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भागलपुर: अगुवानी पुल निर्माण एप्रोच पथ के लिए पटना से आई सर्वेक्षण टीम, जमीन मालिकों ने किया हंगामा

सुल्तानगंज प्रखंड के महेशी गांव में अगुवानी पुल निर्माण एप्रोच पथ के लिए पटना से आई सर्वेक्षण टीम को वापस लौटना पड़ा. दरअसल जमीन मालिकों ने सर्वेक्षण नहीं करने दिया और जमकर प्रदर्शन किया.

जमीन मालिक
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Published : Feb 1, 2021, 4:21 PM IST

भागलपुर: सुल्तानगंज प्रखंड के महेशी गांव में आई सामाजिक समाज अध्ययन संस्थान (पटना) के शोध पदाधिकारी की टीम को बैरंग वापस लौटना पड़ा. इसकी मुख्य वजह किसानों का प्रदर्शन रहा, जिसने उन्हें सर्वेक्षण का काम नहीं करने दिया. इसके बाद जमीन मालिकों ने जमकर हंगामा और प्रदर्शन किया. जिसके बाद शोध पदाधिकारी मिथिलेश कुमार,डॉक्टर सदरूद्दीन समेत सर्वेक्षण टीम को वापस लौटना पड़ा.

'आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण के लिए 2 सदस्यों की टीम महेशी पहुंची, लेकिन ग्रामीणों के द्वारा कड़ा विरोध किया गया. जिसके कारण सर्वेक्षण का काम पूरा नहीं हो पाया.'- डॉक्टर सदरूद्दीन, शोध पदाधिकारी

जमीन मालिकों ने किया कड़ा विरोध
गौर है कि अगुवानी पुल निर्माण एप्रोच पथ के लिए जीरोमाइल और रास्ता निर्माण को लेकर जमीन अधिग्रहण होना है, लेकिन किसानों का कहना है कि जो जमीन लिया जा रहा है उसमें कई फलदार जर्दालू आम के पेड़, घर पोखर और मंदिर आदि शामिल हैं. इस जमीन को लिया गया तो किसानों और स्थानीय ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. किसानों की मांग है कि जो स्थल चुना गया है उस पर पुनर्विचार करते हुए हटकर जमीन अधिग्रहण करती है तो बड़े नुकसान होने से बचा जा सकेगा.

जमीन अधिग्रहण होने से मिट जाएगी जर्दालु आम की पहचान
शोध पदाधिकारी ने बताया कि हम दो लोग पटना से जमीन का सर्वेक्षण करने आए थे, लेकिन किसानों ने कड़ा विरोध जताया और काम नहीं करने दिया. जमीन मालिकों की माने तो महेशी गांव से ही हर साल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत बिहार के पदाधिकारियों को यहां का जर्दालु आम भेजा जाता है. सरकार जबरन जमीन लेती है तो हजारों आम के पेड़ कट जाएगें और यहां की पहचान समाप्त हो जाएगी.

भागलपुर: सुल्तानगंज प्रखंड के महेशी गांव में आई सामाजिक समाज अध्ययन संस्थान (पटना) के शोध पदाधिकारी की टीम को बैरंग वापस लौटना पड़ा. इसकी मुख्य वजह किसानों का प्रदर्शन रहा, जिसने उन्हें सर्वेक्षण का काम नहीं करने दिया. इसके बाद जमीन मालिकों ने जमकर हंगामा और प्रदर्शन किया. जिसके बाद शोध पदाधिकारी मिथिलेश कुमार,डॉक्टर सदरूद्दीन समेत सर्वेक्षण टीम को वापस लौटना पड़ा.

'आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण के लिए 2 सदस्यों की टीम महेशी पहुंची, लेकिन ग्रामीणों के द्वारा कड़ा विरोध किया गया. जिसके कारण सर्वेक्षण का काम पूरा नहीं हो पाया.'- डॉक्टर सदरूद्दीन, शोध पदाधिकारी

जमीन मालिकों ने किया कड़ा विरोध
गौर है कि अगुवानी पुल निर्माण एप्रोच पथ के लिए जीरोमाइल और रास्ता निर्माण को लेकर जमीन अधिग्रहण होना है, लेकिन किसानों का कहना है कि जो जमीन लिया जा रहा है उसमें कई फलदार जर्दालू आम के पेड़, घर पोखर और मंदिर आदि शामिल हैं. इस जमीन को लिया गया तो किसानों और स्थानीय ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. किसानों की मांग है कि जो स्थल चुना गया है उस पर पुनर्विचार करते हुए हटकर जमीन अधिग्रहण करती है तो बड़े नुकसान होने से बचा जा सकेगा.

जमीन अधिग्रहण होने से मिट जाएगी जर्दालु आम की पहचान
शोध पदाधिकारी ने बताया कि हम दो लोग पटना से जमीन का सर्वेक्षण करने आए थे, लेकिन किसानों ने कड़ा विरोध जताया और काम नहीं करने दिया. जमीन मालिकों की माने तो महेशी गांव से ही हर साल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत बिहार के पदाधिकारियों को यहां का जर्दालु आम भेजा जाता है. सरकार जबरन जमीन लेती है तो हजारों आम के पेड़ कट जाएगें और यहां की पहचान समाप्त हो जाएगी.

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