भागलपुर: जिला सैनिक कल्याण कार्यालय की स्थिति दयनीय हो चुकी है. लगभग 8000 सैनिकों के आश्रितों और विधवाओं के लिए काम करने वाला जिला सैनिक कल्याण कार्यालय सिर्फ दो कमरों में चल रहा है. कार्यालय का छत का हिस्सा समय-समय पर टूट कर गिर रहा है. सरकारी प्रक्रिया में देरी होने के कारण कार्यालय के बगल में बन रहे नए भवन का निर्माण कार्य भी रुका हुआ है.
जर्जर हुआ सैनिक कल्याण कार्यालय
2013 से नए भवन का कंस्ट्रक्शन शुरू हुआ था.कंट्रक्शन शुरू होने के बाद सैंडिस कंपाउंड विकास समिति ने हाईकोर्ट से निर्माण कार्य पर स्टे लिया था. 2018 में स्टे हटा लिया गया है. 2 साल बीत जाने के बाद भी नए भवन के अधूरे काम को पूरा नहीं किया जा सका है. यही कारण है कि जर्जर भवन में पूर्व सैनिक और वर्तमान के सैन्य बल के आश्रितों को काम कराने में काफी परेशानी हो रही है. काम कराने आने वाले आश्रितों को बैठने तक की सुविधा नहीं मिल रही है.
दो कमरों में कार्यालय
जर्जर भवन के बारे में ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए जिला सैनिक कल्याण पदाधिकारी कर्नल कृष्ण नंदन प्रसाद ने बताया कि जर्जर भवन होने के कारण काफी काम में कठिनाई हो रही है. पुराने भवन का हाल बहुत खस्ता है. किसी तरह दो कमरे में कार्यालय चलाया जा रहा है.
ये भी पढ़ें- शाहनवाज हुसैन को BJP ने बिहार विधान परिषद का बनाया उम्मीदवार
नहीं हुआ पूरा भवन का काम
2018 में हटा था कोर्ट स्टे
जब मामला हाईकोर्ट में चला तब यह बात निकलकर सामने आयी कि सैंडिस कंपाउंड का 30 डिसमिल जमीन पहले से ही सैन्य कार्यालय के लिए आवंटित है. फिर हाई कोर्ट ने 2018 में स्टे हटा लिया. और भागलपुर के जिलाधिकारी को आदेश दिया कि सैंडिस कंपाउंड विकास समिति के साथ बैठक कर अनापत्ति ले.
काम अब तक नहीं हुआ शुरू
अनापत्ति 7 दिसंबर 2018 को ले लिया गया था. फिर बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा भवन निर्माण शुरू करने से पहले नए तरीके से मॉडिफिकेशन को लेकर प्रोजेक्ट मांगा गया. सब कुछ भवन निर्माण को सौंपने के बावजूद उसपर काम अब तक शुरू नहीं हुआ है.
आश्रितों को हो रही परेशानी
भागलपुर के जिला सैनिक कल्याण कार्यालय में बांका ,भागलपुर, कटिहार, सुपौल, किशनगंज ,अररिया, सहरसा, मधेपुरा और पूर्णिया के सैनिकों की विधवायें या सैन्य बल के आश्रितों के समस्या निष्पादन के कार्य किए जाते हैं. वहीं नए भवन का निर्माण का कार्य अधूरा है. तीन तल्ला भवन का निर्माण होना है. जिसमें कैंटीन और काम कराने के लिए कार्यालय आने वाले आश्रितों के विश्राम गृह का निर्माण भी किया जाना है. जर्जर भवन और नये भवन का निर्माण कार्य अधूरा होने की वजह से आश्रितों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.