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मूंछे हो तो उपेंद्र राय की तरह... 33 साल में मिल चुका है 167 मेडल, सेवा के साथ-साथ मूंछों के लिए चर्चित हैं उपेंद्र - Policeman Upendra Rai mustache in Palamu

ASI उपेंद्र कुमार राय अपनी मूंछों के लिए काफी चर्चित हैं. जिस तरह शराबी में डायलॉग था- मूंछे हो तो नत्थू लाल जैसी, वरना न हो, ठीक उसी तरह लोग कहते हैं कि मूंछे हो तो उपेंद्र राय की तरह हो. उपेंद्र को 33 वर्ष की पुलिस सेवा में 167 मेडल मिल चुका है.

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Published : Oct 7, 2021, 11:01 PM IST

पलामू/भोजपुर : मशहूर फिल्म शराबी का डायलॉग है- मूंछे हो तो नत्थू लाल जैसी, वरना न हो. यह डायलॉग नत्थू लाल की मूंछ और उनके कद को बताता था. इसी तरह पलामू में तैनात ASI उपेंद्र कुमार की मूंछ काफी चर्चित है और लोग बोलते हैं कि मूंछे हो तो उपेंद्र राय की तरह हो. उपेंद्र राय पलामू में एसपी कार्यालय में डीसीबी के प्रभारी है. उन्हें उनकी मूंछों के लिए सम्मानित किया गया है. उपेंद्र कुमार राय 1988 में पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे. उसी वक्त से उन्होंने मूंछ रखना शुरू कर दिया था. वे अपने मूंछ पर हर दिन मेहनत करते हैं और उसे ठीक रखते हैं.

यह भी पढ़ें: पंचायत चुनाव का रंग तो देखिए, वोनटतोड़ डांस कर मुखिया जी के लिए मांगा जा रहा वोट

उपेंद्र राय बताते हैं कि मूंछ रखना सम्मान की बात है. मूंछ रखना भारतीय संस्कृति और सभ्यता में शामिल है. पुलिस सेवा में आने के बाद उन्होंने मूंछ रखना शुरू किया था. 2006 में बीटिंग रीट्रीट में शमिल होने के लिए उन्होंने मूंछ को हल्का कटवाया था. वे बताते हैं कि पुलिस विभाग में भी मूंछ शान है. यह मनोबल को बढ़ाता है. इसे देखने के बाद अपराधी और असामाजिक तत्व खौफ खाते हैं. उनके पिता भी बीएमपी तीन में सूबेदार रहे हैं. उपेंद्र कुमार राय मूल रूप से बिहार के भोजपुर के बाल बांध गांव के रहने वाले हैं. वे झारखंड में करीब दो दशक से पुलिस में अपनी सेवा दे रहे हैं.

देखें वीडियो.

ASI उपेंद्र कुमार राय को बेहतर पुलिसिंग के लिए अब तक 167 मेडल मिल चुके हैं. उपेंद्र कुमार राय राष्ट्रपति पदक और सीएम मेडल से सम्मानित हो चुके हैं. 2006 में दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में बिटिंग रीट्रीट के गवाह बने थे. रांची और हजारीबाग में ट्रैफिक में सुधार के लिए उपेंद्र कुमार राय विभिन्न स्तर पर पुरस्कृत हो चुके हैं. हजारीबाग में सीएम का काफिला गलत दिशा में जा रहा था, उसे उन्होंने रोक दिया था. उस दौरान उन्हें सीएम ने पुरस्कृत किया था. नेशनल पुलिस ड्यूटी मीट में वे ऑब्जर्वेशन एंड इंवेस्टिगेशन में गोल्ड मेडल हासिल कर चुके हैं.

उपेंद्र राय बताते हैं कि वह खुद से घी तैयार कर अपनी मूंछों में लगाते हैं. मूंछ रखने के प्रति उनका जुनून है. वे इसे अपना सम्मान मानते हैं. उन्हें खुशी होती है कि कर्तव्य के निर्वहन के दौरान उन्हें पुरस्कृत किया गया है. उपेंद्र राय रांची, हजारीबाग समेत कई जिलों में तैनात रहे. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने उपेंद्र को सम्मानित किया है. उपेंद्र को दिए सम्मान पत्र में यह लिखा गया है कि ये अपनी मूंछों को सुंदर बनाए रखने के लिए काफी मेहनत करते हैं. सुंदर और कड़क मूंछ के कारण अपनी पहचान बनाए हुए हैं. एसपी ने 500 रुपये नकद पुरस्कृत किया है. उपेंद्र राय को 2005 में राष्ट्रपति पदक, 2005 में ही सीएम मेडल मिल चुका है. 1991 और 1997 में नेशनल पुलिस ड्यूटी मीट में गोल्ड मेडलिस्ट है. 2004 में अनुसंधान और पोट्रेट के लिए आंध्रप्रदेश पुलिस सम्मानित कर चुकी है.

पलामू/भोजपुर : मशहूर फिल्म शराबी का डायलॉग है- मूंछे हो तो नत्थू लाल जैसी, वरना न हो. यह डायलॉग नत्थू लाल की मूंछ और उनके कद को बताता था. इसी तरह पलामू में तैनात ASI उपेंद्र कुमार की मूंछ काफी चर्चित है और लोग बोलते हैं कि मूंछे हो तो उपेंद्र राय की तरह हो. उपेंद्र राय पलामू में एसपी कार्यालय में डीसीबी के प्रभारी है. उन्हें उनकी मूंछों के लिए सम्मानित किया गया है. उपेंद्र कुमार राय 1988 में पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे. उसी वक्त से उन्होंने मूंछ रखना शुरू कर दिया था. वे अपने मूंछ पर हर दिन मेहनत करते हैं और उसे ठीक रखते हैं.

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उपेंद्र राय बताते हैं कि मूंछ रखना सम्मान की बात है. मूंछ रखना भारतीय संस्कृति और सभ्यता में शामिल है. पुलिस सेवा में आने के बाद उन्होंने मूंछ रखना शुरू किया था. 2006 में बीटिंग रीट्रीट में शमिल होने के लिए उन्होंने मूंछ को हल्का कटवाया था. वे बताते हैं कि पुलिस विभाग में भी मूंछ शान है. यह मनोबल को बढ़ाता है. इसे देखने के बाद अपराधी और असामाजिक तत्व खौफ खाते हैं. उनके पिता भी बीएमपी तीन में सूबेदार रहे हैं. उपेंद्र कुमार राय मूल रूप से बिहार के भोजपुर के बाल बांध गांव के रहने वाले हैं. वे झारखंड में करीब दो दशक से पुलिस में अपनी सेवा दे रहे हैं.

देखें वीडियो.

ASI उपेंद्र कुमार राय को बेहतर पुलिसिंग के लिए अब तक 167 मेडल मिल चुके हैं. उपेंद्र कुमार राय राष्ट्रपति पदक और सीएम मेडल से सम्मानित हो चुके हैं. 2006 में दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में बिटिंग रीट्रीट के गवाह बने थे. रांची और हजारीबाग में ट्रैफिक में सुधार के लिए उपेंद्र कुमार राय विभिन्न स्तर पर पुरस्कृत हो चुके हैं. हजारीबाग में सीएम का काफिला गलत दिशा में जा रहा था, उसे उन्होंने रोक दिया था. उस दौरान उन्हें सीएम ने पुरस्कृत किया था. नेशनल पुलिस ड्यूटी मीट में वे ऑब्जर्वेशन एंड इंवेस्टिगेशन में गोल्ड मेडल हासिल कर चुके हैं.

उपेंद्र राय बताते हैं कि वह खुद से घी तैयार कर अपनी मूंछों में लगाते हैं. मूंछ रखने के प्रति उनका जुनून है. वे इसे अपना सम्मान मानते हैं. उन्हें खुशी होती है कि कर्तव्य के निर्वहन के दौरान उन्हें पुरस्कृत किया गया है. उपेंद्र राय रांची, हजारीबाग समेत कई जिलों में तैनात रहे. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने उपेंद्र को सम्मानित किया है. उपेंद्र को दिए सम्मान पत्र में यह लिखा गया है कि ये अपनी मूंछों को सुंदर बनाए रखने के लिए काफी मेहनत करते हैं. सुंदर और कड़क मूंछ के कारण अपनी पहचान बनाए हुए हैं. एसपी ने 500 रुपये नकद पुरस्कृत किया है. उपेंद्र राय को 2005 में राष्ट्रपति पदक, 2005 में ही सीएम मेडल मिल चुका है. 1991 और 1997 में नेशनल पुलिस ड्यूटी मीट में गोल्ड मेडलिस्ट है. 2004 में अनुसंधान और पोट्रेट के लिए आंध्रप्रदेश पुलिस सम्मानित कर चुकी है.

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