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भागलपुर: जल जमाव के कारण पोल के सहारे आवागमन करने को विवश हैं फाजिलपुर सकरामा पंचायत के लोग

भागलपुर जिले के सनहौला प्रखंड अंतर्गत फाजिलपुर सकरामा पंचायत के लोग आज भी जल जमाव की समस्या से जुझ रह है. जल जमाव होने से उस गांव के लोग पोल के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Oct 1, 2021, 2:37 AM IST

भागलपुर में पोल के सहारे ग्रामीण
भागलपुर में पोल के सहारे ग्रामीण

भागलपुर: जिले के सनहौला प्रखंड (Sanhola Block) मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर फाजिलपुर सकरामा पंचायत (Fazilpur Sakarama Panchayat) है. जहां के लोग आज भी जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं. पंचायत के मुर्गियाचक के लोग आज भी पोल के सहारे आवागमन करने को विवश हैं. यहां के लोगों को गंदगी और जल जमाव (Water Logging) के बीच नारकीय जीवन जीने को विवश होना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें:गयाजी में भारी बारिश के बीच पिंडदान, पिंडदानियों ने कहा- पितरों के लिए सहन कर सकते हैं हर कष्ट

पंचायत के लोग जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों की उदासीनता की मार झेल रहे हैं. नाले पर पुल नहीं बनने के कारण लोग पोल के सहारे जान जोखिम में डालकर नाला पार कर रहे हैं. जिस पोल के सहारे यहां लोग नाले को पार करते हैं, उसकी चौड़ाई महज दस इंच और लंबाई अठारह से बीस फीट है. ऐसे में लोगों को हमेशा नाले में गिरने का डर बना रहता है. बारिश के मौसम में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. बच्चे को स्कूल आने-जाने में परेशानी होती है. हल्की चूक होने पर नाले में गिरने और डूबने का भी खतरा बना रहता है.

देखें ये वीडियो

घर के आगे जलजमाव होने के कारण मोहल्ले के मवेशी पालक अपने मवेशियों को ऊंचे स्थान पर रखने को मजबूर है. अब नाली में जमा पानी दुर्गंध करने लगा है. लोगों को बीमारियों का भी भय सताने लगा है. ऐसी स्थिति हर वर्ष इस मोहल्ले में रहती है. यहां रह रहे लगभग दस घर की आबादी का आवागमन का सहारा एकमात्र पोल ही है. लोगों ने पंचायत के प्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन तक से जल निकासी और पुल निर्माण को लेकर गुहार लगाई, लेकिन आज तक किसी ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है.

मोहल्ले की रहने वाली नूरजहां ने कहा कि इस परेशानी को हम किसे सुनाएं. मुखिया को सुनाया, सरपंच को सुनाया, बीडीओ भी आये और सीओ भी आये. सबको कह-कह कर थक गये. किसी ने यहां पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की और न ही पुल का निर्माण कराया. महिला ने कहा कि पोल के सहारे आने-जाने में बच्चों को काफी परेशानी होती है. वहीं मवेशियों को भी रखना मुश्किल हो गया है. दूसरे के दरवाजे पर मवेशी रखते हैं तो विवाद होता है. अब समझ में नहीं आ रहा है कि इस समस्या से कैसे निजात पाएं.

गांव के ही एक महिला अख्तरी ने बताया कि इस समस्या को लेकर जब हमने मुखिया से कहा तो मुखिया ने कहा कि मुखिया बने हैं आपका पानी निकालने के लिए नहीं. महिला ने कहा कि अब मुखिया को कह कर थक गए है. स्कूल जाने के दौरान बच्चे को अधिक परेशानी होती है. कई बार जाने के क्रम में बच्चे नाले में गिर गये हैं. उन्होंने कहा कि अब तो पानी भी दुर्गंध करने लगा है. जिससे बीमारी का भी भय सताने लगा है लेकिन इसका कब समाधान होगा कोई नहीं बताता है.

मुर्गीयाचक निवासी मोहम्मद सलीम ने कहा कि सड़क बना दिया गया लेकिन नाला नहीं बना. जिसके चलते पानी जमा रहता है. पानी निकासी के लिए कोई उपाय नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि पानी जमा रहने के कारण घर से निकलना मुश्किल हो गया है. बारिश के दिनों में घर तक पानी चला जाता है. जल संबंधी बीमारी भी हो जाता है. इसको लेकर स्थानीय अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक को कई बार कहा लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

बताते चले कि पंचायत के विकास को लेकर सांसद फंड, राज्यसभा सांसद फंड, विधायक फंड, इसके बाद पंचायत स्तर पर यदि बात करें तो सबसे पहले जिला परिषद सदस्य फिर मुखिया इसके बाद पंचायत समिति और वार्ड सदस्य को पंचायत के विकास की जिम्मेदारी दी है, लेकिन इसके बावजूद प्रखंड मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर इस गांव में लोग पोल के सहारे नाले को पार करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें:जमुई में लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त

भागलपुर: जिले के सनहौला प्रखंड (Sanhola Block) मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर फाजिलपुर सकरामा पंचायत (Fazilpur Sakarama Panchayat) है. जहां के लोग आज भी जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं. पंचायत के मुर्गियाचक के लोग आज भी पोल के सहारे आवागमन करने को विवश हैं. यहां के लोगों को गंदगी और जल जमाव (Water Logging) के बीच नारकीय जीवन जीने को विवश होना पड़ रहा है.

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पंचायत के लोग जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों की उदासीनता की मार झेल रहे हैं. नाले पर पुल नहीं बनने के कारण लोग पोल के सहारे जान जोखिम में डालकर नाला पार कर रहे हैं. जिस पोल के सहारे यहां लोग नाले को पार करते हैं, उसकी चौड़ाई महज दस इंच और लंबाई अठारह से बीस फीट है. ऐसे में लोगों को हमेशा नाले में गिरने का डर बना रहता है. बारिश के मौसम में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. बच्चे को स्कूल आने-जाने में परेशानी होती है. हल्की चूक होने पर नाले में गिरने और डूबने का भी खतरा बना रहता है.

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घर के आगे जलजमाव होने के कारण मोहल्ले के मवेशी पालक अपने मवेशियों को ऊंचे स्थान पर रखने को मजबूर है. अब नाली में जमा पानी दुर्गंध करने लगा है. लोगों को बीमारियों का भी भय सताने लगा है. ऐसी स्थिति हर वर्ष इस मोहल्ले में रहती है. यहां रह रहे लगभग दस घर की आबादी का आवागमन का सहारा एकमात्र पोल ही है. लोगों ने पंचायत के प्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन तक से जल निकासी और पुल निर्माण को लेकर गुहार लगाई, लेकिन आज तक किसी ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है.

मोहल्ले की रहने वाली नूरजहां ने कहा कि इस परेशानी को हम किसे सुनाएं. मुखिया को सुनाया, सरपंच को सुनाया, बीडीओ भी आये और सीओ भी आये. सबको कह-कह कर थक गये. किसी ने यहां पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की और न ही पुल का निर्माण कराया. महिला ने कहा कि पोल के सहारे आने-जाने में बच्चों को काफी परेशानी होती है. वहीं मवेशियों को भी रखना मुश्किल हो गया है. दूसरे के दरवाजे पर मवेशी रखते हैं तो विवाद होता है. अब समझ में नहीं आ रहा है कि इस समस्या से कैसे निजात पाएं.

गांव के ही एक महिला अख्तरी ने बताया कि इस समस्या को लेकर जब हमने मुखिया से कहा तो मुखिया ने कहा कि मुखिया बने हैं आपका पानी निकालने के लिए नहीं. महिला ने कहा कि अब मुखिया को कह कर थक गए है. स्कूल जाने के दौरान बच्चे को अधिक परेशानी होती है. कई बार जाने के क्रम में बच्चे नाले में गिर गये हैं. उन्होंने कहा कि अब तो पानी भी दुर्गंध करने लगा है. जिससे बीमारी का भी भय सताने लगा है लेकिन इसका कब समाधान होगा कोई नहीं बताता है.

मुर्गीयाचक निवासी मोहम्मद सलीम ने कहा कि सड़क बना दिया गया लेकिन नाला नहीं बना. जिसके चलते पानी जमा रहता है. पानी निकासी के लिए कोई उपाय नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि पानी जमा रहने के कारण घर से निकलना मुश्किल हो गया है. बारिश के दिनों में घर तक पानी चला जाता है. जल संबंधी बीमारी भी हो जाता है. इसको लेकर स्थानीय अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक को कई बार कहा लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.

बताते चले कि पंचायत के विकास को लेकर सांसद फंड, राज्यसभा सांसद फंड, विधायक फंड, इसके बाद पंचायत स्तर पर यदि बात करें तो सबसे पहले जिला परिषद सदस्य फिर मुखिया इसके बाद पंचायत समिति और वार्ड सदस्य को पंचायत के विकास की जिम्मेदारी दी है, लेकिन इसके बावजूद प्रखंड मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर इस गांव में लोग पोल के सहारे नाले को पार करने को मजबूर हैं.

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