भागलपुर: कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में कई लोगों का रोजगार खत्म हो गया है, इसी कड़ी में भागलपुर जिले के मूर्तिकार भी बेरोजगार होने की कगार पर आ गए है, बता दें, जिले में दुर्गा पूजा नजदीक है, लेकिन फिर भी शहर में अब तक ना पंडाल बन रहे है और ना ही किसी मूर्तिकार को भव्य और विशाल प्रतिमा निर्माण करने के लिए कोई आर्डर मिला है, ऐसे में शहर के मूर्तिकारों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है, जिस कारण उनके सामने अपने परिवार के भरण पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है.
दरअसल, इसबार जिले के तमाम मूर्तिकार दुर्गा पूजा को लेकर असमंजस में है कि इस बार मूर्तियां बनाए या ना बनाए और आने वाले त्यौहारों को लेकर भी उनके मन में संशय बना हुआ है. बता दें, शहर में गणेशोत्सव इस बार स्थगित कर दिया गया था और अब दुर्गोत्सव के आयोजन को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है. बता दें, शहर में अमूमन सावन समाप्त होते ही मां दुर्गा के भव्य पंडाल का निर्माण होने लगता था और विशाल प्रतिमा भी बनने लगती थी, लेकिन इस बार शहर के करीब 80 छोटे-बड़े मूर्तिकार को अभी तक प्रतिमा बनाने के लिए कोई आर्डर नहीं मिला है.
कोरोना ने मूर्तिकार को दिया बड़ा झटका
मूर्तिकार इंदु देवी ने कहा कि हर वर्ष मूर्ति बनाकर लाखों रुपए कमाते थे, जिस से हमारा पूरे साल का खर्च निकल जाता था, लेकिन इस बार दुर्गा पूजा होगी या नहीं इसको लेकर भी कोई स्पष्ट नहीं है, ऐसे में घर परिवार कैसे चलेगा इसको लेकर चिंता सता रही है, उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण मेरे दो बेटे जो बाहर रह कर काम करते थे, उनका भी काम छूट गया है और वह भी अभी घर में ही है. मूर्तिकार केसतो पंडित ने कहा कि दुर्गा पूजा और लक्ष्मी पूजा को लेकर चार-पांच महीने पहले से ही तैयारी में जुट जाते हैं, मूर्ति बनाकर घर में रखते है और त्यौहार नजदीक आने पर रंग रोगन सहित उसे सजाने संवारने का काम शुरू करते है, लेकिन इस बार कोरोना ने चिंता बढ़ा दी है.
किसी भी त्यौहार पर नहीं मिला मूर्ती बनाने का ऑर्डर
वहीं, उन्य मुर्तिकार विजय गुप्ता और सुशीला देवी ने कहा कि चैती दुर्गा बनाया था वह भी नहीं बिका, विषहरी पूजा आया उसमें भी आर्डर नहीं मिला, विश्वकर्मा पूजा भी आने वाली है औक उसका भी आर्डर नहीं मिला है, यही नहीं दुर्गा पूजा यहां बड़े धूमधाम से मनायी जाती है, लेकिन किसी भी पूजा समिति द्वारा अब तक आर्डर नहीं मिला है. जबकि, मूर्ति बनाने के लिए उसमें लगने वाला साज सज्जा का सामान कोलकाता से मंगा लिया है, जिसके चलते अब पूंजी फसने का भी डर लग रहा है.
कई मूर्तिकारों का फंसा पैसा
आपको बता दें कि शहर में करीब 150 से अधिक स्थानों पर दुर्गा पूजा होती है और जो जिला प्रशासन से निबंधित है. इसके अलावे कई पूजा कमेटी है, जो बिना निबंध के भी अपने-अपने सोसाइटी में या अपार्टमेंट में प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करती है, लेकिन कोरोना काल में इस वर्ष ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. कई मूर्तिकारों ने मूर्ति के लिए साज सज्जा का सामान भी कोलकाता, दिल्ली से मंगा कर रख लिया है, लेकिन उनकी पूंजी अब फंसती नजर आ रही है.