भागलपुर: बिहार का भागलपुर इन दिनों एक खास वजह से चर्चा में है. वजह ग्रेट इंडियन बर्ड्स या सोन चिड़िया है. दरअसल, भागलपुर के सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव के बीच गंगा नदी किनारे लगी वृक्षों पर इनदिनों सोन चिड़िया के आकर्षक घोंसले दिखाई दे रहे हैं. इन घोंसलों की सुंदरता और बनावट किसी से छिपी नहीं है. खूबसूरती इस कदर है कि अनायास ही हर राहगीर यहां रुककर इसे निहारते नजर आ रहे हैं.
यह बात बहुत कम ही लोगों को पता है कि सोन चिड़िया एक समय भारत की राष्ट्रीय पक्षी घोषित होने वाली थी. सोन चिड़िया को अंग्रेजी में ग्रेट इंडियन बर्ड्स भी कहा जाता है. मौजूदा समय में यह चिड़िया विलुप्त होने की कगार पर है. बहुत दुख की बात है कि मौजूदा समय में भारत में केवल 500 सोन चिड़िया ही शेष रह गई है.
कहा जाता है बुनकर पक्षी
प्रजनन काल में इस चिड़िया का रंग सोने की तरह सुनहरा हो जाता है इसलिए इसे 'सोन चिड़िया' कहा जाता है. मालूम हो कि सोन चिड़िया सबसे अलग और अनोखा घोसला बनाता है, इसी वजह से इसे बुनकर पक्षी के नाम से भी जाना जाता है. यह चिड़िया अपने बच्चों को रखने के लिए छोटे-छोटे घास के तिनकों और पत्तियों से लालटेननुमा लटकता हुआ अनोखा घोसला तैयार करता है.
सोन चिड़िया का प्रजनन काल
सोन चिड़िया को सामाजिक पक्षी भी कहते हैं इसलिए एक पेड़ पर दर्जनों पक्षियों के घोंसले दिखाई देते हैं. इस पक्षी का प्रजनन काल मानसून के दौरान होता है. इस समय नर चिड़िया पत्तियों और घास के लंबे तिनकों से शानदार घोसला का निर्माण करता है. करीब 500 बार वह घास और पत्तियां लाता है. इसके बाद लगभग 28 दिनों में घोंसला तैयार कर मादा सोन चिड़ियों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
मैदानों में पाया जाता है ये पक्षी
खूबसूरत सोन चिड़िया घास के मैदानों में पाया जाने वाला पक्षी है जो खुले इलाके में रहने के कारण शायद खतरे में पड़ जाता है. घटते मैदान और रेगिस्तान में बेहतर सिंचाई व्यवस्था नहीं रहने के कारण इनका प्राकृतिक निवास सिकुड़ता जा रहा है. साथ ही इनका मांस के लिए भी जमकर शिकार हुआ. जिस वजह से यह पक्षी विलुप्त होने के कगार पर है.
क्या कहते हैं वन प्रमंडल अधिकारी
भागलपुर वन प्रमंडल अधिकारी एस. सुधाकर ने बताया कि भागलपुर सेंट्रल एशियन फ्लाईवे में पड़ता है. जिस वजह से विदेशी पक्षी विंटरिंग करने के लिए अपने घर से निकलता है तो उसके अनुकूल मौसम यहां मिलता है. जहां वे रुक जाते हैं. इस बार मौसम के साथ-साथ पर्यावरण भी शुद्ध हुआ है. जिस वजह से इस मौसम में भी प्रवासी पक्षी यहां पर मौजूद हैं.
वन संरक्षित पक्षियों की श्रेणी में है सोन चिड़िया
बता दें कि सोन चिड़िया को वन के संरक्षित वन प्राणियों की श्रेणी में रखा गया है. इसके शिकार पर पूर्णतः पाबंदी है. प्रभावी संरक्षण के लिए संरक्षित क्षेत्र के आसपास बसावट को भी रोका गया है. भारत के कई इलाकों से यह पक्षी विलुप्त हो चुका है. साल 2013 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर इलाके में यह पक्षी बहू आयात संख्या में पाया गया था.