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भागलपुर: सदर अस्पताल में 'रेबीज' रोग को लेकर दिया गया प्रशिक्षण

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Published : Nov 29, 2020, 12:46 AM IST

सदर अस्पताल के सभागार में जानवरों के काटने से होने वाले रोग रेबीज के उपचार, टीका और इंजेक्शन के बारे में प्रशिक्षण दिया गया.

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भागलपुर: जिले के सदर अस्पताल के सभागार में पागल कुत्ते या अन्य जानवरों के काटने से होने वाले रोग रेबीज के उसका उपचार कैसे किया जाए और टीका और इंजेक्शन कब लगाया जाए उसके बारे में प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के दौरान दवाई बनाने वाली कंपनी भारत सिरब के डॉ. अनिरुद्ध गौड़ा ने उपस्थित डॉक्टर और स्टोरकीपर को एनिमल बाइट का इलाज करने का तरीका बताया.

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सदर अस्पताल में दिया गया प्रशिक्षण

बता दें कि जानवर के काटने के बाद रोग के लक्षण का समय निर्धारित नहीं है, रोगी में या तो 9 दिन या फिर वर्ष भर बाद भी लक्षण नजर आ सकता है. पैर पर यदि जानवर काटता है तो रोग का लक्षण देर से दिखाई देता है और घाव कम गहरा होता है तो उसका मतलब होता है कम मात्रा में लार पहुंचना. कुत्ता या जानवर काटने के बाद पीड़ित को शरीर में जगह जगह पर जलन, बुखार या जी मचलना, हाथ पैर में दर्द होना. उसके बाद मस्तिष्क में बुखार और सांस लेने में मुश्किल जैसे लक्षण दिखाइए देते हैं. इस लिए सही समय पर उपचार ही मात्र इलाज है. आमतौर पर लोग कुत्ता और बंदर आदि जानवरों के काटने के बाद उपचार करवाने में देर करते हैं जो जानलेवा हो जाता है.

देखें रिपोर्ट

डॉक्टरों को दिया गया प्रशिक्षण
'कुत्ते या जानवर काटे जाने वाले स्थान को अच्छे साबुन से अच्छी तरह से धोकर उस पर कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दें. इसके बाद रेबीज टीके दें. इस रोग का कोई उपचार नहीं है, केवल टीका लगाकर ही रोग से बचा जा सकता है. कौन सा टीका और सिर्फ कब देना है, उसके बारे में बारीकी से जानकारी दिया साथ ही टीके को कैसे स्टोर किया जाना है, किस टेंपरेचर में रखना है उसके बारे में भी जानकारी दिया.'- अनिरुद्ध गौड़ा, भारत सिरप, मार्केटिंग ऑफिसर

'आज का यह प्रशिक्षण एनिमल बाइट पर किस तरह से दवाई और टीके डॉक्टरों को लगाना चाहिए. कैसे उसका ट्रीटमेंट हो लक्षण दिखाई दे तो किस तरह से काम करना है, उसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दिया है. साथ ही साथ डॉक्टर और फार्मासिस्ट को बताया गया है कि दवाई, सिरफ और इंजेक्शन को किस टेंपरेचर में स्टोर किया जाना है.'- अनिरुद्ध गौड़ा, भारत सिरप, मार्केटिंग ऑफिसर

'रेबीज' रोग को लेकर दिया गया प्रशिक्षण
'रेबीज' रोग को लेकर दिया गया प्रशिक्षण

उपचार और दवाइयों के बारे में दिया गया जानकारी
'कुत्ता काटने पर कैसे दवाई लगाना है ,ड्रेसिंग कैसे किया जाना है उसके बारे में बताने के लिए आज का यह सेमिनार आयोजित किया गया था. जिसमें जिले के सभी डॉक्टर और स्टोरकीपर मौजूद थे. जो कुत्ता बीमार से ग्रसित हैं उसके काटने से इंसान बीमार हो जाता है. जिसका लक्षण काफी दिनों के बाद दिखाई देता है, ऐसे में लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टरों को किस तरह से उसका उपचार करना है कैसे दवाई लगाना है उसके बारे में बताया गया है.'- डॉ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन

बता दें कि रेबीज "रहेब्डो.वायरस " जानवरों के काटने से होता है. पागल कुत्ता या अन्य जानवरों में यह विषाणु पाए जाते हैं. इन विषाणु वाले जानवर जब इंसान को काट लेता है तो उसकी लार से या विषाणु इंसान के शरीर में प्रवेश करके फाइल जाता है जिसे इंसान रोग ग्रस्त हो जाता है.

भागलपुर: जिले के सदर अस्पताल के सभागार में पागल कुत्ते या अन्य जानवरों के काटने से होने वाले रोग रेबीज के उसका उपचार कैसे किया जाए और टीका और इंजेक्शन कब लगाया जाए उसके बारे में प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के दौरान दवाई बनाने वाली कंपनी भारत सिरब के डॉ. अनिरुद्ध गौड़ा ने उपस्थित डॉक्टर और स्टोरकीपर को एनिमल बाइट का इलाज करने का तरीका बताया.

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सदर अस्पताल में दिया गया प्रशिक्षण

बता दें कि जानवर के काटने के बाद रोग के लक्षण का समय निर्धारित नहीं है, रोगी में या तो 9 दिन या फिर वर्ष भर बाद भी लक्षण नजर आ सकता है. पैर पर यदि जानवर काटता है तो रोग का लक्षण देर से दिखाई देता है और घाव कम गहरा होता है तो उसका मतलब होता है कम मात्रा में लार पहुंचना. कुत्ता या जानवर काटने के बाद पीड़ित को शरीर में जगह जगह पर जलन, बुखार या जी मचलना, हाथ पैर में दर्द होना. उसके बाद मस्तिष्क में बुखार और सांस लेने में मुश्किल जैसे लक्षण दिखाइए देते हैं. इस लिए सही समय पर उपचार ही मात्र इलाज है. आमतौर पर लोग कुत्ता और बंदर आदि जानवरों के काटने के बाद उपचार करवाने में देर करते हैं जो जानलेवा हो जाता है.

देखें रिपोर्ट

डॉक्टरों को दिया गया प्रशिक्षण
'कुत्ते या जानवर काटे जाने वाले स्थान को अच्छे साबुन से अच्छी तरह से धोकर उस पर कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दें. इसके बाद रेबीज टीके दें. इस रोग का कोई उपचार नहीं है, केवल टीका लगाकर ही रोग से बचा जा सकता है. कौन सा टीका और सिर्फ कब देना है, उसके बारे में बारीकी से जानकारी दिया साथ ही टीके को कैसे स्टोर किया जाना है, किस टेंपरेचर में रखना है उसके बारे में भी जानकारी दिया.'- अनिरुद्ध गौड़ा, भारत सिरप, मार्केटिंग ऑफिसर

'आज का यह प्रशिक्षण एनिमल बाइट पर किस तरह से दवाई और टीके डॉक्टरों को लगाना चाहिए. कैसे उसका ट्रीटमेंट हो लक्षण दिखाई दे तो किस तरह से काम करना है, उसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दिया है. साथ ही साथ डॉक्टर और फार्मासिस्ट को बताया गया है कि दवाई, सिरफ और इंजेक्शन को किस टेंपरेचर में स्टोर किया जाना है.'- अनिरुद्ध गौड़ा, भारत सिरप, मार्केटिंग ऑफिसर

'रेबीज' रोग को लेकर दिया गया प्रशिक्षण
'रेबीज' रोग को लेकर दिया गया प्रशिक्षण

उपचार और दवाइयों के बारे में दिया गया जानकारी
'कुत्ता काटने पर कैसे दवाई लगाना है ,ड्रेसिंग कैसे किया जाना है उसके बारे में बताने के लिए आज का यह सेमिनार आयोजित किया गया था. जिसमें जिले के सभी डॉक्टर और स्टोरकीपर मौजूद थे. जो कुत्ता बीमार से ग्रसित हैं उसके काटने से इंसान बीमार हो जाता है. जिसका लक्षण काफी दिनों के बाद दिखाई देता है, ऐसे में लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टरों को किस तरह से उसका उपचार करना है कैसे दवाई लगाना है उसके बारे में बताया गया है.'- डॉ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन

बता दें कि रेबीज "रहेब्डो.वायरस " जानवरों के काटने से होता है. पागल कुत्ता या अन्य जानवरों में यह विषाणु पाए जाते हैं. इन विषाणु वाले जानवर जब इंसान को काट लेता है तो उसकी लार से या विषाणु इंसान के शरीर में प्रवेश करके फाइल जाता है जिसे इंसान रोग ग्रस्त हो जाता है.

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