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भोजपुर पुलिस का अनोखा कारनामा.. मृतक के कोर्ट में हाजिर होने का चिपका दिया इश्तेहार

भोजपुर पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति के कोर्ट में हाजिर होने का इश्तेहार (Advertisement to Appear deceased in Bhojpur Court) चिपका दिया जिसकी मौत दो साल पहले मौत हो चुकी है. सबसे बड़ी बात है यह कि उस व्यक्ति की मौत का मामला भी उसी थाने में दर्ज है, जिस थाने की ओर इश्तेहार चिपकाया गया है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Dec 21, 2021, 6:21 PM IST

भोजपुर: बिहार में भोजपुर पुलिस का अनोखा कारनामा (Unique act of Bhojpur police) सामने आया है. वह अब मरे हुए व्यक्ति की तलाश कर रही है और उसे कोर्ट में हाजिर होने के लिए इश्तेहार चिपका रही है. भोजपुर पुलिस अब स्वर्गवासियों को भी कोर्ट में खड़ा करेगी. धरती तो धरती, अब पुलिस स्वर्ग से भी लोगों को खोजने का काम कर रही है.

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मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बड़की सनदिया (Badki Sanadiya of Mufassil police station) गांव का है. इसमें पुलिस वैसे व्यक्ति को काेर्ट में सशरीर पेश होने के लिए इश्तेहार चिपका रही है, जिसकी दो साल पहले मौत हो चुकी है. मृतक के नाम पर वारंट जारी कर उसके घर पर इश्तेहार चिपकाया गया है. यही नहीं, पुलिस ने एक और गलती की. इश्तेहार मृतक के घर नहीं बल्कि उसके पड़ोसी के घर इश्तेहार चिपकाया दिया. इसके बाद मामले तूल पकड़ लिया.

इस मामले में केस इंचार्ज का कहना है कि गलती हुई है. चौकीदार को भी नहीं पता कि आरोपी जिंदा है या मर गया. इस प्रकार की कार्रवाई से न्याय की अवधारणा प्रभावित होती है. साथ ही अनुसंधानकर्ता के तबादले के बाद नये अनुसंधानकर्ता को बिना वजह परेशानी उठानी पड़ती है.

बता दें कि कुंदन पांडे ने 14 नवंबर को 2019 बड़की सनदिया मध्य विद्यालय के चौथी कक्षा के रूम में गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में मुफस्सिल थाना में 7 दिसंबर को 2019 को यूडी केस दर्ज किया गया था. परिजनों ने यूडी केस दर्ज करते हुए शव का दाह-संस्कार कर दिया था. यह मामला मुफस्सिल थाना में दर्ज है.

देखें रिपोर्ट

मुफस्सिल थाना ने कुंदन कुमार की जांच किये बिना ही उसके नाम पर वारंट जारी कर कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दे दिया. कुंदन कुमार पर यह आरोप था कि 19 मार्च 2019 को लोकसभा चुनाव में बड़की सनदिया बूथ पर विधि-व्यवस्था भंग करने का आरोपी बनाया गया था.

इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी रविंद्र यादव ने मुफस्सिल थाने में गोली चली थी. इसको लेकर थाना प्रभारी पर कार्रवाई भी हुई थी. इस केस में तीन इंचार्ज बदले गए. तत्कालीन थानाध्यक्ष रविंद्र राम, एसआई आनंद कुमार, एसआई रहमतुल्लाह बने. सभी इंचार्ज ने बिना जांच किए ही कुंदन कुमार पर वारंट जारी कर दिया और कोर्ट में पेश करने का आदेश भी दिया गया.

इस केस के वर्तमान इंचार्ज मुनेंद्र कुमार ने बताया कि जुलाई माह में हमें केस सौंपा गया था. जब हम छापेमारी के लिए जाते तो परिजनों ने कुछ भी नहीं बताया. इस माध्यम से चौकीदार से भी पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता. आज जब इश्तेहार चिपकाया गया तो परिजन बताते है कि कुंदन को मरे हुए दो साल हो गये हैं. इसमें मेरी क्या गलती है.

इस मामले में लोक सभा चुनाव में बूथ पर विधि-व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में आठ लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया था. सभी की बेल हो चुकी है.

इस मामले में भाजपा कार्यकर्ता चन्दन पाण्डेय ने बताया कि इस केस में लेागों को बेवजह गिरफ्तार कर अत्यधिक मारा पीटा और प्रताड़ित किया गया था. इसकी शिकायत उच्चस्थ पदाधिकारियों से की गई थी. इसपर चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए तत्कालीन थाना प्रभारी को सस्पेंड करते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया था. इस से भी हास्यास्पद यह है कि मृतक का मामला भी मुफस्सिल थाना में ही दर्ज है.

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भोजपुर: बिहार में भोजपुर पुलिस का अनोखा कारनामा (Unique act of Bhojpur police) सामने आया है. वह अब मरे हुए व्यक्ति की तलाश कर रही है और उसे कोर्ट में हाजिर होने के लिए इश्तेहार चिपका रही है. भोजपुर पुलिस अब स्वर्गवासियों को भी कोर्ट में खड़ा करेगी. धरती तो धरती, अब पुलिस स्वर्ग से भी लोगों को खोजने का काम कर रही है.

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मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बड़की सनदिया (Badki Sanadiya of Mufassil police station) गांव का है. इसमें पुलिस वैसे व्यक्ति को काेर्ट में सशरीर पेश होने के लिए इश्तेहार चिपका रही है, जिसकी दो साल पहले मौत हो चुकी है. मृतक के नाम पर वारंट जारी कर उसके घर पर इश्तेहार चिपकाया गया है. यही नहीं, पुलिस ने एक और गलती की. इश्तेहार मृतक के घर नहीं बल्कि उसके पड़ोसी के घर इश्तेहार चिपकाया दिया. इसके बाद मामले तूल पकड़ लिया.

इस मामले में केस इंचार्ज का कहना है कि गलती हुई है. चौकीदार को भी नहीं पता कि आरोपी जिंदा है या मर गया. इस प्रकार की कार्रवाई से न्याय की अवधारणा प्रभावित होती है. साथ ही अनुसंधानकर्ता के तबादले के बाद नये अनुसंधानकर्ता को बिना वजह परेशानी उठानी पड़ती है.

बता दें कि कुंदन पांडे ने 14 नवंबर को 2019 बड़की सनदिया मध्य विद्यालय के चौथी कक्षा के रूम में गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में मुफस्सिल थाना में 7 दिसंबर को 2019 को यूडी केस दर्ज किया गया था. परिजनों ने यूडी केस दर्ज करते हुए शव का दाह-संस्कार कर दिया था. यह मामला मुफस्सिल थाना में दर्ज है.

देखें रिपोर्ट

मुफस्सिल थाना ने कुंदन कुमार की जांच किये बिना ही उसके नाम पर वारंट जारी कर कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दे दिया. कुंदन कुमार पर यह आरोप था कि 19 मार्च 2019 को लोकसभा चुनाव में बड़की सनदिया बूथ पर विधि-व्यवस्था भंग करने का आरोपी बनाया गया था.

इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी रविंद्र यादव ने मुफस्सिल थाने में गोली चली थी. इसको लेकर थाना प्रभारी पर कार्रवाई भी हुई थी. इस केस में तीन इंचार्ज बदले गए. तत्कालीन थानाध्यक्ष रविंद्र राम, एसआई आनंद कुमार, एसआई रहमतुल्लाह बने. सभी इंचार्ज ने बिना जांच किए ही कुंदन कुमार पर वारंट जारी कर दिया और कोर्ट में पेश करने का आदेश भी दिया गया.

इस केस के वर्तमान इंचार्ज मुनेंद्र कुमार ने बताया कि जुलाई माह में हमें केस सौंपा गया था. जब हम छापेमारी के लिए जाते तो परिजनों ने कुछ भी नहीं बताया. इस माध्यम से चौकीदार से भी पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता. आज जब इश्तेहार चिपकाया गया तो परिजन बताते है कि कुंदन को मरे हुए दो साल हो गये हैं. इसमें मेरी क्या गलती है.

इस मामले में लोक सभा चुनाव में बूथ पर विधि-व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में आठ लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया था. सभी की बेल हो चुकी है.

इस मामले में भाजपा कार्यकर्ता चन्दन पाण्डेय ने बताया कि इस केस में लेागों को बेवजह गिरफ्तार कर अत्यधिक मारा पीटा और प्रताड़ित किया गया था. इसकी शिकायत उच्चस्थ पदाधिकारियों से की गई थी. इसपर चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए तत्कालीन थाना प्रभारी को सस्पेंड करते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया था. इस से भी हास्यास्पद यह है कि मृतक का मामला भी मुफस्सिल थाना में ही दर्ज है.

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