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भागलपुर: पिछले साल शुरु हुई ईकोटूरिज्म की योजना ने तोड़ा दम, डॉल्फिन सेंचुरी में शुरू की गई थी नौकायन

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Published : Dec 26, 2019, 6:15 AM IST

जिस जोर-शोर से सरकार ने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नौकायन की शुरुआत की थी, वो आज पूरी तरह से धराशाई होकर खत्म हो गई है. डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन के लिये संविदा दी जाती है लेकिन दूसरे साल के टेंडर के लिए अभी तक कोई संवेदक नहीं पहुंचा है.

ecotourism programme in dolphin sanctury failed in bhagalpur
डॉल्फिन सेंचुरी

भागलपुर: भागलपुर में गंगा नदी में 20 नवंबर 2018 को उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन योजना की शुरुआत की थी. भागलपुर के डॉल्फिन सेंचुरी को ईकोटूरिज्म से जोड़ना इसका उद्देश्य था ताकि लोग नौकायन का लुत्फ उठाते हुए गंगा की विविधताओं का आनंद ले पाएं, लेकिन 2 महीने में ही इस योजना ने दम तोड़ दिया. वर्तमान में नौकायन पूरी से ठप हो गया है.

20 नवंबर 2018 से संविदा पर चलाए जा रहे 24 सीटर बोट की लगभग 10 किलोमीटर की नौकायन यात्रा बहुत ही मनमोहक और खूबसूरत थी. भागलपुर के लोगों के लिए टूरिज्म को लेकर यह एक बेहतर विकल्प था लेकिन संविदा पर चल रही नौकायन ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई. जिस जोर-शोर से सरकार ने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नौकायन की शुरुआत की थी, वो आज पूरी तरह से धराशाई होकर खत्म हो गई है. डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन के लिये संविदा दी जाती है लेकिन दूसरे साल के टेंडर के लिए अभी तक कोई संवेदक नहीं पहुंचा है.

पेश है रिपोर्ट.

दो महीने में योजना ने दम तोड़ी
घाट के पास ही रहने वाले स्थानीय निवासी अजय कुमार साह का कहना है कि उद्घाटन के समय चारों तरफ हुये प्रचार-प्रसार से काफी लोग यहां आने लगे थे. 24 सीटर बोट को शुरू किया गया था, जिसमें 25 और 50 रुपये का किराया भी रखा गया था. लेकिन धीरे-धीरे बोट्स की संख्या घटती गई. अब तो इस योजना के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं.

ecotourism programme in dolphin sanctury failed in bhagalpur
डॉल्फिन सेंचुरी

प्रशासन का आश्वासन
हालांकि, डॉल्फिन सेंचुरी के डीएफओ सुधाकर का कहना है कि योजना तो अभी भी चल ही रही है और टेंडर प्रोसेस में है. डीएफओ सुधाकर ने कहा कि अभी भी हमारी नौकायन योजना चल रही है और 1 साल पूरा भी हो गया है. उसके बाद हम टेंडर प्रोसेस में आएंगे. हम इस ईकोटूरिज्म की योजना को स्कूल-कॉलेजों से जोड़कर और बेहतर बनाएंगे. साथ ही साथ पर्यटन के तौर पर पूरे डॉल्फिन सेंचुरी के इलाके को लोग देख पाएंगे.

भागलपुर: भागलपुर में गंगा नदी में 20 नवंबर 2018 को उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन योजना की शुरुआत की थी. भागलपुर के डॉल्फिन सेंचुरी को ईकोटूरिज्म से जोड़ना इसका उद्देश्य था ताकि लोग नौकायन का लुत्फ उठाते हुए गंगा की विविधताओं का आनंद ले पाएं, लेकिन 2 महीने में ही इस योजना ने दम तोड़ दिया. वर्तमान में नौकायन पूरी से ठप हो गया है.

20 नवंबर 2018 से संविदा पर चलाए जा रहे 24 सीटर बोट की लगभग 10 किलोमीटर की नौकायन यात्रा बहुत ही मनमोहक और खूबसूरत थी. भागलपुर के लोगों के लिए टूरिज्म को लेकर यह एक बेहतर विकल्प था लेकिन संविदा पर चल रही नौकायन ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई. जिस जोर-शोर से सरकार ने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नौकायन की शुरुआत की थी, वो आज पूरी तरह से धराशाई होकर खत्म हो गई है. डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन के लिये संविदा दी जाती है लेकिन दूसरे साल के टेंडर के लिए अभी तक कोई संवेदक नहीं पहुंचा है.

पेश है रिपोर्ट.

दो महीने में योजना ने दम तोड़ी
घाट के पास ही रहने वाले स्थानीय निवासी अजय कुमार साह का कहना है कि उद्घाटन के समय चारों तरफ हुये प्रचार-प्रसार से काफी लोग यहां आने लगे थे. 24 सीटर बोट को शुरू किया गया था, जिसमें 25 और 50 रुपये का किराया भी रखा गया था. लेकिन धीरे-धीरे बोट्स की संख्या घटती गई. अब तो इस योजना के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं.

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डॉल्फिन सेंचुरी

प्रशासन का आश्वासन
हालांकि, डॉल्फिन सेंचुरी के डीएफओ सुधाकर का कहना है कि योजना तो अभी भी चल ही रही है और टेंडर प्रोसेस में है. डीएफओ सुधाकर ने कहा कि अभी भी हमारी नौकायन योजना चल रही है और 1 साल पूरा भी हो गया है. उसके बाद हम टेंडर प्रोसेस में आएंगे. हम इस ईकोटूरिज्म की योजना को स्कूल-कॉलेजों से जोड़कर और बेहतर बनाएंगे. साथ ही साथ पर्यटन के तौर पर पूरे डॉल्फिन सेंचुरी के इलाके को लोग देख पाएंगे.

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उप मुख्यमंत्री के द्वारा शुरू की गई ईकोटूरिज्म की योजना फेल डॉल्फिन सेंचुरी को लेकर शुरू की गई थी नौकायन

भागलपुर के डॉल्फिन सेंचुरी को देखने के लिए और आनंद उठाने के लिए 20 नवंबर 2018 को सूबे के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन जैसी योजना शुभारंभ की ताकि भागलपुर का डॉल्फिन सेंचुरी ईकोटूरिज्म से जोड़ सकें और लोग नौकायन का लुफ्त उठाते हुए गंगा की विविधताओं खासकर डॉल्फिन सेंचुरी के आनंद को ले पाए और साथ ही साथ ठंडे मौसम में दियारा में प्रवास के लिए पहुंचने वाले हैं साइबेरियन बर्ड्स कभी आनंद ले पाए ।

20 नवंबर 2018 से संविदा पर चलाए जा रहे 24 सीटर बोट की लगभग 10 किलोमीटर की नौकायन यात्रा अत्यंत ही मनमोहक एवं खूबसूरती भरा था और भागलपुर के लोगों के लिए एक टूरिज्म को लेकर एक बेहतर विकल्प था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और संविदा पर चल रही नौकायन जैसी चीजें ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई नतीजतन डेढ़ माह के करीब ही ईकोटूरिज्म के लिए चलाने वाले डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन का दम टूट गया जिस जोर-शोर से सरकार के द्वारा टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नौकायन जैसी सुविधाएं शुरू की थी वह आज पूरी तरह से धराशाई होकर खत्म हो गया दूसरे वर्ष के टेंडर के लिए कोई भी संवेदक अभी तक आगे नहीं पहुंचा है साल भर बीतने के बाद अभी तक डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन जैसी चीजों का संविदा नहीं हो पाया है ।


Body:सरकार की डॉल्फिन सेंचुरी और साइबेरियन बर्ड्स को देखने की योजना हुई धराशाई

गंगा के आसपास का इलाका जिस जगह के लिए नौकायन जैसी सुविधाएं शुरू की गई थी वैसे जगहों में डॉल्फिन को देखने के साथ-साथ लोग ठंड के मौसम में साइबेरियन बर्ड्स का भी आनंद उठाते हैं 20 नवंबर 2018 से इको टूरिज्म के लिए सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना काफी वाकई बेहतर पहल है लेकिन कहीं न कहीं सरकार के द्वारा टूरिज्म को बढ़ावा देने वाली एक बेहतरीन योजना इन दिनों पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है जिसे ना तो कोई पदाधिकारी देख रहे हैं और ना ही सूबे के मंत्री ,भागलपुर जैसे खूबसूरत जगह में डॉल्फिन सेंचुरी में नौकायन का आनंद लेते हुए गंगा में 24 सीटर बोट से लगभग 10 किलोमीटर की सैर तारीफे काबिल है , लेकिन कहीं ना कहीं सरकारी उदासीनता की भेंट चढ़ा इको टूरिज्म की योजना सरकारी व्यवस्था पर एक बड़े सवाल खड़ा करती हैं।

25 और ₹50 किराए के साथ 24 सीटर वोट से योजना की की गई थी शुरुआत लेकिन उद्घाटन के बाद नहीं आया बोट

घाट के करीब ही रहने वाले स्थाई निवासी अजय कुमार साह का कहना है जैसे ही उद्घाटन हुआ वैसे ही चारों तरफ प्रचार-प्रसार हो गया लोग आने जाने लगे लेकिन जिस उद्देश्य को लेकर प्रचार हुआ वह आज तक पूरा नहीं हो पाया 24 सीटर बोट को शुरू किया गया था लेकिन दोबारा फिर बोट नहीं दिखा सीट के लिए 25 और ₹50 का भाड़ा भी रखा गया था फिर भी लोग तो नहीं आए और बोट भी नहीं आया।


Conclusion:वहीं अगर हम बात करें तो कई सारे सवाल खड़े हो जाते हैं कि आखिर क्या वजह हुई जोकि डॉल्फिन सेंचुरी नौकायन जैसी योजना नहीं चल पाई गंगा घाट के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है की करीबन डेढ़ माह से ज्यादा डॉल्फिन आश्रयणी में नौकायन योजना नहीं चल पाई और बीच में ही धराशाई होकर मृत हो गई स्थानीय लोग नित्यानंद झा का कहना है कि डेढ़ माह तक मुश्किल से बोट वगैरह सब आता था लेकिन डेढ़ माह के बाद से नौकायन के लिए सरकार के द्वारा चलाई जा रही 24 सीटर बोट ने आना बंद कर दिया और फिर कभी नजर नहीं आया।

डीएफओ सुधाकर का कहना है कि योजना तो अभी भी चल ही रही है और टेंडर प्रोसेस में है

डॉल्फिन आश्रयनी में नौकायन जैसी इको टूरिज्म की योजना कई माह पूर्व बंद होने के बाद भी डीएफओ एस सुधाकर का कहना है
अभी भी हमारे नौकायन योजना चल रही है और 1 वर्ष पूरा भी हो गया है उसके बाद हम टेंडर प्रोसेस में आएंगे हम इस ईकोटूरिज्म की योजना को स्कूल कॉलेजों से जोड़कर और बेहतर बनाएंगे तथा साथ ही साथ पर्यटन के तौर पर पूरा डॉल्फिन सेंचुरी का इलाका और बच्चे लोग देख पाएंगे स्कूल कॉलेजों को इस योजना से ज्यादा ज्यादा फायदा पहुंचाने की कोशिश की जाएगी ताकि इको टूरिज्म के तौर पर चल रहे नौकायन जैसी योजना को बढ़ावा मिल सके।


कुल मिलाकर बिहार के उपमुख्यमंत्री के द्वारा शुरू की गई योजना पूर्ण रूप से मृत हो गई है जिसका एक बड़ा कारण विभागीय उदासीनता के साथ-साथ योजना का बेहतर तरीके से प्रचार प्रसार का नहीं होना है ।

पीटीसी संतोष श्रीवास्तव संवाददाता भागलपुर
बाइट नित्यानंद झा स्थानीय निवासी गंगा घाट बरारी
बाइट अजय कुमार साह स्थानीय निवासी गंगा घाट बरारी
बाइट एस सुधाकर डीएफओ भागलपुर वन प्रमंडल
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