भागलपुर: जिला विधिज्ञ संघ में बीते सप्ताह भर से उथल-पुथल मचा हुआ है. बार काउंसिल की बैठक में महासचिव संजय कुमार मोदी पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए महासचिव के पद से निलंबित करने का पत्र स्टेट बार कौंसिल को भेजा गया था. जिसके बाद स्टेट बार कॉसिल ने तदर्थ कमेटी जिसमें अध्यक्ष और महासचिव बनाकर भेजा. उस कमेटी ने महासचिव को निलंबित कर दिया. इस कमीटी ने अपनी निगरानी में विधिज्ञ संघ का चुनाव कराने का निर्णय लिया. लेकिन उस निर्णय को गुरुवार को महासचिव संजय मोदी के नेतृत्व में जिला विधिज्ञ संघ में हुई बैठक में खारिज कर दिया गया.
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तदर्थ कमेटी पर दर्ज होगा मुकदमा
इसी दौरान तदर्थ कमेटी पर मुकदमा दर्ज कराने का भी निर्णय लिया गया और इसे तथाकथित कमेटी में घोषित किया. बता दें कि स्टेट बार कौंसिल ने तदर्थ कमेटी के अध्यक्ष मनोज कुमार सहाय और अंजनी कुमार को सचिव बनाया था. कमेटी ही आगामी चुनाव का मतदाता सूची तैयार करने वाली थी और निर्धारित समय में चुनाव कराने वाली थी.
जिसको लेकर बार काउंसिल ने एक ऑबजर्वर भी भेजा था. लेकिन आज की बैठक के बाद मामला उलझ गया है. जिला विधिज्ञ संघ के निर्वाचित सदस्य दो गुटों में बंट गए हैं. बैठक के बारे में जानकारी देते हुए जिला विधिज्ञ संघ के महासचिव संजय कुमार मोदी ने कहा कि विधिज्ञ संघ में हाल की जो घटना घटी है, वह काफी निंदनीय है.
अवैध तरीके तदर्थ कमेटी का गठन हुआ
उन्होंने कहा कि अवैध तरीके से मॉडल रूम के खिलाफ स्टेट बार काउंसिल ने तदर्थ कमेटी का गठन किया था. जिसने अध्यक्ष और सचिव बनाए और लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए महासचिव को हटाने का प्रयास किया. जो सरा सर गलत है. उन्होंने कहा कि स्टेट बार काउंसिल के एक भागलपुर से जुड़े हुए सदस्य के सिफारिश पर राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर यह सारा काम किया गया.
उन्होंने कहा कि उसी को लेकर आज की बैठक बुलाई गई थी. बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसे पदाधिकारियों, जो तदर्थ कमेटी में शामिल हैं और जिन्होंने महासचिव को परेशान करने का प्रयास किया. प्रताड़ित और तंग किया, उन पर ऊपर एफआईआर दर्ज करवाया जाएगा. उनके सभी निर्णय को खारिज किया जाता है.
बता दें कि बीते दिनों बार काउंसिल की बैठक में महासचिव संजय कुमार मोदी पर वित्तीय अनियमितता संबंधित आरोप की जांच रिपोर्ट पटल पर रखी गई थी. जिसमें कहा गया था कि महासचिव ने मॉडल रूल्स का हवाला देकर अज्ञात प्रावधानों के तहत चिकित्सा सहायता के रूप में पांच लाख का मेडिकल सहायता लिया है.
जबकि कई वकीलों की चिकित्सा सहायता आवेदन का भुगतान लंबित रखा गया. उप समिति ने बैठक में सुझाव दिया था कि वित्तीय अनियमितता के लिए वर्तमान महासचिव और प्रबंधन समिति के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए. इसको लेकर स्टेट बार कौंसिल को पत्र लिखा गया था.