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भागलपुर: तिलकामांझी विश्वविद्यालय में नियमित हुआ सत्र, कुलपति और रजिस्टार खुद कर रहे हैं मॉनिटरिंग - bhagalpur news today

विश्वविद्यालय में शिक्षा प्रणाली को लेकर पहले हमेशा छात्रों का आंदोलन और विरोध होता रहता था, जो कि अब धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर है. तिलकामांझी विश्वविद्यालय ने अपनी शिक्षा प्रणाली और गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास भी करना शुरू कर दिया है.

तिलकामांझी विश्वविद्यालय
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Published : Aug 3, 2019, 1:54 PM IST

भागलपुर: पढ़ाई और रिजल्ट को लेकर अपनी गुणवत्ता पर बट्टा लगा चुका जिले का तिलका मांझी विश्वविद्यालय अब उसे सुधारने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. प्रति कुलपति रामायतन प्रसाद के अनुसार तिलका मांझी विश्वविद्यालय बिहार का पहला विश्वविद्यालय है, जहां स्नातक और स्नातकोत्तर का सत्र नियमित रूप से चलने लगा है और जो भी अनियमितताएं विश्वविद्यालय में शिक्षा को लेकर थी, वह धीरे-धीरे दूर करने की कोशिश की जा रही है.

विश्वविद्यालय ने पूरे किये 60 वर्ष
हाल ही में विश्वविद्यालय ने अपना 60 वर्ष पूरा कर लिया है और विश्वविद्यालय की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं. बता दें कुछ वर्ष पहले दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री की जांच को लेकर तिलका मांझी विश्वविद्यालय को बदनामी भी झेलने पड़ी थी. उनकी डिग्री की जांच को लेकर जांच कमेटी की टीम भागलपुर के तिलका मांझी विश्वविद्यालय पहुंची थी. जांच टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि जिस कानून की डिग्री जितेंद्र सिंह तोमर के नाम से जारी की गई है वह कितनी वैद्य है. वहीं, दूसरा मामला भागलपुर में स्नातक और स्नातकोत्तर सत्र के अनियमित रूप से चलने और रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर था. काफी दूरदराज से विद्यार्थी अपने रिजल्ट को सुधारने के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर लगाते रहते थे.

तिलकामांझी विश्वविद्यालय में नियमित हुआ सत्र

शिक्षा प्रणाली को लेकर छात्रों का आंदोलन
विश्वविद्यालय में शिक्षा प्रणाली को लेकर पहले हमेशा छात्रों का आंदोलन और विरोध होता रहता था, जो कि अब धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर है. तिलकामांझी विश्वविद्यालय ने अपनी शिक्षा प्रणाली और गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास भी करना शुरू कर दिया है. इन तमाम चीजों की मॉनिटरिंग खुद कुलपति, प्रति कुलपति और रजिस्टार लगातार अपने स्तर पर कर रहे हैं. इसलिए तिलकामांझी विश्वविद्यालय स्नातक और अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम को नियमित और समय से करने में सफल हो पाया है.

भागलपुर: पढ़ाई और रिजल्ट को लेकर अपनी गुणवत्ता पर बट्टा लगा चुका जिले का तिलका मांझी विश्वविद्यालय अब उसे सुधारने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. प्रति कुलपति रामायतन प्रसाद के अनुसार तिलका मांझी विश्वविद्यालय बिहार का पहला विश्वविद्यालय है, जहां स्नातक और स्नातकोत्तर का सत्र नियमित रूप से चलने लगा है और जो भी अनियमितताएं विश्वविद्यालय में शिक्षा को लेकर थी, वह धीरे-धीरे दूर करने की कोशिश की जा रही है.

विश्वविद्यालय ने पूरे किये 60 वर्ष
हाल ही में विश्वविद्यालय ने अपना 60 वर्ष पूरा कर लिया है और विश्वविद्यालय की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं. बता दें कुछ वर्ष पहले दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री की जांच को लेकर तिलका मांझी विश्वविद्यालय को बदनामी भी झेलने पड़ी थी. उनकी डिग्री की जांच को लेकर जांच कमेटी की टीम भागलपुर के तिलका मांझी विश्वविद्यालय पहुंची थी. जांच टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि जिस कानून की डिग्री जितेंद्र सिंह तोमर के नाम से जारी की गई है वह कितनी वैद्य है. वहीं, दूसरा मामला भागलपुर में स्नातक और स्नातकोत्तर सत्र के अनियमित रूप से चलने और रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर था. काफी दूरदराज से विद्यार्थी अपने रिजल्ट को सुधारने के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर लगाते रहते थे.

तिलकामांझी विश्वविद्यालय में नियमित हुआ सत्र

शिक्षा प्रणाली को लेकर छात्रों का आंदोलन
विश्वविद्यालय में शिक्षा प्रणाली को लेकर पहले हमेशा छात्रों का आंदोलन और विरोध होता रहता था, जो कि अब धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर है. तिलकामांझी विश्वविद्यालय ने अपनी शिक्षा प्रणाली और गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास भी करना शुरू कर दिया है. इन तमाम चीजों की मॉनिटरिंग खुद कुलपति, प्रति कुलपति और रजिस्टार लगातार अपने स्तर पर कर रहे हैं. इसलिए तिलकामांझी विश्वविद्यालय स्नातक और अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम को नियमित और समय से करने में सफल हो पाया है.

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पढ़ाई एवं रिजल्ट को लेकर अपनी गुणवत्ता पर बट्टा लगा चुका तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने अपनी गुणवत्ता सुधारने के लिए कमर कस ली है और अपने सभी कॉलेजों में सेशन को नियमित करने का बेहतरीन कार्य कर लिया है प्रति कुलपति रामायतन प्रसाद के अनुसार तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय बिहार का पहला विश्वविद्यालय है जहां कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर का सत्र नियमित रूप से चलने लगा है । और जो भी अनियमितताएं विश्वविद्यालय में शिक्षा को लेकर थी वह धीरे-धीरे दूर करने की कोशिश की जा रही है हाल ही में विश्वविद्यालय ने अपना 60 वर्ष पूरा कर लिया है और विश्वविद्यालय की गुणवत्ता को सुधारने के लिए जो भी संभव प्रयास हैं वह किए जा रहे हैं ।


Body:कुछ वर्ष पहले इसी तिलकामांझी विश्वविद्यालय की डिग्री को लेकर पूरे देश में दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री जांच को लेकर जांच कमेटी की टीम भागलपुर के तिलका मांझी विश्वविद्यालय पहुंची थी और जितेंद्र सिंह तोमर भी साथ में मौजूद थे जांच टीम यह पता लगाने का कोशिश कर रही थी जिस कानून की डिग्री जितेंद्र सिंह तोमर के नाम से जारी की गई है वह कितनी वैद्य है दूसरा मामला भागलपुर में स्नातक और स्नातकोत्तर सत्र के अनियमित रूप से चलने एवं रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर था और काफी दूरदराज से विद्यार्थी अपने रिजल्ट को सुधारने के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर लगाते रहते थे ।


Conclusion:कुल मिलाकर अगर बात करें तो विश्वविद्यालय में शिक्षा प्रणाली को लेकर हमेशा छात्रों का आंदोलन एवं विरोध होता रहता था जो कि अब धीरे-धीरे समाप्त होने के कगार पर है तिलकामांझी विश्वविद्यालय ने अपनी शिक्षा प्रणाली एवं गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास भी करना शुरू कर दिया है इन तमाम चीजों की मॉनिटरिंग खुद कुलपति प्रति कुलपति एवं रजिस्टार लगातार अपने स्तर पर कर रहे हैं और कुछ हद तक सफलता भी मिली है इसलिए तिलकामांझी विश्वविद्यालय स्नातक एवं अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम को नियमित और समय से करने में सफल हो पाया है।

बाइट:कर्नल अरुण कुमार सिंह ,रजिस्ट्रार ,तिलकामांझी विश्वविद्यालय ,भागलपुर
बाइट:डॉ रामायतन प्रसाद ,प्रति कुलपति ,तिलकामांझी विश्वविद्यालय ,भागलपुर

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