्ड अटेंडेंट से पूछा गया कि अपनी ड्यूटी छोड़ कर ये ड्यूटी क्यों कर रही है, तो इन्होंने भी कुछ कहने से मना कर दिया.

बिहार का इकलौता मानसिक अस्पताल जूझ रहा है कर्मियों के कमी से

डॉक्टरों की भी है कमी
निर्देशक ने बताया कि अस्पताल में 10 डॉक्टर, 36 कर्मी, और 3 नर्स हैं. वहीं, अगर भर्ती हुए मरीजों की बात करें तो पुरूष वार्ड में 45 और महिला वार्ड में 30 मरीज भर्ती हैं. जबकि ओपीडी में प्रतिदिन 300 से 400 मरीजों को देखा जाता है. प्रमोद कुमार ने बताया कि कर्मी के साथ-साथ डॉक्टरों की भी कमी है. वहीं, कर्मियों के रहने के लिए आवास नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी होती है.

भोजपुर: बिहार के भोजपुर के कोइलवर में स्थित प्रदेश का इकलौता मानसिक आरोग्यशाला कर्मियों की कमी से जूझ रहा है. 2005 में सूबे के इस इकलौता मानसिक स्वास्थ्य और संबद्ध विज्ञान संस्थान की नींव रखी गई थी. 2000 में बिहार से अलग होने के बाद रांची के कांके स्थित मानसिक अस्पताल झारखंड के हिस्से में चला गया. जिसके बाद बिहार के भोजपुर में एक मानसिक आरोग्यशाला का निर्माण कराया गया.

मरीजों की संख्या हो सकती है दोगुनी
आरोग्यशाला के निर्देशक प्रमोद कुमार सिंह को पीएमसीएच के मनोचिकित्सक विभाग के अलावा मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. जिसके बाद निदेशक सप्ताह के दो दिन ही कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला आ पाते हैं. इस संबंध में आरोग्यशाला के निर्देशक प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक हमारे यहां 65,600 मरीज देखे गए हैं.

bhojpur
कर्मियों की कमी

कर्मचारियों की कमी से होती है परेशानी
निर्देशक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण परेशानी जरूर है, लेकिन हम सब मिलकर अपना काम ईमानदारी पूर्वक कर रहे हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि जब हम लोग 11 बजे अस्पताल पहुंचे, तो कोई भी कर्मी अपने कक्ष में नहीं था. वहीं, दवा वितरण कर रही वार्ड अटेंडेंट से पूछा गया कि अपनी ड्यूटी छोड़ कर ये ड्यूटी क्यों कर रही है, तो इन्होंने भी कुछ कहने से मना कर दिया.

बिहार का इकलौता मानसिक अस्पताल जूझ रहा है कर्मियों के कमी से

डॉक्टरों की भी है कमी
निर्देशक ने बताया कि अस्पताल में 10 डॉक्टर, 36 कर्मी, और 3 नर्स हैं. वहीं, अगर भर्ती हुए मरीजों की बात करें तो पुरूष वार्ड में 45 और महिला वार्ड में 30 मरीज भर्ती हैं. जबकि ओपीडी में प्रतिदिन 300 से 400 मरीजों को देखा जाता है. प्रमोद कुमार ने बताया कि कर्मी के साथ-साथ डॉक्टरों की भी कमी है. वहीं, कर्मियों के रहने के लिए आवास नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी होती है.

Intro:कर्मियों के कमी से जूझ रहा बिहार का इकलौता मानसिक अस्पताल

भोजपुर।

बिहार के भोजपुर के कोइलवर में सूबे के इकलौते मानसिक आरोग्यशाला कर्मियों के कमी से जूझ रहा है.वर्ष 2005 में सूबे के इकलौता मानसिक स्वास्थ्य एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान की नींव रखी गई.2000 में बिहार से अलग होने के बाद रांची के कांके स्थित मानसिक अस्पताल झारखंड के हिस्से में चला गया जिसके बाद बिहार के भोजपुर में एक मानसिक आरोग्यशाला का निर्माण कराया गया.आरोग्यशाला के निदेशक प्रमोद कुमार सिंह को पीएमसीएच के मनोचिकित्सक विभाग के अलावा मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.जिसके बाद निदेशक सप्ताह के दो दिन ही कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला आ पाते हैं.


Body:जब इस संबंध में मानसिक आरोग्यशाला के निदेशक प्रमोद कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक हमारे यहां 65,600 मरीज देखें गए.जबकि इस साल ये इससे दुगना भी हो सकता है.उन्होंने भी माना कि कर्मचारियों की कमी के कारण परेशानी जरूर है पर हम सब मिलकर अपना काम ईमानदारी पूर्वक कर रहे हैं. वही जब हम 11 बजे अस्पताल पहुँचे तो कोई भी कर्मी अपने कक्ष में नही पाया गया वहां मौजूद गार्ड ने कुछ भी कहने से मना कर दिया.वही दवा वितरण कर रही वार्ड अटेंडेंट से पूछा गया कि अपना ड्यूटी छोड़ के ये ड्यूटी क्यों कर रही हैं तो इन्होंने भी कुछ कहने से मना कर दिया पर ऑफ कैमरा बताया कि कर्मी नहीं हैं इसलिए हम दवा वितरण करते हैं.निदेशक ने बताया कि अस्पताल में 10 डॉक्टर, 36 कर्मी, और 3 नर्स है.वही अगर भर्ती हुए मरीजो की बात करें तो पुरूष वार्ड में 45, वो वही महिला वार्ड में 30 मरीज भर्ती हैं. जबकि ओपीडी में प्रतिदिन 300 से 400 मरीजों को देखा जाता है.प्रमोद कुमार ने बताया कि कर्मी के साथ साथ डॉक्टरों की भी कमी है.वही कर्मियों के रहने के लिए आवास नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी होती है.सबसे हैरान करने वाली बात है कि अस्पताल में कर्मियों के कमी के कारण वार्ड अटेंडेंट से दवा वितरण व पुर्जा काटने में उनकी ड्यूटी लगा दी गई है.बहरहाल जो भी हो पर बिहार के इस इकलौते मानसिक आरोग्यशाला किसी तरह मरीजो का ईलाज कर रहा है.

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बाइट-मानसिक आरोग्यशाला निदेशक(प्रमोद कुमार सिंह)


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