भागलपुरः इन दिनों सरकारी महकमे में भागलपुर की प्रसिद्ध चित्र मंजूषा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कवायद जोरों पर है. मंजूषा पेंटिंग भागलपुर में सभी सरकारी भवनों में पायी जाती है. पर अब यह पेंटिंग्स विक्रमशिला एक्सप्रेस की कोच पर भी दिखेंगी.
भागलपुर की प्रसिद्ध पेंटिंग मंजूषा अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है. क्योंकि इस पेंटिंग का बाजार में भी काफी डिमांड है. मंजूषा पेंटिंग से बुने हुए सिल्क के कपड़े देश और विदेश में काफी अच्छे दामों में बिकते हैं. इसकी खास बात यह है कि यह सिर्फ लाल, हरा, पीला तीन रंगों से ही तैयार होता है.
मंजूषा की जानकार चक्रवर्ती देवी
मंजूषा को बनाने वाली चक्रवर्ती देवी अब इस दुनिया में नहीं हैं. वो सिर्फ वहीं एक महिला थी जो इस प्राचीन कला को जानती थीं और उन्होंने कई लोगों को सिखा कर इस कला को पुनर्जीवित कर पहचान दिलाने में खास भूमिका अदा की. चक्रवर्ती देवी को अगर लोक कला मंजूषा की जननी कहा जाए तो गलत नहीं होगा. क्योंकि चक्रवर्ती देवी ही वो महिला हैं जिन्होंने इसका प्रशिक्षण और भी लोगों को देकर इस लोक कला को जिंदा रखा.
टैक्सटाइल इंडस्ट्री में मंजूषा प्रसिद्ध
बता दें की मंजूषा अंग प्रदेश की वह चित्र गाथा है जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. टैक्सटाइल इंडस्ट्री में मंजूषा ने अपनी मौजूदगी दर्ज कर दी है. साथ ही भागलपुर में जितने भी प्रशासनिक भवन और दीवार हैं, हर जगह मंजूषा के चित्र उकेरे गए हैं ताकि मंजूषा अपने अस्तित्व में वापस लौट सकें. मंजूषा चित्र गाथा अंग प्रदेश का एक इतिहास है. इसे जीवित रखने के लिए वैश्विक सरकार के इस कदम की लोग सराहना कर रहे हैं.