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बाढ़ में सरकारी मदद भूल जाओ.. छप्पर पर बसेरा.. कहीं छत पर ठिकाना.. ऐसा मंजर देखा है?

बिहार के ज्यादातर इलाकों में नदियां उफान पर है. भागलपुर के कई प्रखंड के सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके हैं. घरों में पानी घुसने के बावजूद लोग छतों पर पॉलीथीन टांगकर रह रहे हैं. प्रतिदिन नाव से शहर जाकर खाद्यान की व्यवस्था करके घरों में आ जाते हैं. ताकि अपने सामान की सुरक्षा कर सकें.

घर की छतों पर लोग
घर की छतों पर लोग
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Published : Aug 16, 2021, 4:48 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 5:30 PM IST

भागलपुरः उत्तराखंड और नेपाल में हो रही बारिश के कारण बिहार में गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि (rise in the water level of river) हो रही है. भागलपुर के अधिकांश इलाकों में बाढ़ की स्थिति (flood situation) बनी हुई है. खासकर गंगा से सटे इलाके और दियारा इलाके में रहने वाले लोगों के लिए बाढ़ कहर बनकर टूटी है. घरों में पानी घुस जाने से दियारा इलाके के लोग छप्परों पर अपना गुजारा कर रहे हैं. ये लोग राशन पानी के लिए रोजाना नाव से शहर जाते हैं और वहां राशन पानी की व्यवस्था करके फिर से घरों में आ जाते हैं.

ये भी पढ़ें- रिंग बांध में रिसाव से उफान पर सरयू नदी, नेशनल हाईवे तक पहुंचा बाढ़ का पानी

बता दें कि सुल्तानगंज, नाथनगर ,सबौर प्रखंड के दियारा इलाके के सभी गांव जलमग्न हैं. इन इलाकों में करीब 15 से 20 हजार लोग रह रहे हैं. यहां अभी घरों में 10 से 15 फीट पानी है. खान-पान की समस्या के साथ इनकी परेशानी का कारण सांप समेत जहरीले जीव-जंतु भी हैं. जान को जोखिम में डालते हुए लोग घरों के छप्पर पर पॉलीथीन और तिरपाल लगाकर रहने को मजबूर हैं. सैकड़ों परिवार ऐसे पानी के बीच दिन गुजार रहे हैं. स्थिति ऐसी बनी है कि लोग शहर आकर राशन-पानी लेकर लौटते हैं तो नाव से सीधे अपने घर के छप्पर पर उतर रहे हैं.

भागलपुर सखी चंद्र घाट से अपने गांव शंकरपुर दियारा लौट रही विमला देवी ने बताया कि घर को छोड़कर बाहर नहीं रह सकते. छोटे-छोटे बच्चों और जानवरों को ऊंचे स्थानों पर भेज दिये हैं. हम रोज घर आते-जाते रहते हैं और वहां सामान की देख-रेख करते हैं.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- बाढ़ ने सारण के नए इलाकों में मचाई तबाही, लोग दहशत में जीने को मजबूर

नाव से अपने गांव दारापुर लौट रही सुमित्रा देवी और सुलोचना देवी ने बताया कि 20 दिन से उनके घर में पानी है. जानवरों को और जरूरी सामान शहर में भेज दिये हैं. घर में बहुत सारा सामान अभी है. इसलिए रोजाना हम लोग आते-जाते रहते हैं. कुछ लोग शहर में तो कुछ लोग गांव में सोते हैं. सत्तू और सूखा राशन खाकर समय गुजारते हैं. पीने की पानी की काफी समस्या है. सरकारी मदद दियारा इलाके में नहीं मिल रही है.

दारापुर गांव में अपने घर के छप्पर पर रह रहे कालीचरण मंडल ने बताया कि उन लोगों को सरकारी सुविधा नहीं मिली है. वे अपने पैसे से त्रिपाल खरीद कर घर के छत पर टांग कर परिवार के साथ रह रहे हैं. गांव में कई बच्चे, बूढ़े बीमार हैं, लेकिन यहां डॉक्टर देखने नहीं आते हैं. गांव में बहुत समस्या है, सरकारी अधिकारी को आकर देखना चाहिए. घर छोड़ कर हम लोग नहीं जा सकते क्योंकि यहां पर बहुत सारा सामान है.

ये भी पढ़ें- बिहार में लगातार बढ़ रहा है गंगा का जलस्तर, राजधानी पर बाढ़ का खतरा बरकरार

शहर में कोचिंग कर लौट रही पिंकी कुमारी ने बताया कि वे रोजाना पढ़ने के लिए नाव से शहर जाती हैं. गांव में पानी घर में भर गया है. घर की छत पर तिरपाल लगाकर परिवार रहता है. पढ़कर कुछ बनना चाहती हैं इसलिए रोज पढ़ने के लिए नाव से आती-जाती हैं.

भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से करीब साढ़े 3 मीटर ऊपर बह रही हैं. बिहार में गंगा और कोसी समेत ज्यादातर नदियां उफान पर हैं. भागलपुर में बाढ़ के हालात डराने वाले हैं. दियारा इलाके में चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है. स्थानीय प्रशासन की तरफ से जरूरी कदम उठाये जाने का दावा किया जा रहा है. फिर भी प्रभावित क्षेत्र के लोग मचान बनाकर छत पर या फिर दूसरे घरों पर शरण लेने को मजबूर हैं. हालांकि जिला प्रशासन द्वारा किसी भी संभावित घटना को रोकने के लिए एसडीआरएफ की टीम को तैनात किया गया है.

ये भी पढ़ें- Patna Flood News: मनेर दियारा के कई पंचायतों में घुसा बाढ़ का पानी, पलायन को मजबूर हुए लोग

भागलपुरः उत्तराखंड और नेपाल में हो रही बारिश के कारण बिहार में गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि (rise in the water level of river) हो रही है. भागलपुर के अधिकांश इलाकों में बाढ़ की स्थिति (flood situation) बनी हुई है. खासकर गंगा से सटे इलाके और दियारा इलाके में रहने वाले लोगों के लिए बाढ़ कहर बनकर टूटी है. घरों में पानी घुस जाने से दियारा इलाके के लोग छप्परों पर अपना गुजारा कर रहे हैं. ये लोग राशन पानी के लिए रोजाना नाव से शहर जाते हैं और वहां राशन पानी की व्यवस्था करके फिर से घरों में आ जाते हैं.

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बता दें कि सुल्तानगंज, नाथनगर ,सबौर प्रखंड के दियारा इलाके के सभी गांव जलमग्न हैं. इन इलाकों में करीब 15 से 20 हजार लोग रह रहे हैं. यहां अभी घरों में 10 से 15 फीट पानी है. खान-पान की समस्या के साथ इनकी परेशानी का कारण सांप समेत जहरीले जीव-जंतु भी हैं. जान को जोखिम में डालते हुए लोग घरों के छप्पर पर पॉलीथीन और तिरपाल लगाकर रहने को मजबूर हैं. सैकड़ों परिवार ऐसे पानी के बीच दिन गुजार रहे हैं. स्थिति ऐसी बनी है कि लोग शहर आकर राशन-पानी लेकर लौटते हैं तो नाव से सीधे अपने घर के छप्पर पर उतर रहे हैं.

भागलपुर सखी चंद्र घाट से अपने गांव शंकरपुर दियारा लौट रही विमला देवी ने बताया कि घर को छोड़कर बाहर नहीं रह सकते. छोटे-छोटे बच्चों और जानवरों को ऊंचे स्थानों पर भेज दिये हैं. हम रोज घर आते-जाते रहते हैं और वहां सामान की देख-रेख करते हैं.

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नाव से अपने गांव दारापुर लौट रही सुमित्रा देवी और सुलोचना देवी ने बताया कि 20 दिन से उनके घर में पानी है. जानवरों को और जरूरी सामान शहर में भेज दिये हैं. घर में बहुत सारा सामान अभी है. इसलिए रोजाना हम लोग आते-जाते रहते हैं. कुछ लोग शहर में तो कुछ लोग गांव में सोते हैं. सत्तू और सूखा राशन खाकर समय गुजारते हैं. पीने की पानी की काफी समस्या है. सरकारी मदद दियारा इलाके में नहीं मिल रही है.

दारापुर गांव में अपने घर के छप्पर पर रह रहे कालीचरण मंडल ने बताया कि उन लोगों को सरकारी सुविधा नहीं मिली है. वे अपने पैसे से त्रिपाल खरीद कर घर के छत पर टांग कर परिवार के साथ रह रहे हैं. गांव में कई बच्चे, बूढ़े बीमार हैं, लेकिन यहां डॉक्टर देखने नहीं आते हैं. गांव में बहुत समस्या है, सरकारी अधिकारी को आकर देखना चाहिए. घर छोड़ कर हम लोग नहीं जा सकते क्योंकि यहां पर बहुत सारा सामान है.

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शहर में कोचिंग कर लौट रही पिंकी कुमारी ने बताया कि वे रोजाना पढ़ने के लिए नाव से शहर जाती हैं. गांव में पानी घर में भर गया है. घर की छत पर तिरपाल लगाकर परिवार रहता है. पढ़कर कुछ बनना चाहती हैं इसलिए रोज पढ़ने के लिए नाव से आती-जाती हैं.

भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से करीब साढ़े 3 मीटर ऊपर बह रही हैं. बिहार में गंगा और कोसी समेत ज्यादातर नदियां उफान पर हैं. भागलपुर में बाढ़ के हालात डराने वाले हैं. दियारा इलाके में चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है. स्थानीय प्रशासन की तरफ से जरूरी कदम उठाये जाने का दावा किया जा रहा है. फिर भी प्रभावित क्षेत्र के लोग मचान बनाकर छत पर या फिर दूसरे घरों पर शरण लेने को मजबूर हैं. हालांकि जिला प्रशासन द्वारा किसी भी संभावित घटना को रोकने के लिए एसडीआरएफ की टीम को तैनात किया गया है.

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Last Updated : Aug 16, 2021, 5:30 PM IST
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