भागलपुर: जिले के कबीरपुर स्थित श्री चंपापुर दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र में दशलक्षण पर्व का आयोजन किया गया. वहीं आयोजन के प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म की उपासना भक्ति भाव पूर्वक की गई.
मुख्य द्वार पर सैनिटाइजेशन की व्यवस्था
वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व में फैली कोरोना महामारी को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी किया है. वहीं इस गाइडलाइन का पूर्णतः पालन करते हुए और साथ ही सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए सादगी पूर्ण रूप से त्योहार मनाया गया. मंदिर के मुख्य द्वार पर सैनिटाइजेशन और हैंड वाश के बाद ही श्रद्धालुओं के प्रवेश करने दिया गया. इस अवसर पर सिद्ध क्षेत्र के पुजारी ने 24 तीर्थंकरों की वेदियों और मुख्य मंदिर में भगवान वासुपूज्य का विधि पूर्वक जलाभिषेक और अष्ट द्रव्य से पूजन किया.
क्रोध से संबंध होते हैं नष्ट
इस मौके पर पंडित जागेश शास्त्री ने प्रवचन में कहा कि दशलक्षण महापर्व के दस दिन ज्ञान और वैराग्य की वृद्धि के लिए स्वर्णिम अवसर है. कभी-कभी एक क्षण का संस्कार हमारी भावी जन्म परंपरा मे बदलाव ला देता है. वहीं कोतवाली चौक स्थित जैन मंदिर में वर्षों से योग कर रहें पूज्य मुनिराज 108 विश्वेश सागर ने कहा कि मन में निर्मलता होने पर ही क्षमा मांगने का भाव आता है. क्षमा रुपी बल जिसके साथ हैं, दुर्जन उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि परोपकार के प्रभाव से संकट कम हो जाते हैं. इसके साथ ही मनुष्य शांति का जीवन व्यतीत करता है. क्रोध से धर्म नष्ट हो जाता है और बरसों की मित्रता स्नेह संबंध को कठोर वचन क्षणभर में नष्ट कर देता है.
कईं लोग रहे उपस्थित
इस समारोह में आए श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए सिद्ध क्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने कहा कि क्रोध से आज तक किसी व्यक्ति का भला नहीं हुआ है. क्रोधी व्यक्ति अपना ही नुकसान करता है. क्षमा करने से हृदय सरल हो जाता है और मन में सदैव शांति बनी रहती है. इस मौके पर नरेश काला, पवन गंगवाल, संजय विनायका, सुभाष छाबड़ा, उत्तम पाटनी, अमित बड़जात्या कैलाश गंगवाल आदि उपस्थित रहे.