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खुले में शौच मुक्त भारत का सच: टूटे पड़े हैं शौचालय, बाहर जा रहीं बहू-बेटियां

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Published : Dec 17, 2019, 3:34 PM IST

खुले में शौच मुक्त भारत का सपना जिस उद्देश्य के साथ बनाया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए महज खानापूर्ति कर दी गई है. इसके आंकड़े सिर्फ कागजों पर ही दिखाई दे रहे हैं. जमीनी हकीकत ठीक योजना के उलट है.

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डिजाइन फोटो

भागलपुरः भारत पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त हो चुका है, इसका ऐलान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर किया था. आंकड़ों के मुताबिक कुल 36 राज्यों के 699 जिले के 599963 गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया. लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है. सच तो यह है कि पीएम की यह योजना कई जिलों में दम तोड़ चुकी है.

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मुसहरी गांव

टूट चुके हैं कई शौचालय
जल शक्ति मंत्रालय डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वॉटर एंड सैनिटेशन के आंकड़ों के हिसाब से 36 राज्य जो ओडीएफ घोषित हुए हैं, उसमें बिहार भी है. लेकिन इस योजना के तहत भागलपुर जिले के खुर्द ग्राम पंचायत के मुसहरी गांव में ओडीएफ में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं देखने को मिली हैं. शौचालय का जो निर्माण हुआ वह या तो टूटा पड़ा है या घर का सामान रखने के काम आ रहा है.

शौचालय जाने के लिए पानी नहीं
मुसहरी ग्राम में लगभग 50 से ज्यादा शौचालय का निर्माण किया गया है. इस गांव के लोगों का कहना है कि सरकार के जरिए जो शौचालय का निर्माण किया गया है. वह ठीक तरीके से नहीं हुआ है. इस योजना के तहत बने हुए शौचालयों का हाल ये है कि लोग बिना पानी के शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. पानी वहीं होने के रकारण पास के इलाके में खुले में शौच करने जाते हैं.

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शौच के लिए बाहर जाती महिला

शौचालय में रखा हुआ है जलावन
खुले में शौच मुक्त भारत के उद्देश्य के तहत करोड़ों की राशि से शौचालयों का निर्माण कराया गया था. लेकिन ज्यादातर शौचालय में जलावन रखा हुआ है. लोगों का यह भी कहना है कि शौचालय खानापूर्ति के नाम पर बनाकर दे दिया गया है. पूरे इलाके में 2 हैंडपंप है, पानी इतना नहीं मिल पाता कि लोग घर में बने शौचालय जा सके. इस हैंडपंप से साफ पानी भी नहीं निकल पाता. मजबूरी में लोग उसी पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे कई लोग बीमार हो जाते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

'बाहर जाने के सिवाए कोई विकल्प नहीं'
गांव में बने कई शौचालयों की सीट उखड़ गई है और कई शौचालयों की दीवार भी गिर गई चुकी है. कितने शौचालय तो बंद पड़े हैं. कई शौचालय को घर के मालिक ने मिट्टी के गिलावे पर ईंट जोड़कर उसे इस्तेमाल के लायक बनाया है. गांव के रहने वाले चंद्र मांझी का कहना है कि शौचालय में पानी की दिक्कत की वजह से शौचालय नहीं जा पाते हैं. खुले में ही शौच करने के लिए जाना पड़ता है. दूसरा कोई विकल्प नहीं है.

'शौचालय गुणवत्ता बहुत घटिया थी'
वहीं, खुले में शौच कर लौट रही महिला कोइरी देवी का कहना है कि सरकार के जरिए बनाया गया शौचालय टूट गया है. इसलिए उसे बाहर जाना पड़ता है. उसके पास दूसरे कोई रास्ता नहीं है. शौचालय की गुणवत्ता बहुत ही घटिया किस्म की थी. कोइरी देवी ने दो-तीन साल तक शौचालय का इस्तेमाल किया, लेकिन अभी वह मजबूर होकर खुले में शौच करने ही जाती हैं.

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शौचालय में रखा है घर का सामान

गांव में महादलित परिवार के 50 से ज्यादा घर
भागलपुर जिला के नाथनगर प्रखंड अंतर्गत रामपुर खुर्द गांव के मुसहरी गांव में तकरीबन 50 से ज्यादा घर महादलित परिवार का है, जो काफी लंबे अरसे से मुसहरी गांव में रहते आ रहे हैं. मुख्य रूप से मजदूरी ही इनका पेशा है, मजदूरी कर अपनी और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक 2566 शौचालय रामपुर खुर्द ग्राम में मौजूद है. जिसमें तकरीबन 50 से ज्यादा खुले में शौच मुक्त अभियान के तहत मुसहरी ग्राम में बनाए गए हैं.

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बयान देती ग्रामीण महिला

दम तोड़ रही ओडीएफ योजना
मुसहरी ग्राम के पश्चिमी छोर पर मंडल जाति के लोग रहते हैं. खुले में शौच मुक्त योजना के तहत तकरीबन 12 शौचालय मंडल जाति के लोगों को भी दिया गया था. जिस की स्थिति भी काफी बदतर देखने को मिली. बहरहाल ओडीएफ योजना का मुख्य उद्देश्य यहां पर विफल होता दिख रहा है. जिस योजना के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये पानी की तरह खर्च किए हैं, उस योजना की ग्राउंड रिपोर्टिंग में उसकी विफलता स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है.

भागलपुरः भारत पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त हो चुका है, इसका ऐलान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर किया था. आंकड़ों के मुताबिक कुल 36 राज्यों के 699 जिले के 599963 गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया. लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है. सच तो यह है कि पीएम की यह योजना कई जिलों में दम तोड़ चुकी है.

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मुसहरी गांव

टूट चुके हैं कई शौचालय
जल शक्ति मंत्रालय डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वॉटर एंड सैनिटेशन के आंकड़ों के हिसाब से 36 राज्य जो ओडीएफ घोषित हुए हैं, उसमें बिहार भी है. लेकिन इस योजना के तहत भागलपुर जिले के खुर्द ग्राम पंचायत के मुसहरी गांव में ओडीएफ में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं देखने को मिली हैं. शौचालय का जो निर्माण हुआ वह या तो टूटा पड़ा है या घर का सामान रखने के काम आ रहा है.

शौचालय जाने के लिए पानी नहीं
मुसहरी ग्राम में लगभग 50 से ज्यादा शौचालय का निर्माण किया गया है. इस गांव के लोगों का कहना है कि सरकार के जरिए जो शौचालय का निर्माण किया गया है. वह ठीक तरीके से नहीं हुआ है. इस योजना के तहत बने हुए शौचालयों का हाल ये है कि लोग बिना पानी के शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. पानी वहीं होने के रकारण पास के इलाके में खुले में शौच करने जाते हैं.

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शौच के लिए बाहर जाती महिला

शौचालय में रखा हुआ है जलावन
खुले में शौच मुक्त भारत के उद्देश्य के तहत करोड़ों की राशि से शौचालयों का निर्माण कराया गया था. लेकिन ज्यादातर शौचालय में जलावन रखा हुआ है. लोगों का यह भी कहना है कि शौचालय खानापूर्ति के नाम पर बनाकर दे दिया गया है. पूरे इलाके में 2 हैंडपंप है, पानी इतना नहीं मिल पाता कि लोग घर में बने शौचालय जा सके. इस हैंडपंप से साफ पानी भी नहीं निकल पाता. मजबूरी में लोग उसी पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे कई लोग बीमार हो जाते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

'बाहर जाने के सिवाए कोई विकल्प नहीं'
गांव में बने कई शौचालयों की सीट उखड़ गई है और कई शौचालयों की दीवार भी गिर गई चुकी है. कितने शौचालय तो बंद पड़े हैं. कई शौचालय को घर के मालिक ने मिट्टी के गिलावे पर ईंट जोड़कर उसे इस्तेमाल के लायक बनाया है. गांव के रहने वाले चंद्र मांझी का कहना है कि शौचालय में पानी की दिक्कत की वजह से शौचालय नहीं जा पाते हैं. खुले में ही शौच करने के लिए जाना पड़ता है. दूसरा कोई विकल्प नहीं है.

'शौचालय गुणवत्ता बहुत घटिया थी'
वहीं, खुले में शौच कर लौट रही महिला कोइरी देवी का कहना है कि सरकार के जरिए बनाया गया शौचालय टूट गया है. इसलिए उसे बाहर जाना पड़ता है. उसके पास दूसरे कोई रास्ता नहीं है. शौचालय की गुणवत्ता बहुत ही घटिया किस्म की थी. कोइरी देवी ने दो-तीन साल तक शौचालय का इस्तेमाल किया, लेकिन अभी वह मजबूर होकर खुले में शौच करने ही जाती हैं.

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शौचालय में रखा है घर का सामान

गांव में महादलित परिवार के 50 से ज्यादा घर
भागलपुर जिला के नाथनगर प्रखंड अंतर्गत रामपुर खुर्द गांव के मुसहरी गांव में तकरीबन 50 से ज्यादा घर महादलित परिवार का है, जो काफी लंबे अरसे से मुसहरी गांव में रहते आ रहे हैं. मुख्य रूप से मजदूरी ही इनका पेशा है, मजदूरी कर अपनी और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक 2566 शौचालय रामपुर खुर्द ग्राम में मौजूद है. जिसमें तकरीबन 50 से ज्यादा खुले में शौच मुक्त अभियान के तहत मुसहरी ग्राम में बनाए गए हैं.

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बयान देती ग्रामीण महिला

दम तोड़ रही ओडीएफ योजना
मुसहरी ग्राम के पश्चिमी छोर पर मंडल जाति के लोग रहते हैं. खुले में शौच मुक्त योजना के तहत तकरीबन 12 शौचालय मंडल जाति के लोगों को भी दिया गया था. जिस की स्थिति भी काफी बदतर देखने को मिली. बहरहाल ओडीएफ योजना का मुख्य उद्देश्य यहां पर विफल होता दिख रहा है. जिस योजना के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये पानी की तरह खर्च किए हैं, उस योजना की ग्राउंड रिपोर्टिंग में उसकी विफलता स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है.

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खुले में शौच मुक्त भारत कितना सच एक ग्राउंड रिपोर्ट

भारत पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त हो चुका है इसका एलान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी के 150वीं जयंती पर किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा "ग्रामीण भारत में वहां के गांव में खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया है और साबरमती कि यह स्थली देश की इस सफलता के साक्षी बन रही है"।

जल शक्ति मंत्रालय डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वॉटर एंड सैनिटेशन के स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के आंकड़ों के मुताबिक कुल 36 राज्यों के 699 जिले के 599963 गांवों ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया ।

लेकिन जिस तरह के आंकड़े वेबसाइट पर दिखाई दे रहे हैं उसकी सच्चाई ठीक उसके विपरीत है कई ऐसे जगह है जहां पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत चलने वाले खुले में शौच मुक्त अभियान में औपचारिक रूप से सिर्फ खानापूर्ति दिख रही है।



Body:जल शक्ति मंत्रालय डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वॉटर एंड सैनिटेशन के आंकड़ों के हिसाब से 36 राज्य जो ओडीएफ घोषित हो है उसमें बिहार भी है लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के इस योजना के तहत बिहार के भागलपुर जिले के नाथनगर प्रखंड अंतर्गत रामपुर खुर्द ग्राम पंचायत के मुसहरी ग्राम में ओडीएफ में बहुत ही ज्यादा अनियमितताएं देखने को मिल रही है ।

सरकार के द्वारा शौचालयों का निर्माण किया गया है उसमें मुसहरी ग्राम में लगभग 50 से ज्यादा शौचालय का निर्माण किया गया है जोकि खुले में शौच मुक्त अभियान के अंतर्गत किए गए हैं हम आपको योजना के तहत बने हुए शौचालयों का हाल दिखा रहे हैं कि कैसे लोग बिना पानी के शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं और वहीं पास के इलाके में खुले में शौच करने जा रहे हैं

खुले में शौच मुक्त भारत के उद्देश्य के तहत करोड़ों की राशि से शौचालयों का निर्माण कराया गया था लेकिन ज्यादातर शौचालय हो गई जलावन रखा हुआ दिख रहा है एवं घर का कई सामान शौचालय का इस्तेमाल मुसहरी ग्राम के लोग नहीं कर पा रहे हैं

उसकी वजह है कि उन्हें शौचालय खानापूर्ति के नाम पर बनाकर दे दिया गया है जिसमें शौचालय जाना काफी मुश्किल है पूरे इलाके में 2 चापाकल है जिसमें साफ पानी नहीं निकल पाता है मजबूरी में लोग उसी पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे कई लोग बीमार हो जाते हैं

कई शौचालयों की सीट उखड़ गए हैं और कई शौचालयों के दीवाल भी गिर गए है कई शौचालयों को बंद रखा गया है कुछेक को घर के मालिक के द्वारा मिट्टी के गाने पर ईट जोड़कर इस्तेमाल के लायक बनाया गया है।


Conclusion:भागलपुर जिला के नाथनगर प्रखंड अंतर्गत रामपुर खुर्द गांव के मुसहरी गांव में करीबन 50 से ज्यादा घर महादलित परिवार के हैं जो कि काफी लंबे अरसे से मुसहरी ग्राम में रहते आ रहे हैं मुख्य रूप से मजदूरी ही इनका पैसा है मजदूरी कर अपनी और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं । आंकड़ों के मुताबिक 2566 शौचालय रामपुर खुर्द ग्राम में मौजूद है। जिसमें करीबन 50 से ज्यादा खुले में शौच मुक्त अभियान के तहत मुसहरी ग्राम में बनाए गए हैं।

मुसहरी ग्राम में खुले में शौच कर लौट रही महिला कोइरी देवी का कहना है कि सरकार के द्वारा बनाया गया शौचालय तू टूट गया है इसलिए उसे बाहर जाना पड़ता है उसके पास दूसरे कोई रास्ता नहीं है शौचालय की गुणवत्ता बहुत ही घटिया किस्म की वजह से टूट गया दो-तीन साल तक कोइरी देवी ने ओडीएफ के तहत बनाए गए शौचालय का इस्तेमाल किया है लेकिन अभी वह मजबूर होकर खुले में शौच करने ही जाती हैं ।

वहीं पर चंद्र मांझी का कहना है जो शौचालय में पानी की दिक्कत की वजह से शौचालय नहीं जा पाते हैं और खुले में ही शौच करने के लिए जाना पड़ता है दूसरा कोई विकल्प चंद्र मांझी के पास भी नहीं है।

मुसहरी ग्राम के रहने वाले छोटू मांझी का कहना है शौचालय का निर्माण बहुत ही तरीके से किया गया था सारा चीज टूट फूट गया है इसलिए खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ता है।

मुसहरी ग्राम में पश्चिमी छोर पर मंडल जाति के लोग रहते हैं खुले में शौच मुक्त योजना के तहत करीबन 12 शौचालय मंडल जाति के लोगों के भी दिया गया था जिस की स्थिति काफी बदतर देखने को मिली दिनेश मंडल के यहां बनाए गए शौचालय में पहले बोरे का चारदीवारी बनाया गया था जिसे करीबन 15 दिन पहले हटाकर मिट्टी के गारे पर ईट जोड़कर शौचालय का दीवाल बनाया गया है दिनेश मंडल का कहना है एक डब्बा उन्हें देखकर फोटो खींचा लिया गया था लेकिन वह डब्बा उसे नहीं मिला वह डब्बा संवेदक लेकर चले गए।

ऐसे और भी कई लोग हैं जिनके घर में खुले में शौच मुक्त योजना के तहत शौचालय तो बनाया गया है लेकिन वह लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं ओडीएफ योजना का मुख्य उद्देश्य यहां पर विफल होता दिखता है जिस योजना के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च किया है इस योजना के ग्राउंड रिपोर्टिंग देखकर योजना की विफलता स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है। तमाम चीजों को देखकर ही लगता है खुले में शौच मुक्त भारत का सपना जिस उद्देश्य के साथ बनाया गया था उद्देश्य की पूर्ति महज खानापूर्ति कर कर दी गई इसके आंकड़े सिर्फ कागजों पर ही दिखाई दे रहे हैं जमीनी हकीकत ठीक योजना के उलट है।

ओपनिंग पीटीसी संतोष श्रीवास्तव संवाददाता भागलपुर
बाइट कोइरी देवी ग्रामीण महिला मुसहरी ग्राम भागलपुर
बाइट दिनेश मंडल ग्रामीण नया टोला मुसहरी ग्राम भागलपुर
बाइट: छोटू मांझी ग्रामीण मुसहरी टोला हरे टीशर्ट में
बाइट चंद्र मांझी ग्रामीण मुसहरी ग्राम माथे में गमछा बांधे
बाइट नवल किशोर नया टोला मुसहरी ग्राम भागलपुर लाल शर्ट में
क्लोजिंग पीटीसी संतोष श्रीवास्तव भागलपुर
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