भागलपुर: पढ़ाई और रिजल्ट को लेकर अपनी गुणवत्ता पर बट्टा लगा चुका जिले का तिलका मांझी विश्वविद्यालय अब उसे सुधारने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. प्रति कुलपति रामायतन प्रसाद के अनुसार तिलका मांझी विश्वविद्यालय बिहार का पहला विश्वविद्यालय है, जहां स्नातक और स्नातकोत्तर का सत्र नियमित रूप से चलने लगा है और जो भी अनियमितताएं विश्वविद्यालय में शिक्षा को लेकर थी, वह धीरे-धीरे दूर करने की कोशिश की जा रही है.
विश्वविद्यालय ने पूरे किये 60 वर्ष
हाल ही में विश्वविद्यालय ने अपना 60 वर्ष पूरा कर लिया है और विश्वविद्यालय की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं. बता दें कुछ वर्ष पहले दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री की जांच को लेकर तिलका मांझी विश्वविद्यालय को बदनामी भी झेलने पड़ी थी. उनकी डिग्री की जांच को लेकर जांच कमेटी की टीम भागलपुर के तिलका मांझी विश्वविद्यालय पहुंची थी. जांच टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि जिस कानून की डिग्री जितेंद्र सिंह तोमर के नाम से जारी की गई है वह कितनी वैद्य है. वहीं, दूसरा मामला भागलपुर में स्नातक और स्नातकोत्तर सत्र के अनियमित रूप से चलने और रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर था. काफी दूरदराज से विद्यार्थी अपने रिजल्ट को सुधारने के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर लगाते रहते थे.
शिक्षा प्रणाली को लेकर छात्रों का आंदोलन
विश्वविद्यालय में शिक्षा प्रणाली को लेकर पहले हमेशा छात्रों का आंदोलन और विरोध होता रहता था, जो कि अब धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर है. तिलकामांझी विश्वविद्यालय ने अपनी शिक्षा प्रणाली और गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास भी करना शुरू कर दिया है. इन तमाम चीजों की मॉनिटरिंग खुद कुलपति, प्रति कुलपति और रजिस्टार लगातार अपने स्तर पर कर रहे हैं. इसलिए तिलकामांझी विश्वविद्यालय स्नातक और अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम को नियमित और समय से करने में सफल हो पाया है.