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भागलपुर के किसानों की बढ़ेगी आमदनी, बाग-बगीचों में होगी अदरक और हल्दी की खेती - ETV Bharat Bihar

भागलपुर के किसान कतरनी चावल, चूड़ा, सिल्क की तरह अब अदरक और हल्दी उत्पादन में भी बिहार में झंडा गाड़ सकेंगे. कृषि विभाग ने एकीकृत उद्यान विकास योजना के तहत इन तीन मौसमी पौधों ओल, अदरक और हल्दी की रोपनी के लिए 280 एकड़ में खेती का लक्ष्य रखा है. पढ़ें पूरी खबर

farmers of Bhagalpur
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Published : Nov 14, 2022, 11:05 PM IST

भागलपुर : बिहार के भागलपुर की पहचान अब तक आम और कतरनी चावल की रही (farmers of Bhagalpur) है, लेकिन अब यहां के किसान ओल, अदरक और हल्दी का उत्पादन भी करेंगे. इससे किसानों की आमदनी दोगुनी होगी. भागलपुर के करीब 300 एकड़ भूमि पर इनकी खेती का लक्ष्य रखा गया है. ओल, अदरक और हल्दी के बीज और उस पर मिलने वाली सब्सिडी के लिए निबंधन इसी माह शुरू होगा.

ये भी पढ़ें - भागलपुर में आंदोलन के मूड में लोग, भोलानाथ पुल फ्लाईओवर को पहुंच पथ से जोड़ने की मांग

भागलपुर अब अदरक- हल्दी की पैदावार में बनाएगा पहचान : कृषि विभाग ने एकीकृत उद्यान विकास योजना के तहत इन तीन मौसमी पौधों की रोपनी के लिए 280 एकड़ में खेती का लक्ष्य रखा गया (cultivation of ginger and turmeric in Bihar) है. भागलपुर कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भागलपुर जिले के पीरपैंती, कहलगांव और बिहपुर इलाके में प्रयोग के तौर पर कई किसानों ने इसकी खेती की थी. इसके बाद इसके पैदावार से होने वाले लाभ के बाद इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी किसानों को जागरूक किया गया है.

बता दें कि बिहार में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार बागवानी के साथ-साथ जमीन के अंदर पैदा होने वाले फसलों पर किसानों को अनुदान देने का निर्णय लिया है. कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय ने यह पहल मानसून के पहले ज्यादा से ज्यादा बागवानी को बढ़ावा देने की उद्देश्य से की है. इसमें मुख्य रूप से आम, लीची और अमरूद के बाग में अदरक, हल्दी और ओल की खेती के लिए किसानों को कृषि विभाग के अधिकारी प्रेरित करेंगे. इससे किसानों की खेती पर लगने वाली लागत को कम करने के लिए अनुदान का प्रविधान किया गया है.

तीनों फसल पेड़ के छांव में भी हो सकते हैं : सरकार का मानना है कि ये तीनों फसल पेड़ के छांव में भी हो सकते हैं, इसलिए इन तीनों फसल का चयन किया गया है. इसके लिए किसानों को अलग से खाली खेतों में फसल लगाने की जरूरत नहीं होगी. आम और लीची के अलावा अमरूद के बगीचे या इमारती लकड़ी के बगीचे में पेड़ के अलावा जो जमीन होती है वह पूरे साल खाली पड़ी रहती है. इससे किसानों को कोई आमदनी नहीं होती है.

''जिले में तीन प्रखंडों पीरपैंती, कहलगांव और बिहपुर में योजना के तहत खेती होती है. अदरक के लिए 30 हेक्टेयर, ओल के लिए 50 हेक्टेयर और हल्दी के लिए 200 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना में 50 फीसदी सब्सिडी मिलती है. इन फसलों की बुआई आम तौर पर अप्रैल-मई में होती है और सितंबर-अक्टूबर में उखाड़कर इसे उपयोग में लाया जाता है.'' - विकास कुमार, सहायक निदेशक (उद्यान), भागलपुर

विकास कुमार ने बताया कि बिहार राज्य पोषित एकीकृत उद्यान विकास योजना अभी राज्य के 12 जिलों में लागू है. एक अनुमान के मुताबिक, आम और लीची के बगीचों में 40 प्रतिशत भूमि पर ही पेड़ लगे होते हैं, शेष 60 प्रतिशत जमीन खाली रहती है. खाली पड़ी जमीन पर ओल, अदरक और हल्दी की खेती होगी. इन फसलों को धूप कम मिलने पर भी उत्पादन पर असर नहीं पड़ता है. बिहार में डेढ़ लाख हेक्टेयर में आम, 33 हजार हेक्टेयर में लीची और 27 हजार हेक्टेयर में अमरूद की खेती होती है.

भागलपुर : बिहार के भागलपुर की पहचान अब तक आम और कतरनी चावल की रही (farmers of Bhagalpur) है, लेकिन अब यहां के किसान ओल, अदरक और हल्दी का उत्पादन भी करेंगे. इससे किसानों की आमदनी दोगुनी होगी. भागलपुर के करीब 300 एकड़ भूमि पर इनकी खेती का लक्ष्य रखा गया है. ओल, अदरक और हल्दी के बीज और उस पर मिलने वाली सब्सिडी के लिए निबंधन इसी माह शुरू होगा.

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भागलपुर अब अदरक- हल्दी की पैदावार में बनाएगा पहचान : कृषि विभाग ने एकीकृत उद्यान विकास योजना के तहत इन तीन मौसमी पौधों की रोपनी के लिए 280 एकड़ में खेती का लक्ष्य रखा गया (cultivation of ginger and turmeric in Bihar) है. भागलपुर कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भागलपुर जिले के पीरपैंती, कहलगांव और बिहपुर इलाके में प्रयोग के तौर पर कई किसानों ने इसकी खेती की थी. इसके बाद इसके पैदावार से होने वाले लाभ के बाद इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी किसानों को जागरूक किया गया है.

बता दें कि बिहार में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार बागवानी के साथ-साथ जमीन के अंदर पैदा होने वाले फसलों पर किसानों को अनुदान देने का निर्णय लिया है. कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय ने यह पहल मानसून के पहले ज्यादा से ज्यादा बागवानी को बढ़ावा देने की उद्देश्य से की है. इसमें मुख्य रूप से आम, लीची और अमरूद के बाग में अदरक, हल्दी और ओल की खेती के लिए किसानों को कृषि विभाग के अधिकारी प्रेरित करेंगे. इससे किसानों की खेती पर लगने वाली लागत को कम करने के लिए अनुदान का प्रविधान किया गया है.

तीनों फसल पेड़ के छांव में भी हो सकते हैं : सरकार का मानना है कि ये तीनों फसल पेड़ के छांव में भी हो सकते हैं, इसलिए इन तीनों फसल का चयन किया गया है. इसके लिए किसानों को अलग से खाली खेतों में फसल लगाने की जरूरत नहीं होगी. आम और लीची के अलावा अमरूद के बगीचे या इमारती लकड़ी के बगीचे में पेड़ के अलावा जो जमीन होती है वह पूरे साल खाली पड़ी रहती है. इससे किसानों को कोई आमदनी नहीं होती है.

''जिले में तीन प्रखंडों पीरपैंती, कहलगांव और बिहपुर में योजना के तहत खेती होती है. अदरक के लिए 30 हेक्टेयर, ओल के लिए 50 हेक्टेयर और हल्दी के लिए 200 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना में 50 फीसदी सब्सिडी मिलती है. इन फसलों की बुआई आम तौर पर अप्रैल-मई में होती है और सितंबर-अक्टूबर में उखाड़कर इसे उपयोग में लाया जाता है.'' - विकास कुमार, सहायक निदेशक (उद्यान), भागलपुर

विकास कुमार ने बताया कि बिहार राज्य पोषित एकीकृत उद्यान विकास योजना अभी राज्य के 12 जिलों में लागू है. एक अनुमान के मुताबिक, आम और लीची के बगीचों में 40 प्रतिशत भूमि पर ही पेड़ लगे होते हैं, शेष 60 प्रतिशत जमीन खाली रहती है. खाली पड़ी जमीन पर ओल, अदरक और हल्दी की खेती होगी. इन फसलों को धूप कम मिलने पर भी उत्पादन पर असर नहीं पड़ता है. बिहार में डेढ़ लाख हेक्टेयर में आम, 33 हजार हेक्टेयर में लीची और 27 हजार हेक्टेयर में अमरूद की खेती होती है.

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