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बाढ़ में भी नहीं टूटा हौसला: पूरे घर में पानी भरा तो छप्पर पर नीतीश कर रहा पढ़ाई

भागलपुर में बाढ़ (Bhagalpur Flood) के कारण कई गांव टापू बन चुके हैं. लोगों को तो समस्याएं हो ही रही है, छात्रों की भी पढ़ाई बाधित हो गई है. लेकिन छात्रों में पढ़ाई करने का जुनून ऐसा है कि बाढ़ के बीच अपने घर के छप्पर में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसी ही एक तस्वीर सबौर प्रखंड के बगडेर बगीचे से सामने आई है. पढ़ें पूरी खबर..

Bhagalpur flood news
Bhagalpur flood news
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Published : Aug 14, 2021, 4:07 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 4:49 PM IST

भागलपुर: बाढ़ की वजह से बिहार (Bihar Flood) के भागलपुर (Bhagalpur Flood) के 16 प्रखंड में से लगभग 10 प्रखंड जलमग्न हो गए हैं. यहां के कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. बाढ़ के बीचों बीच छात्र अपनी पढ़ाई करने को भी मजबूर हैं. छप्पर में बैठ छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं ताकि इनका भविष्य उज्जवल हो सके.

यह भी पढ़ें- बाढ़ से भागलपुर में बिगड़ रहे हालात, सड़कों पर चल रही नाव, NH-80 पर चढ़ा पानी

सबौर प्रखंड के बगडेर बगीचे के रहने वाले नीतीश का पूरा गांव जलमग्न हो चुका है. घर में रखा सारा सामान पानी में डूब चुका था. नीतीश की किताबें भी पानी से भीग चुके थे. नीतीश की नजर जैसे ही अपने पानी में डूबते किताबों पर पड़ी उसने सबकुछ छोड़ पहले अपनी किताबों को बचाया. किताबों को छप्पर में ही रखकर पहले सुखाया और अब वहीं बैठकर पढ़ाई करते हैं. नीतीश के पढ़ाई करने के जज्बे की आज हर कोई सराहना कर रहा है.

देखें वीडियो

नीतीश का पूरा परिवार और गांव के ज्यादातर लोग बाढ़ के कारण ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. नीतीश अपने भाई बहनों में बड़े हैं तो उन्हें घर के सामानों की रखवाली करने का जिम्मा मिला है. आईटीआई की तैयारी कर रहे नीतीश सबौर कॉलेज में इंटर साइंस का छात्र है. नीतीश शुरू से ही पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर रहा है. हर साल ऐसी ही बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ती है. लेकिन इस होनहार छात्र ने बाढ़ के कारण अपनी पढ़ाई कभी रुकने नहीं दी.

पिछले 20 दिनों से गांव टापू में तब्दील है. घरों में 10 फीट तक पानी बह रहा है. नीतीश ने दसवीं की परीक्षा सबौर हाई स्कूल से 366 अंक लाकर फर्स्ट डिवीजन से पास किया और स्कूल में उसे पांचवां स्थान मिला था.

बचपन से ही देखते आ रहे हैं कि गांव हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलता है. बाढ़ के समय मेरा पूरा परिवार ऊंचे स्थान पर चला जाता है. मैं घर और सामानों की देखभाल करता हूं. मार्च में मेरी परीक्षा होनी है लेकिन ऐसे हालातों में पढ़ाई कर पाना आसान नहीं है. पता नहीं इस बार मुझे अच्छे अंक आएंगे या नहीं.- नीतीश कुमार, बाढ़ में फंसा छात्र

बाढ़ के कारण बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है. एक तो कोरोना की वजह से पढ़ाई बाधित हुई. अब जब स्कूल और कॉलेज खुल गए तो बाढ़ के कारण भागलपुर में स्कूलों को बंद करना पड़ा है. बाढ़ के कारण सबौर सुल्तानगंज, नाथनगर, पीरपैंती, कहलगांव, बिहपुर, गोपालपुर खरीद प्रखंड में करीब 50 से 60 की संख्या में स्कूलों में पानी भर गया है.

सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल बाढ़ से प्रभावित हैं. ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित हुई है. बता दें कि सबौर प्रखंड में 1 दर्जन से अधिक प्राथमिक माध्यमिक और उच्च स्तरीय स्कूल हैं, जो बाढ़ के कारण बंद हैं. इसके अलावा इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूल शामिल है. बाढ़ के कारण कई स्कूलों में राहत शिविर बना दिया गया है. अब छात्र प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो.

बता दें कि बिहार में हर साल बढ़ और कटाव से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं. कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है. अब स्थिति यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाके भले ही कम हो लेकिन तबाही सबसे ज्यादा है. मानसून में अधिक बारिश के अलावा नेपाल से आने वाला पानी बाढ़ का एक बड़ा कारण है. इसकी वजह से कोसी, कमला, बागमती, गंडक, महानंदा और गंगा मानसून के समय बेहद खतरनाक रूप ले लेती है.

यह भी पढ़ें- भागलपुर में बाढ़ का कहर: यहां छाती भर पानी में घुसकर निकली शव यात्रा

यह भी पढ़ें- सुल्तानगंज में गंगा की बाढ़ से आफत, जिधर नजर घुमाओ पानी ही पानी

भागलपुर: बाढ़ की वजह से बिहार (Bihar Flood) के भागलपुर (Bhagalpur Flood) के 16 प्रखंड में से लगभग 10 प्रखंड जलमग्न हो गए हैं. यहां के कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है. बाढ़ के बीचों बीच छात्र अपनी पढ़ाई करने को भी मजबूर हैं. छप्पर में बैठ छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं ताकि इनका भविष्य उज्जवल हो सके.

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सबौर प्रखंड के बगडेर बगीचे के रहने वाले नीतीश का पूरा गांव जलमग्न हो चुका है. घर में रखा सारा सामान पानी में डूब चुका था. नीतीश की किताबें भी पानी से भीग चुके थे. नीतीश की नजर जैसे ही अपने पानी में डूबते किताबों पर पड़ी उसने सबकुछ छोड़ पहले अपनी किताबों को बचाया. किताबों को छप्पर में ही रखकर पहले सुखाया और अब वहीं बैठकर पढ़ाई करते हैं. नीतीश के पढ़ाई करने के जज्बे की आज हर कोई सराहना कर रहा है.

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नीतीश का पूरा परिवार और गांव के ज्यादातर लोग बाढ़ के कारण ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. नीतीश अपने भाई बहनों में बड़े हैं तो उन्हें घर के सामानों की रखवाली करने का जिम्मा मिला है. आईटीआई की तैयारी कर रहे नीतीश सबौर कॉलेज में इंटर साइंस का छात्र है. नीतीश शुरू से ही पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर रहा है. हर साल ऐसी ही बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ती है. लेकिन इस होनहार छात्र ने बाढ़ के कारण अपनी पढ़ाई कभी रुकने नहीं दी.

पिछले 20 दिनों से गांव टापू में तब्दील है. घरों में 10 फीट तक पानी बह रहा है. नीतीश ने दसवीं की परीक्षा सबौर हाई स्कूल से 366 अंक लाकर फर्स्ट डिवीजन से पास किया और स्कूल में उसे पांचवां स्थान मिला था.

बचपन से ही देखते आ रहे हैं कि गांव हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलता है. बाढ़ के समय मेरा पूरा परिवार ऊंचे स्थान पर चला जाता है. मैं घर और सामानों की देखभाल करता हूं. मार्च में मेरी परीक्षा होनी है लेकिन ऐसे हालातों में पढ़ाई कर पाना आसान नहीं है. पता नहीं इस बार मुझे अच्छे अंक आएंगे या नहीं.- नीतीश कुमार, बाढ़ में फंसा छात्र

बाढ़ के कारण बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है. एक तो कोरोना की वजह से पढ़ाई बाधित हुई. अब जब स्कूल और कॉलेज खुल गए तो बाढ़ के कारण भागलपुर में स्कूलों को बंद करना पड़ा है. बाढ़ के कारण सबौर सुल्तानगंज, नाथनगर, पीरपैंती, कहलगांव, बिहपुर, गोपालपुर खरीद प्रखंड में करीब 50 से 60 की संख्या में स्कूलों में पानी भर गया है.

सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल बाढ़ से प्रभावित हैं. ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित हुई है. बता दें कि सबौर प्रखंड में 1 दर्जन से अधिक प्राथमिक माध्यमिक और उच्च स्तरीय स्कूल हैं, जो बाढ़ के कारण बंद हैं. इसके अलावा इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूल शामिल है. बाढ़ के कारण कई स्कूलों में राहत शिविर बना दिया गया है. अब छात्र प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो.

बता दें कि बिहार में हर साल बढ़ और कटाव से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं. कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है. अब स्थिति यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाके भले ही कम हो लेकिन तबाही सबसे ज्यादा है. मानसून में अधिक बारिश के अलावा नेपाल से आने वाला पानी बाढ़ का एक बड़ा कारण है. इसकी वजह से कोसी, कमला, बागमती, गंडक, महानंदा और गंगा मानसून के समय बेहद खतरनाक रूप ले लेती है.

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Last Updated : Aug 14, 2021, 4:49 PM IST
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