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भागलपुरः दाने-दाने को मोहताज हुए वापस लौटे प्रवासी मजदूर, अब तक नहीं मिला रोजगार

वापस लौटे प्रवासी मजदूर बागेश्वरी मांझी ने बताया कि उन्हें काफी उम्मीद थी कि बिहार में सरकार रोजगार देगी और दो वक्त का खाना भी मिलेगा. लेकिन आज वे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं और रोजगार भी नहीं मिल रहा है.

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Published : Jun 16, 2020, 11:52 AM IST

भागलपुरः कोविड-19 का संक्रमण तेजी से पूरे देश में फैल रहा है. इसी बीच बिहार में प्रवासी मजदूरों के लौटने का सिलसिला भी जारी है. राज्य सरकार ने श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने की घोषणा की थी. लेकिन अभी तक श्रमिकों के रोजगार नहीं मिला है. जिससे उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

रोजी रोटी की समस्या
जिले के नाथनगर थाना अंतर्गत महादलित बस्ती में लगभग 100 घरों से ज्यादा की आबादी है. मुसहरी टोले के 53 मजदूर पश्चिम बंगाल में मजदूरी करने के लिए गए थे. जो लॉकडाउन में रोजी रोटी की समस्या से परेशान होकर वापस अपने घर लौट आए. जिसके बाद उन्हें 14 दिन क्वारंटीन सेंटर में रखा गया. लेकिन उसके बाद न उन्हें जॉब कार्ड मिला और न ही सहायता राशि मिली.

देखें रिपोर्ट

सहायता राशि देने की घोषणा
नीतीश सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाले सभी श्रमिकों को जॉब कार्ड और सहायता राशि देने की घोषणा की थी. लेकिन इन श्रमिकों को अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है. जिससे परिवार के भरण पोषण में उन्हें काफी मुश्किलें आ रही हैं. रोज सुबह उठकर मुसहरी टोले के मजदूर कई किलोमीटर चलकर बाजार में काम ढूंढने के लिए जाते हैं लेकिन काम नहीं मिलने पर खाली हाथ वापस चले आते हैं.

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प्रवासी मजदूर

नहीं मिल रहा रोजगार
वापस लौटे प्रवासी मजदूर बागेश्वरी मांझी ने बताया कि उन्हें काफी उम्मीद थी कि बिहार में सरकार रोजगार देगी और दो वक्त का खाना भी मिलेगा. लेकिन आज वे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं और रोजगार भी नहीं मिल रहा है. प्रवासी मजदूर मिठाई मांझी ने कहा कि इस इलाके में मजदूरी का काम नहीं हो रहा है. जिससे मजदूरों के दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त तक नहीं हो पा रहा है.

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काम की तलाश में मायूस मजदूर

सरकार से मांग
वहीं, विधायक अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उद्योग धंधे लगाने की मांग की. जिससे घर लौटे प्रवासियों को दोबारा वापस नहीं जाना पड़े. उन्होंने कहा कि भागलपुर में काफी तरह के उद्योग धंधे टैबलेट किए जा सकते हैं. यहां कतरनी चूड़ा, सिल्क उद्योग आदि विकसित किया जा सकता है. जिससे मजदूरों को रोजगार मिलने में आसानी होगी.

भागलपुरः कोविड-19 का संक्रमण तेजी से पूरे देश में फैल रहा है. इसी बीच बिहार में प्रवासी मजदूरों के लौटने का सिलसिला भी जारी है. राज्य सरकार ने श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने की घोषणा की थी. लेकिन अभी तक श्रमिकों के रोजगार नहीं मिला है. जिससे उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

रोजी रोटी की समस्या
जिले के नाथनगर थाना अंतर्गत महादलित बस्ती में लगभग 100 घरों से ज्यादा की आबादी है. मुसहरी टोले के 53 मजदूर पश्चिम बंगाल में मजदूरी करने के लिए गए थे. जो लॉकडाउन में रोजी रोटी की समस्या से परेशान होकर वापस अपने घर लौट आए. जिसके बाद उन्हें 14 दिन क्वारंटीन सेंटर में रखा गया. लेकिन उसके बाद न उन्हें जॉब कार्ड मिला और न ही सहायता राशि मिली.

देखें रिपोर्ट

सहायता राशि देने की घोषणा
नीतीश सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाले सभी श्रमिकों को जॉब कार्ड और सहायता राशि देने की घोषणा की थी. लेकिन इन श्रमिकों को अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है. जिससे परिवार के भरण पोषण में उन्हें काफी मुश्किलें आ रही हैं. रोज सुबह उठकर मुसहरी टोले के मजदूर कई किलोमीटर चलकर बाजार में काम ढूंढने के लिए जाते हैं लेकिन काम नहीं मिलने पर खाली हाथ वापस चले आते हैं.

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प्रवासी मजदूर

नहीं मिल रहा रोजगार
वापस लौटे प्रवासी मजदूर बागेश्वरी मांझी ने बताया कि उन्हें काफी उम्मीद थी कि बिहार में सरकार रोजगार देगी और दो वक्त का खाना भी मिलेगा. लेकिन आज वे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं और रोजगार भी नहीं मिल रहा है. प्रवासी मजदूर मिठाई मांझी ने कहा कि इस इलाके में मजदूरी का काम नहीं हो रहा है. जिससे मजदूरों के दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त तक नहीं हो पा रहा है.

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काम की तलाश में मायूस मजदूर

सरकार से मांग
वहीं, विधायक अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उद्योग धंधे लगाने की मांग की. जिससे घर लौटे प्रवासियों को दोबारा वापस नहीं जाना पड़े. उन्होंने कहा कि भागलपुर में काफी तरह के उद्योग धंधे टैबलेट किए जा सकते हैं. यहां कतरनी चूड़ा, सिल्क उद्योग आदि विकसित किया जा सकता है. जिससे मजदूरों को रोजगार मिलने में आसानी होगी.

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