भागलपुर: दिल्ली में निर्भया गैंग रेप कांड मामले को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित एक विशेष फंड की घोषणा की थी, जिसका नाम "निर्भया फंड " रखा गया. आज जब इस कांड को संसद की मंजूरी मिलने के बाद करीब 8 साल बीत चुके हैं, तब यह जानना जरूरी है कि इस फंड के जरिए सरकार पीड़ितों को कितना लाभ दे पाई हैं.
वन स्टॉप सेंटर की हाल
बात दें कि भागलपुर में वन स्टॉप सेंटर की अस्थाई तौर पर शुरुआत 2 साल पहले ही हुई है, लेकिन सेंटर का ना नाम है और ना ही कोई पता, ऐसे में पीड़ित को न्याय कैसे मिलेगा. इस वजह से जिले में हिंसा की शिकार महिलाओं को कानूनी सहायता के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. वहीं, इसके कई कारण सामने आ रहे है सेंटर पर काउंसलिंग नहीं हो पा रही है, सेंटर कागज पर चल रहा है. वहीं, अधिकारियों की माने तो सेंटर में ठहरने की व्यवस्था नहीं है.
ईटीवी भारत की टीम ने जब पड़ताल की तो कोई सुविधा नजर नहीं आया. भवन पर ना कोई बोर्ड और ना ही कोई पोस्टर था, और ना ही कोई सुविधा, ना डॉक्टर नजर आए ना ही वकील नजर आए. ऐसे में अधिकारी के दावे खोखले साबित हुए. गौरतलब है कि पूरे देश में सरकारें महिला सशक्तिकरण पर काम करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है. निर्भया फंड कि सही मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण योजना धरातल पर दिखाई नहीं पड़ रही है. जबकि केंद्र सरकार निर्भया फंड से 2000-2013 से लेकर अब तक करोड़ों रुपए दिए हैं, पर उसका पर उस रुपए का क्या हो रहा है, उसको देखने वाला कोई नहीं.
मामले की हो रही है निष्पादित
'घरेलू हिंसा के 85 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें से 37 का निष्पादन किया गया. वहीं, जबकि 48 लंबित है. यौन हिंसा या उत्पीड़न के 2 मामले दर्ज किए गए दोनों को निष्पादित किया गया. दहेज प्रताड़ना और दहेज हत्या के 45 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 18 का निष्पादन किया गया 27 मामले लंबित है, जिस पर कार्रवाई चल रही है. वहीं, अन्य मामले दर्ज किए गए पांच निष्पादित हुए हैं, चार अभी लंबित है जिस पर तेजी से काम किया जा रहा है.'- अर्चना कुमारी, नोडल अधिकारी
पीड़िया महिला को मिलेगी सुविधा
'वन स्टॉप सेंटर अस्थाई रूप से चल रहा है. स्थाई वन स्टॉप सेंटर के लिए जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में जमीन को चिन्हित किया गया है और उस जमीन का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्राप्त हो गया है. आगे वहां वन स्टॉप सेंटर भवन निर्माण को लेकर कार्रवाई चल रही है. वन स्टॉप सेंटर में एक ही छत के नीचे पीड़ित महिला को सारी सुविधा मुहैया कराई जाएगी, सरकार की योजना है, किसी भी पीड़ित महिला को हर संभव मदद पहुंचाना है, जिससे लाभ भी मिल रहा है.'- प्रणब कुमार, जिलाधिकारी
एक रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में बिहार को 7 करोड़ 22 लाख रुपए की राशि मिली, जिसमें से बिहार में सरकार ने अब तक 6 करोड़ 97 लाख राशि पीड़ित महिलाओं के बीच बांटी गई है.
बिहार को रुपए आवंटित हुए
- 2014-15 में 13 लाख,
- 2015-16 में 1 करोड़ 98 लाख
- 2017-18 में 3 करोड़ 8 लाख और
- 2018-19 में 3 करोड़ 90 लाख
निर्भया फंड के तहत पूरे देश भर में दुष्कर्म संबंधित शिकायतों और मुआवजे के निस्तारण के लिए 660 जिलों में एकीकृत वन स्टॉप सेंटर बनने थे. जिसे पीड़ितों को कानूनी, आर्थिक मदद नहीं मिले और उसकी पहचान भी छुपी रहे, साथ ही सार्वजनिक स्थान और परिवहन में सीसीटीवी लगाने थे, जिससे की अपराधी की पहचान की जा सके.