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Bhagalpur News: बरसात होने पर स्कूल से टपकता है पानी.. क्लास में भी छाता लगाकर पढ़ने को छात्र मजबूर

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Published : Aug 16, 2023, 6:03 AM IST

बिहार में शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के चाहे जितने भी दावे किए जाते हों लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी संतोषजनक नहीं है. भागलपुर में सरकारी विद्यालय की जो तस्वीर सामने आई है, वह न केवल सरकार के दावों की पोल खोलती है बल्कि ये सोचने को भी मजबूर करती है कि आखिर ये बच्चे कैसे पढ़ेंगे. इस स्कूल में बारिश होने पर बच्चों को क्लाशरूम के अंदर भी छाता लगाकर बैठना पड़ता है.

भागलपुर में क्लासरूम में छाता लेकर पढ़ाई
भागलपुर में क्लासरूम में छाता लेकर पढ़ाई
भागलपुर में क्लासरूम में छाता लेकर पढ़ाई

भागलपुर: बिहार के भागलपुर में क्लासरूम में छाता लगाकर पढ़ाई छात्रों को पढ़ाई करना पड़ता है, क्योंकि यहां छत टपकती है. ऐसे में बरसात के मौसम में हर बच्चे के लिए छात्रा लाना अनिवार्य है, भले ही वह किताब-कॉपी क्यों ना भूल जाएं. यहां आने वाले तमाम बच्चे प्रधानाध्यापक से शिकायत कर-कर के थक चुके हैं. वहीं विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि डीपीओ और डीईओ को कई बार सूचना दी गई लेकिन कोई अमल नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें: KK Pathak जरा इधर भी देखें.. 'टिप टिप बरसा पानी' वाले स्कूल का हाल, 2 कमरे में 840 स्टूडेंट की पढ़ाई मजबूरी

82 साल पहले बना था स्कूल भवन: भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड के सैदपुर उच्च विद्यालय की हालत बेहद खराब है. ब्रिटिश शासनकाल में बने इस विद्यालय ने देश को कई होनहार छात्र दिए हैं लेकिन आज उसकी स्थिति बदहाल है. इसकी स्थापना साल 1941 में हुई थी. उस समय ग्रामीणों के सहयोग से ईंट और खपरैल से छह कमरा बना था. 82 साल बाद आज स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है. जिसमें रखे बेंच, डैस्क, टेबल और लाखों के सामान बर्बाद हो रहे हैं. उसमें खरपतवार भी उग आए हैं.

छत से टपकता है पानी: भवन निर्माण के बाद आज तक कभी भी मरम्मत का काम नहीं हुआ. छत और दीवार में भी दरार आ गई है. रोजाना छत का प्लास्टर टूट कर गिरता है. पढ़ाई हो रही दो कक्षाओं में पानी भी टपकता है. जिस वजह से कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है. 400 बच्चे अपना भविष्य संवारने का सपना संजोए विद्यालय पढ़ने आते हैं लेकिन व्यवस्था से वह निराश नजर आते हैं.

स्कूल की स्थिति बदहाल: बताया जाता है कि नवगछिया अनुमंडल के अंतर्गत आजादी के समय मात्र 3 उच्च विद्यालय हुआ करते थे. जिसमें उच्च विद्यालय नवगछिया, तुलसीपुर और सैदपुर उच्च विद्यालय शामिल है. सैदपुर विद्यालय में आसपास के कई गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं. जर्जर भवन की मरम्मती के लिए शिक्षा विभाग को कई बार लिखा गया है. विद्यालय से पढ़ाई करने वाले कई छात्र आज अलग-अलग अहम पदों पर आसीन हैं, मगर वही विद्यालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

अर्धनिर्मित भवन की स्थिति बेहद जर्जर: विद्यालय की जर्जर स्थिति में सुधार के लिए परिसर में लगभग 13 वर्ष पूर्व शिक्षा विभाग के द्वारा नए भवन निर्माण के लिए लगभग 26 लाख की राशि स्वीकृति की गई थी. जिसमें भवन निर्माण के कार्य संवेदक के द्वारा शुरू हुआ लेकिन निर्धारित समय पर संवेदक द्वारा निर्माण कार्य पूरा नहीं होने पर शिक्षा विभाग ने संवेदक पर जवाब तलब करते हुए काम को रोक दिया. 26 लाख में 13 लाख का काम हुआ और तेरह लाख रुपये विभाग को वापस हो गया, तभी से अब तक भवन अधूरा है. अर्धनिर्मित भवन की स्थिति अब जर्जर होने की कगार पर है.

"यहां बारिश के समय में छत से पानी टपकता है. जिसके कारण से हमलोग स्कूल नहीं आना चाहते है. सही से पढ़ाई-लिखाई भी नहीं हो पाती है. बारिश के समय में पूरे स्कूल में पानी भर जाता है. जिस वजह से बारिश के समय में हमलोग क्लासरूम में छाता लेकर बैठते हैं"- छात्र, सैदपुर उच्च विद्यालय

क्या बोले प्रभारी प्रधानाध्यापक?: विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक गिरीश कुमार मंडल ने बताया कि विद्यालय के वर्ग में बरसात के समय पानी के टपकने से पठन-पाठन सही से नहीं हो रहा है. छत से बरसात के समय पानी रिसाव के कारण बेंच-डेस्क और अन्य सामान बर्बाद हो रहे हैं. बरसात के दिनों में बच्चे डर से पढ़ने नहीं आना चाहते. जिला के शिक्षा विभाग को प्रत्येक वर्ष पत्र के माध्यम से जानकारी दे रहे हैं लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है.

"जब बरसात होती है तो बच्चों को यहां से निकाल देते हैं. इस वजह से पढ़ाई में दिक्कत तो होती ही है. कई बार बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी शिकायत लेकर आते हैं लेकिन हम क्या कर सकते हैं. भवन निर्माण के लिए डीपीओ और डीईओ को सूचना दी है लेकिन कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला. पहले के बीईओ से भी इस बारे में बात की गई थी लेकिन कोई पहल नहीं हुई"- गिरीश कुमार मंडल, प्रभारी प्रधानाध्यापक, छात्र, सैदपुर उच्च विद्यालय

भागलपुर में क्लासरूम में छाता लेकर पढ़ाई

भागलपुर: बिहार के भागलपुर में क्लासरूम में छाता लगाकर पढ़ाई छात्रों को पढ़ाई करना पड़ता है, क्योंकि यहां छत टपकती है. ऐसे में बरसात के मौसम में हर बच्चे के लिए छात्रा लाना अनिवार्य है, भले ही वह किताब-कॉपी क्यों ना भूल जाएं. यहां आने वाले तमाम बच्चे प्रधानाध्यापक से शिकायत कर-कर के थक चुके हैं. वहीं विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि डीपीओ और डीईओ को कई बार सूचना दी गई लेकिन कोई अमल नहीं हुआ.

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82 साल पहले बना था स्कूल भवन: भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड के सैदपुर उच्च विद्यालय की हालत बेहद खराब है. ब्रिटिश शासनकाल में बने इस विद्यालय ने देश को कई होनहार छात्र दिए हैं लेकिन आज उसकी स्थिति बदहाल है. इसकी स्थापना साल 1941 में हुई थी. उस समय ग्रामीणों के सहयोग से ईंट और खपरैल से छह कमरा बना था. 82 साल बाद आज स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है. जिसमें रखे बेंच, डैस्क, टेबल और लाखों के सामान बर्बाद हो रहे हैं. उसमें खरपतवार भी उग आए हैं.

छत से टपकता है पानी: भवन निर्माण के बाद आज तक कभी भी मरम्मत का काम नहीं हुआ. छत और दीवार में भी दरार आ गई है. रोजाना छत का प्लास्टर टूट कर गिरता है. पढ़ाई हो रही दो कक्षाओं में पानी भी टपकता है. जिस वजह से कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है. 400 बच्चे अपना भविष्य संवारने का सपना संजोए विद्यालय पढ़ने आते हैं लेकिन व्यवस्था से वह निराश नजर आते हैं.

स्कूल की स्थिति बदहाल: बताया जाता है कि नवगछिया अनुमंडल के अंतर्गत आजादी के समय मात्र 3 उच्च विद्यालय हुआ करते थे. जिसमें उच्च विद्यालय नवगछिया, तुलसीपुर और सैदपुर उच्च विद्यालय शामिल है. सैदपुर विद्यालय में आसपास के कई गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं. जर्जर भवन की मरम्मती के लिए शिक्षा विभाग को कई बार लिखा गया है. विद्यालय से पढ़ाई करने वाले कई छात्र आज अलग-अलग अहम पदों पर आसीन हैं, मगर वही विद्यालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

अर्धनिर्मित भवन की स्थिति बेहद जर्जर: विद्यालय की जर्जर स्थिति में सुधार के लिए परिसर में लगभग 13 वर्ष पूर्व शिक्षा विभाग के द्वारा नए भवन निर्माण के लिए लगभग 26 लाख की राशि स्वीकृति की गई थी. जिसमें भवन निर्माण के कार्य संवेदक के द्वारा शुरू हुआ लेकिन निर्धारित समय पर संवेदक द्वारा निर्माण कार्य पूरा नहीं होने पर शिक्षा विभाग ने संवेदक पर जवाब तलब करते हुए काम को रोक दिया. 26 लाख में 13 लाख का काम हुआ और तेरह लाख रुपये विभाग को वापस हो गया, तभी से अब तक भवन अधूरा है. अर्धनिर्मित भवन की स्थिति अब जर्जर होने की कगार पर है.

"यहां बारिश के समय में छत से पानी टपकता है. जिसके कारण से हमलोग स्कूल नहीं आना चाहते है. सही से पढ़ाई-लिखाई भी नहीं हो पाती है. बारिश के समय में पूरे स्कूल में पानी भर जाता है. जिस वजह से बारिश के समय में हमलोग क्लासरूम में छाता लेकर बैठते हैं"- छात्र, सैदपुर उच्च विद्यालय

क्या बोले प्रभारी प्रधानाध्यापक?: विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक गिरीश कुमार मंडल ने बताया कि विद्यालय के वर्ग में बरसात के समय पानी के टपकने से पठन-पाठन सही से नहीं हो रहा है. छत से बरसात के समय पानी रिसाव के कारण बेंच-डेस्क और अन्य सामान बर्बाद हो रहे हैं. बरसात के दिनों में बच्चे डर से पढ़ने नहीं आना चाहते. जिला के शिक्षा विभाग को प्रत्येक वर्ष पत्र के माध्यम से जानकारी दे रहे हैं लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई है.

"जब बरसात होती है तो बच्चों को यहां से निकाल देते हैं. इस वजह से पढ़ाई में दिक्कत तो होती ही है. कई बार बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी शिकायत लेकर आते हैं लेकिन हम क्या कर सकते हैं. भवन निर्माण के लिए डीपीओ और डीईओ को सूचना दी है लेकिन कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला. पहले के बीईओ से भी इस बारे में बात की गई थी लेकिन कोई पहल नहीं हुई"- गिरीश कुमार मंडल, प्रभारी प्रधानाध्यापक, छात्र, सैदपुर उच्च विद्यालय

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