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सरकारी उदासीनता से किसान मायूस, बोले- सिर्फ कागजों पर ही चलती है योजनाएं - कागजों में सिमटी सरकार की योजनाएं

पंजाब सरकार ने खेती के लिये बिजली और पानी की समुचित व्यवस्था की है. फसलों का समय पर पटवन किया जाता है, वहां फसल की अच्छी उपज होती है. इस कारण वहां के किसान खुशहाल हैं.

सरकार के उदासीन रवैये से किसान मायूस
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Published : Aug 16, 2019, 1:46 PM IST

भागलपुर: जिले के युवा किसान, सरकार के रवैये से काफी मायूस हैं. इनका कहना है कि खेती करने के लिये सरकार इन्हें किसी तरह की मदद नहीं पहुंचा रही है. सुविधा के नाम पर इन्हें कुछ भी नहीं दिया जाता है. जबकि अन्य राज्यों में सरकार किसानों को हर संभव सुविधा मुहैया करा रही है.

bhagalpur
रोपनी करती महिलाएं

कागजों में सिमटी सरकार की योजनाएं
भागलपुर का दक्षिणी छोर कृषि के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां के युवा सरकार की व्यवस्था से नाराज हैं. काझा गांव के रहने वाले एक किसान ने बताया कि वो पंजाब में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं, लेकिन खेती के समय वो हर साल अपने गांव आते हैं. हमारे यहां फसल, खाद और पानी के अभाव में नष्ट हो जाता है. जिस कारण हमें रोजी-रोटी के लिए शहर की ओर जाना पड़ता है. यहां पर न ही कोई सिंचाई की व्यवस्था है, ना ही कोई नहर है. इसे लेकर सरकार कई तरह की योजनाएं बनाती तो है लेकिन सब कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है. सरकार का हर दावा यहां खोखला साबित हो रहा है.

बिहार सरकार के उदासीन रवैये से किसान मायूस

अन्य राज्यों की सरकार दे रही है बेहतर सुविधा
युवा किसान ने कहा कि वह पंजाब में रहते हैं और वहां के किसानों को देखकर प्रेरित होते हैं. पंजाब सरकार ने खेती के लिये बिजली और पानी की समुचित व्यवस्था की है. फसलों का समय पर पटवन किया जाता है, वहां फसल की अच्छी उपज होती है. इस कारण वहां के किसान खुशहाल हैं. हम अपने गांव में पूरी मेहनत से खेती करते हैं फिर भी उसका कोई लाभ नहीं मिलता है.

भागलपुर: जिले के युवा किसान, सरकार के रवैये से काफी मायूस हैं. इनका कहना है कि खेती करने के लिये सरकार इन्हें किसी तरह की मदद नहीं पहुंचा रही है. सुविधा के नाम पर इन्हें कुछ भी नहीं दिया जाता है. जबकि अन्य राज्यों में सरकार किसानों को हर संभव सुविधा मुहैया करा रही है.

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रोपनी करती महिलाएं

कागजों में सिमटी सरकार की योजनाएं
भागलपुर का दक्षिणी छोर कृषि के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां के युवा सरकार की व्यवस्था से नाराज हैं. काझा गांव के रहने वाले एक किसान ने बताया कि वो पंजाब में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं, लेकिन खेती के समय वो हर साल अपने गांव आते हैं. हमारे यहां फसल, खाद और पानी के अभाव में नष्ट हो जाता है. जिस कारण हमें रोजी-रोटी के लिए शहर की ओर जाना पड़ता है. यहां पर न ही कोई सिंचाई की व्यवस्था है, ना ही कोई नहर है. इसे लेकर सरकार कई तरह की योजनाएं बनाती तो है लेकिन सब कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है. सरकार का हर दावा यहां खोखला साबित हो रहा है.

बिहार सरकार के उदासीन रवैये से किसान मायूस

अन्य राज्यों की सरकार दे रही है बेहतर सुविधा
युवा किसान ने कहा कि वह पंजाब में रहते हैं और वहां के किसानों को देखकर प्रेरित होते हैं. पंजाब सरकार ने खेती के लिये बिजली और पानी की समुचित व्यवस्था की है. फसलों का समय पर पटवन किया जाता है, वहां फसल की अच्छी उपज होती है. इस कारण वहां के किसान खुशहाल हैं. हम अपने गांव में पूरी मेहनत से खेती करते हैं फिर भी उसका कोई लाभ नहीं मिलता है.

Intro:भारत कृषि प्रधान देश है । कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था व भारतीय जीवन के मुख्य दूरी है । पुराने जमाने में किसी की हैसियत का अनुमान खेती से लगाया जाता था ,लेकिन वर्तमान में खेती को सबसे नीचे का दर्जा दिया जाने लगा है । इसका एकमात्र कारण है सरकार की कृषि एवं किसानों के उत्थान के लिए नीतियां और उन नीतियों का क्रियान्वयन सही से नहीं होना । आज की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था युवा किसानों को गांव और खेती से पलायन को मजबूर कर रही है । किसान खेती काफी परेशान हो गए हैं और वह खेती छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं , यदि इसी प्रकार युवा किसानों का ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन होता गया तो आने वाले समय में किसान सिर्फ अपने परिवार के खाने लायक फसल का उत्पादन करेगा और अपनी शेष कृषि भूमि को खाली छोड़ देगा ।

भागलपुर जिले का दक्षिणी छोर कृषि के लिए जाना जाता है और यहां के युवा के किसान जिस तरह से कृषि से तंग आ रहे हैं । वह इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि इसी तरह से यदि सरकार की नीतियां चलती रही तो आने वाले दिनों में कोई भी युवा खेती कि ओर ध्यान नहीं देगा ।



Body:भागलपुर जिले को धान की अच्छी उपज देने वाला दक्षिणी छोर का काझा गांव में अपने खेत में काम कर रहे हैं युवा किसान अनिक अथर्व से हमने बात की । उनसे जाना की यहां खेती करना कितना आसान है । जब हमने युवा किसान अनिक अथर्व से बात किया तो उन्होंने बताया कि वे पंजाब में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं । खेती के समय घर आता हैं और खेती में लग जाता हैं । उन्होंने कहा कि जब वह पंजाब में रहता हैं तो वहां के किसान को देखकर वह प्रेरित होता हैं । वहां के खेत खेत में बिजली और पानी की व्यवस्था सरकार द्वारा किया गया है सारे फसल को समय पर सब चीज मिल जाता है जिसके कारण वहां के किसान खुशहाल हैं ।. उसको देखकर जब हम अपने घर बिहार आते हैं तो यहां देखते हैं कि कोई व्यवस्था नहीं है फिर भी हम लोग प्रयास करते हैं । खेती में मेहनत भी करते हैं लेकिन उसका लाभ कुछ नहीं मिलता है ।.फसल बर्बाद हो जाता है बिना पानी बिना खाद के । जिस कारण हम लोगों को फिर अपनी रोजी-रोटी के लिए शहर की ओर जाना पड़ जाता है । यहां पर ना ही कोई सिंचाई की व्यवस्था है ना ही कोई नहर है । सरकार नीतियां बनाती है , वह नीतियां सिर्फ कागज बाजी तक ही रह जाता है । जमीनी हकीकत कुछ भी नहीं है । यदि सरकार दावा करती है कि वह किसान के लिए बहुत कुछ किया है तो अपने जिम्मेदार अधिकारी से जांच कराना चाहिए फिर सच्चाई का पता चल जाएगा ।


Conclusion:visual
byte - अनिक अथर्व ( युवा किसान )
PTC
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