भागलपुरः बिहार के पहले कछुआ रेस्क्यू सेंटर में दरभंगा में मुक्त कराए गए घायल कछुआ को इलाज के लिए लाया गया है. जहां उसका इलाज वन प्रमंडल भागलपुर के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीत कुमार की देखरेख में चल रहा है. कछुआ का एक पैर गंभीर रूप से घायल है. जिसे इंजेक्शन दिया गया है, कछुआ की हालत में सुधार है.
गंगा नदी में रहते हैं 14 प्रजाति के कछुए
गौरतलब हो कि दरभंगा वन विभाग ने भागलपुर के बरारी स्थित सुंदरवन परिसर में बने रेस्क्यू सेंटर में घायल कछुए को इलाज के लिए भेजा है. कछुआ नीलसोनिया गंगेटीका नस्ल का है. ये देश के उन्नत नस्ल में से एक है. विश्व में कछुआ की 260 प्रजाति है. एशिया में कछुए की 85 प्रजाति मिलती है. भारत में कछुए की 28 प्रजाति मौजूद है. जिसमें से गंगा नदी में 14 प्रजाति के कछुए रहते हैं. भारत में 17 प्रजाति विलुप्त हो गई है.
15 लाख की लागत से बना कछुआ रेस्क्यू सेंटर
भागलपुर के सुंदरवन में 15 लाख की लागत से कछुआ रेस्क्यू सेंटर बनवाया गया है. यह रेस्क्यू सेंटर केंद्र सरकार की प्रायोजित योजना के तहत पुनर्वासन केंद्र के लिए वन विभाग ने तैयार करवाया है. इस रेस्क्यू सेंटर में तस्करों से छुड़ाए गए कछुए का पहले इलाज कराया जाएगा, इसके बाद स्वस्थ होने पर कछुआ को गंगा के मुख्यधारा में छोड़ा जाएगा. हालांकि नवनिर्मित बने कछुआ रेस्क्यू सेंटर का विधिवत उद्घाटन अभी नहीं किया गया है.
कछुए के ठीक होने में 3 सप्ताह लगेगा
भागलपुर वन प्रमंडल के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीत कुमार ने बताया कि वन विभाग दरभंगा ने इस कछुआ को तस्करों से मुक्त कराया है. निलसोनिया गंगेटिक नस्ल का कछुआ भागलपुर के रेस्क्यू सेंटर में भर्ती कराया गया है. कछुआ घायल है, जिसका इलाज किया जा रहा है, कछुए की देखरेख के लिए एक केयरटेकर को भी लगाया गया है. उसे रेस्क्यू सेंटर में फिल्टर पानी में डाला गया है. उसे इंजेक्शन भी लगाया गया है. कछुआ पहले से स्वस्थ है. उसे खाने के लिए मछली दिया जा रहा है. कछुए को स्वस्थ होने में करीब 3 सप्ताह का समय लगेगा.
छोटे-छोटे खोह बना कर रहते हैं कछुए
बता दें कि सुल्तानगंज, जहांगिरा और अकबरनगर के पास गंगा किनारे बांध में छोटे-छोटे खोह बना कर कछुए रहते हैं. खासतौर पर बलुआही वाले क्षेत्र में कछुए रहते हैं. जहां से गंगा का पानी भी यह अपने जरूरत के अनुसार लेते हैं और जलीय जीवों को खाकर अपना गुजारा करते हैं. आपको इस इलाके में गंगा की यात्रा करने पर ऐसे दर्जनों कछुए गंगा किनारे नाव के जरनैटर के शोरगुल से भागते हुए दिखाई दे जाएंगे.