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यहां खंभों में हैं भगवान, पिंडदान के बाद पिंड को स्तंभों में चिपकाया जाता है, पितरों का खुलता है मोक्ष का द्वार - PITRU PAKSHA 2024 - PITRU PAKSHA 2024

बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. गयाजी धाम में 16 वेदियों की पिंड बेदी है. जिसके खंभों में भगवान पिंडवेदी के रूप में विराजमान है. यहां पिंडदान के बाद पिंड को सभी स्तंभों में चिपकाया जाता है. पितृ पक्ष मेले के छठे दिन विष्णुपद की 16 वेेदियो में पिंडदान का विधान है.

गया में पितृपक्ष मेला
गया में पितृपक्ष मेला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 22, 2024, 10:39 PM IST

गया: पितृ पक्ष मेले में लाखों तीर्थ यात्री अपने पितरों के पिंडदान के निमित्त गया धाम पहुंच रहे हैं. अब तक चार लाख से भी अधिक पिंडदानी गया जी आ चुके हैं. छठे दिन विष्णु पद मंदिर के 16 वेदियो में पिंडदान का विधान है. यहां पिंडदान का बड़ा ही महत्व है. मानता है कि यह पितरों को पिंडदान से उन्हें अक्षय लोक प्राप्ति हो जाती है.

पितरों का खुलता है मोक्ष का द्वार: यहां पिंडदान से पितरों को अक्षअक्षक की प्राप्ति हो जाती है. विष्णु पद के 16 वेदियो में कार्तिक पद, दक्षिणा अग्नि पद, गार्ह पत्यानी पद, आवहनोमग्निपद, संध्या अग्नि पद, आव संध्या अग्निपथ, सूर्य पद, चंद्र पद, गणेश पद, उधीचीपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्र पद, अगस्त्य पद और कश्यप पद हैं. इन पिंड वेदियों पर पिंडदानी छठे दिन पिंडदान करते है.

विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (ETV Bharat)

पिंड वेदियों में किया जाता है पिंडदान: विष्णुपद की 16 वेेदियो में पिंडदान का कर्मकांड किया जाता है. इसके बाद सभी 16 वेदियो में पिंंड चिपकाए जाते हैं. देवताओ ऋषि मुनि के नाम पर ये पिंड वेदी है. यहां पिंडदानी अपने पितरों के निमित्त किए गए पिंडदान के पिंड को स्तंभों को अर्पित करते हैं. यहां सभी वेदी स्तंभ के रूप में है, जिनका संबंध में कई पौराणिक कथाओं से हैं.

भगवान राम और भीष्म पितामह आए थे पिंडदान करने: पौराणिक कथा है कि भीष्म पितामह शांतनु का श्राद्ध करने गया जी आए थे तो उन्होंने विष्णु पद में अपने पितरों का आह्वान किया था. श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड किया था. इस दौरान शांतनु के हाथ निकले, लेकिन भीष्म पितामह ने शांतनु के हाथ पर पिंड न देकर विष्णुपद पर पिंडदान किया था. इससे शांतनु काफी प्रसन्न हुए थे और आशीर्वाद दिया था कि तुम में निश्चल एवं त्रिकाल में दृष्टा होंगे और अंत में विष्णु पद को प्राप्त होंगे. इसी तरह रूद्र पद पर भगवान श्री राम पिंडदान करने को आए थे.

विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला
विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (ETV Bharat)

16 स्तंभ के रूप में है वेदी: यहां 16 स्तंभ के रूप में पिंड वेदी है. इसके पीछे पौराणिक कथा है. ब्रह्मा जी जब गया सुर के शरीर पर यज्ञ कर रहे थे, तो उन्होंने 16 भगवानों का आह्वान किया था. 16 भगवान ब्रह्मा जी की आवाज पर यज्ञ में शामिल हुए. उन सभी ने यहां स्तंभ रुप पिंड वेदी बनाई, जहां-जहां स्तंभ है, वहां यज्ञ के दौरान देवताओं में बैठकर आहुति दी थी.

"यहां विष्णु पद में 16 वेदियों की मान्यता है. यहां पिंडदान से पितरों को अक्षय लोक की प्राप्ति हो जाती है. पितरों के मोक्ष की कामना के निमित्त लाखों पिंडदानी यहां 16 वेेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड करते हैं और 16 वेदी के रूप में रहे स्तंभों में अर्पित करते हैं."- नवीन, गयापाल पंडा

गया में पिंड को स्तंभों में चिपकाते पिंडदानी
गया में पिंड को स्तंभों में चिपकाते पिंडदानी (ETV Bharat)

4 लाख से अधिक आ चुके हैं तीर्थयात्री: पितृपक्ष मेला के छठे दिन तक गयाजी धाम में चार लाख से अधिक पिंडदानी गयाणजी पहुंच चुके हैं. मोक्ष नगरी विष्णु धाम में पितृपक्ष यात्री अपने पितरों के निमित्त पिंंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. इसी के बीच पितृपक्ष मेला में छठे दिन विष्णुपद की 16 वेेदियो में पिंडदान का विधान है. यहां पिंडदान से पितरों को अक्षय लोक की प्राप्ति हो जाती है.

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गया: पितृ पक्ष मेले में लाखों तीर्थ यात्री अपने पितरों के पिंडदान के निमित्त गया धाम पहुंच रहे हैं. अब तक चार लाख से भी अधिक पिंडदानी गया जी आ चुके हैं. छठे दिन विष्णु पद मंदिर के 16 वेदियो में पिंडदान का विधान है. यहां पिंडदान का बड़ा ही महत्व है. मानता है कि यह पितरों को पिंडदान से उन्हें अक्षय लोक प्राप्ति हो जाती है.

पितरों का खुलता है मोक्ष का द्वार: यहां पिंडदान से पितरों को अक्षअक्षक की प्राप्ति हो जाती है. विष्णु पद के 16 वेदियो में कार्तिक पद, दक्षिणा अग्नि पद, गार्ह पत्यानी पद, आवहनोमग्निपद, संध्या अग्नि पद, आव संध्या अग्निपथ, सूर्य पद, चंद्र पद, गणेश पद, उधीचीपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्र पद, अगस्त्य पद और कश्यप पद हैं. इन पिंड वेदियों पर पिंडदानी छठे दिन पिंडदान करते है.

विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (ETV Bharat)

पिंड वेदियों में किया जाता है पिंडदान: विष्णुपद की 16 वेेदियो में पिंडदान का कर्मकांड किया जाता है. इसके बाद सभी 16 वेदियो में पिंंड चिपकाए जाते हैं. देवताओ ऋषि मुनि के नाम पर ये पिंड वेदी है. यहां पिंडदानी अपने पितरों के निमित्त किए गए पिंडदान के पिंड को स्तंभों को अर्पित करते हैं. यहां सभी वेदी स्तंभ के रूप में है, जिनका संबंध में कई पौराणिक कथाओं से हैं.

भगवान राम और भीष्म पितामह आए थे पिंडदान करने: पौराणिक कथा है कि भीष्म पितामह शांतनु का श्राद्ध करने गया जी आए थे तो उन्होंने विष्णु पद में अपने पितरों का आह्वान किया था. श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड किया था. इस दौरान शांतनु के हाथ निकले, लेकिन भीष्म पितामह ने शांतनु के हाथ पर पिंड न देकर विष्णुपद पर पिंडदान किया था. इससे शांतनु काफी प्रसन्न हुए थे और आशीर्वाद दिया था कि तुम में निश्चल एवं त्रिकाल में दृष्टा होंगे और अंत में विष्णु पद को प्राप्त होंगे. इसी तरह रूद्र पद पर भगवान श्री राम पिंडदान करने को आए थे.

विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला
विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (ETV Bharat)

16 स्तंभ के रूप में है वेदी: यहां 16 स्तंभ के रूप में पिंड वेदी है. इसके पीछे पौराणिक कथा है. ब्रह्मा जी जब गया सुर के शरीर पर यज्ञ कर रहे थे, तो उन्होंने 16 भगवानों का आह्वान किया था. 16 भगवान ब्रह्मा जी की आवाज पर यज्ञ में शामिल हुए. उन सभी ने यहां स्तंभ रुप पिंड वेदी बनाई, जहां-जहां स्तंभ है, वहां यज्ञ के दौरान देवताओं में बैठकर आहुति दी थी.

"यहां विष्णु पद में 16 वेदियों की मान्यता है. यहां पिंडदान से पितरों को अक्षय लोक की प्राप्ति हो जाती है. पितरों के मोक्ष की कामना के निमित्त लाखों पिंडदानी यहां 16 वेेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड करते हैं और 16 वेदी के रूप में रहे स्तंभों में अर्पित करते हैं."- नवीन, गयापाल पंडा

गया में पिंड को स्तंभों में चिपकाते पिंडदानी
गया में पिंड को स्तंभों में चिपकाते पिंडदानी (ETV Bharat)

4 लाख से अधिक आ चुके हैं तीर्थयात्री: पितृपक्ष मेला के छठे दिन तक गयाजी धाम में चार लाख से अधिक पिंडदानी गयाणजी पहुंच चुके हैं. मोक्ष नगरी विष्णु धाम में पितृपक्ष यात्री अपने पितरों के निमित्त पिंंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. इसी के बीच पितृपक्ष मेला में छठे दिन विष्णुपद की 16 वेेदियो में पिंडदान का विधान है. यहां पिंडदान से पितरों को अक्षय लोक की प्राप्ति हो जाती है.

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