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सात समंदर पार गूंजेगी शिवांगी की किलकारी, अमेरिकी दंपत्ति ने लिया गोद

अमेरिकी दंपत्ति ने करीब 1 साल से ज्यादा समय से एडॉप्शन का इंतजार कर शिवांगी को गोद लिया. वहीं, भागलपुर के जिलाधिकारी ने उसके उज्जवल भविष्य की कामना की और इसे सराहनीय कदम बताया.

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Published : Jun 19, 2019, 2:36 PM IST

शिवांगी को अमेरिकी दंपत्ति ने लिया गोद

भागलपुर: बहुत ही प्रचलित कहावत है कि किसकी किस्मत कब बदल जाए, कहना मुश्किल होता है. जी, हां हम बात कर रहे हैं भागलपुर के नाथनगर स्थित अनाथालय में पल रही डेढ़ वर्ष की शिवांगी की. जिसे, अमेरिकी युवा दंपति गैरेट डेविड लाउफ और इमिली बेल लॉफ ने भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट की सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करते हुए, लंबे इंतजार के बाद गोद लेकर अपना लिया है.

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गोद लेने की प्रकिया पूरी करते हुए

शिवांगी की किलकारी अब सात समंदर पार गूंजेगी

अमेरिकी दंपत्ति ने करीब 1 साल से ज्यादा समय से एडॉप्शन का इंतजार कर रहे थे. प्रतीक्षा सूची में थे. शिवांगी करीबन डेढ़ वर्ष से अनाथालय में ही पल रही थी. वाकई हमारे भारतीय सामाजिक कुरीतियों पर यह किसी करारा तमाचा से कम नहीं है. जहां समाज का एक तबका बच्चियों को पैदा होते ही लावारिस छोड़ कर भाग जाते हैं. वहीं, सात समंदर पार का युवा दंपत्ति उसी बच्चे को लेने के लिए साल भर से ज्यादे समय इंतजार कर गोद लेते हैं. जिला पदाधिकारी ने इससे एक काफी सराहनीय कदम बताया है. उन्होंने कहा कि बच्ची को कम से कम एक बेहतर अभिभावकत्व मिलेगा और बच्ची की जिंदगी काफी बेहतर होगी.

शिवांगी को अमेरिकी दंपत्ति ने लिया गोद

डीएम ने की उज्जवल भविष्य की कामना

गोद लेने वाले गैरेट डेविड लॉफ ने कुछ भी बोलने से मना किया दिया. लेकिन बात करते हुए उन्होंने बताया कि वह पेशे से इंजीनियर हैं. भगवान का दिया हुआ उनके पास सब कुछ है लेकिन संतान नहीं था. जो कि अब मिल गई है. बच्ची को गोद लेते वक्त लॉफ दंपत्ति काफी खुश दिख रहे थे. सभी कानूनी प्रक्रिया और एडॉप्शन फॉर्मेलिटीज पूरी होने के बाद जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने लॉफ दंपति को शुभांगी को सौंपते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की. गौरतलब है कि शुभांगी रामानंदी देवी हिंदू अनाथालय की 13 वीं बच्ची है जो सभी एडॉप्शन फॉर्मेलिटीज को पूरा कर विदेश जा रही है.

प्रति वर्ष 600 से ज्यादा बच्चे लिये जाते हैं विदेशियों के द्वारा गोद

हमारे समाज में चारों ओर फैली कुरीतियों की वजह से ही आज अनाथालय जैसे केंद्र संचालित होते हैं. जहां एक तरफ सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के बात करती है. वहीं, समाज की कुरीति में अभी भी बेटा और बेटी के बीच में भेदभाव जैसी चीजें देखने को मिलती है. बताते चलें कि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 के बाद से प्रति वर्ष 600 से ज्यादा बच्चे विदेशियों के द्वारा गोद लिए जा रहे हैं. 2012-13 और 2014 में यह आंकड़ा 300 से 450 सौ के बीच पहुंचा था. लेकिन अब फिर या आंकड़ा प्रतिवर्ष 600 के पार कर चुका है. वहीं, भारत में रहने वाले लोग प्रतिवर्ष 3000 से ज्यादा बच्चों को गोद ले रहे हैं.

भागलपुर: बहुत ही प्रचलित कहावत है कि किसकी किस्मत कब बदल जाए, कहना मुश्किल होता है. जी, हां हम बात कर रहे हैं भागलपुर के नाथनगर स्थित अनाथालय में पल रही डेढ़ वर्ष की शिवांगी की. जिसे, अमेरिकी युवा दंपति गैरेट डेविड लाउफ और इमिली बेल लॉफ ने भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट की सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करते हुए, लंबे इंतजार के बाद गोद लेकर अपना लिया है.

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गोद लेने की प्रकिया पूरी करते हुए

शिवांगी की किलकारी अब सात समंदर पार गूंजेगी

अमेरिकी दंपत्ति ने करीब 1 साल से ज्यादा समय से एडॉप्शन का इंतजार कर रहे थे. प्रतीक्षा सूची में थे. शिवांगी करीबन डेढ़ वर्ष से अनाथालय में ही पल रही थी. वाकई हमारे भारतीय सामाजिक कुरीतियों पर यह किसी करारा तमाचा से कम नहीं है. जहां समाज का एक तबका बच्चियों को पैदा होते ही लावारिस छोड़ कर भाग जाते हैं. वहीं, सात समंदर पार का युवा दंपत्ति उसी बच्चे को लेने के लिए साल भर से ज्यादे समय इंतजार कर गोद लेते हैं. जिला पदाधिकारी ने इससे एक काफी सराहनीय कदम बताया है. उन्होंने कहा कि बच्ची को कम से कम एक बेहतर अभिभावकत्व मिलेगा और बच्ची की जिंदगी काफी बेहतर होगी.

शिवांगी को अमेरिकी दंपत्ति ने लिया गोद

डीएम ने की उज्जवल भविष्य की कामना

गोद लेने वाले गैरेट डेविड लॉफ ने कुछ भी बोलने से मना किया दिया. लेकिन बात करते हुए उन्होंने बताया कि वह पेशे से इंजीनियर हैं. भगवान का दिया हुआ उनके पास सब कुछ है लेकिन संतान नहीं था. जो कि अब मिल गई है. बच्ची को गोद लेते वक्त लॉफ दंपत्ति काफी खुश दिख रहे थे. सभी कानूनी प्रक्रिया और एडॉप्शन फॉर्मेलिटीज पूरी होने के बाद जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने लॉफ दंपति को शुभांगी को सौंपते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की. गौरतलब है कि शुभांगी रामानंदी देवी हिंदू अनाथालय की 13 वीं बच्ची है जो सभी एडॉप्शन फॉर्मेलिटीज को पूरा कर विदेश जा रही है.

प्रति वर्ष 600 से ज्यादा बच्चे लिये जाते हैं विदेशियों के द्वारा गोद

हमारे समाज में चारों ओर फैली कुरीतियों की वजह से ही आज अनाथालय जैसे केंद्र संचालित होते हैं. जहां एक तरफ सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के बात करती है. वहीं, समाज की कुरीति में अभी भी बेटा और बेटी के बीच में भेदभाव जैसी चीजें देखने को मिलती है. बताते चलें कि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 के बाद से प्रति वर्ष 600 से ज्यादा बच्चे विदेशियों के द्वारा गोद लिए जा रहे हैं. 2012-13 और 2014 में यह आंकड़ा 300 से 450 सौ के बीच पहुंचा था. लेकिन अब फिर या आंकड़ा प्रतिवर्ष 600 के पार कर चुका है. वहीं, भारत में रहने वाले लोग प्रतिवर्ष 3000 से ज्यादा बच्चों को गोद ले रहे हैं.

Intro:BR_BGP_SAAT SAMANDAR PAAR GUNJEGI SHIVANGI KI KILKAARI AMRIKI DAMPATI NE CARA SE LIYA SHIVANGI KO GOD_SCRIPT VISUALS AND BYTE PRANAV KUMAR DM BHAGALPUR_7202641

बहुत प्रचलित कहावत है की किसकी किस्मत कब बदल जाए कहना मुश्किल होता है जी हां हम बात कर रहे हैं भागलपुर के नाथनगर स्थित अनाथालय में पल रही डेढ़ वर्ष की शिवांगी की जिसे अमेरिकी युवा दंपति गैरेट डेविड लाउफ और इमिली बेल लॉफ़ ने भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट की सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करते हुए और लंबे इंतजार के बाद गोद लेकर अपना लिया है शिवांगी की किलकारी अब सात समंदर पार गूंजेगी युवा दंपत्ति करीब 1 साल से ज्यादा समय से एडॉप्शन का इंतजार कर रहे थे और प्रतीक्षा सूची में थे शिवांगी करीबन डेढ़ वर्ष से अनाथालय में ही पल रही थी वाकई हमारे भारतीय सामाजिक कुरीतियों पर यह किसी करारा तमाचा से कम नहीं है जहां समाज का एक तबका बच्चियों को पैदा होते ही लावारिस छोड़ कर भाग जाता है वहीं सात समंदर पार का युवा दंपत्ति उसी बच्चे को लेने के लिए साल भर से ज्यादा इंतजार कर गोद लेता है भागलपुर के जिला पदाधिकारी ने इससे एक काफी सराहनीय कदम कहा है बच्चों को कम से कम एक बेहतर अभिभावकत्व मिलेगा और बच्चे की जिंदगी काफी बेहतर होगी ।
पेशे से इंजीनियर गैरेट डेविड लॉफ़ ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से और आने से मना कर दिया लेकिन बात करते हुए उन्होंने बताया कि भगवान का दिया हुआ उनके पास हर कुछ है सिर्फ संतान नहीं था जोकि अब मिल गई है बच्चे को गोद लेते वक्त लॉफ़ दंपत्ति काफी खुश दिख रहे थे , सभी कानूनी प्रक्रिया एवं एडॉप्शन फॉर्मेलिटीज पूरी होने के बाद भागलपुर के जिला पदाधिकारी प्रणव कुमार ने लॉफ दंपति को शुभांगी को सौंपते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना भी की ।


Body:कहा जाता है कि एडॉप्शन की प्रक्रिया काफी लंबी होती है और इंतजार भी काफी लंबे समय तक करना पड़ता है इसलिए बहुत लोग चाहते हुए बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को पूरी नहीं कर पाते हैं जिसकी वजह से बच्चे को गोद नहीं ले पाते लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो सात समंदर पार बैठकर भी साल भर से ज्यादा इंतजार कर बच्चे को गोद लेने के लिए काफी पैसे खर्च कर भारत के भागलपुर जैसे शहर के एक छोटे से कस्बे पहुंच जाते हैं समाज में कई ऐसे लोग भी हैं जो अनाथो की जिंदगी संवारने के लिए कुरीतियों को छोड़कर समाज में मिसाल के तौर पर आगे आते हैं और अनाथ लड़की से ब्याह भी रचाते हैं जिसकी वजह से अनाथ लड़कियों को एक बेहतर आशियाना मिल जाता है और जिंदगी भी संवर जाती है । शुभांगी रामानंदी देवी हिंदू अनाथालय की 13 वी बच्ची है जो सभी एडॉप्शन फॉर्मेलिटीज को पूरा कर विदेश जा रही है ।


Conclusion:हमारे समाज मैं चारों ओर फैली कुरीतियों की वजह से ही आज अनाथालय जैसे केंद्र संचालित होते हैं जहां एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के बाद करती है वही समाज की कुरीति अभी भी समाज में बेटा और बेटी के बीच में भेदभाव जैसी चीजें देखने को मिलती है कई ऐसे नाजायज रिश्ते भी बनते हैं जो रिश्ते तो कायम कर लेते हैं लेकिन बच्चे को नहीं स्वीकारते और कहीं भी छोड़कर चले जाते हैं और समाज के सामने एक अच्छे और सामाजिक लोग जैसी जिंदगी जीते हैं अभी भी समाज में फैली कुरीतियां बेटा और बेटी में भेदभाव पैदा करते हैं जिसकी वजह से बेटी पैदा होते ही लोग उसे अनाथालय,यतीमखाना और ऑर्फनेज जैसी जगहों में छोड़ कर चले जाते हैं समाज में तमाम गलतियां तो बड़े लोग करते हैं लेकिन खामियाजा बच्चे और बच्चियों को भुगतना पड़ता है जिसकी जिंदगी अनत हाले यथीमखाना और ऑर्फनेज में ही गुजर जाती है वाकई समाज में यह एक अच्छी पहल है कि लोग बच्चे को गोद लेने के लिए सात समंदर पार से भी भारत आते हैं भारतीय समाज की कुरीतियों पर करारा तमाचा मारते हुए बच्चे और बच्चियों को गोद लेते हैं । अगर हम सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के आंकड़ों की बात करें तो 2010 से करीबन प्रति वर्ष 600 से ज्यादा बच्चे प्रतिवर्ष विदेशियों के द्वारा गोद लिए जा रहे हैं 2012 13 और 14 में यह आंकड़ा 300 से 450 सौ के बीच पहुंच गया था लेकिन अब फिर या आंकड़ा प्रतिवर्ष 600 के पार कर चुका है जबकि भारत में रहने वाले लोग प्रतिवर्ष 3000 से ज्यादा बच्चों को गोद ले रहे हैं 2010 से 11:00 के बीच मैया आंकड़ा करीबन 6000 बच्चों का था अब कई नई तकनीक को लोग इजाद कर अपनी नि संतान का खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं इसलिए अब वर्तमान में यह आंकड़ा 3000 से 4000 के बीच में आ गया है भारत में प्रतिवर्ष 3000 से ज्यादा बच्चे गोद लिए जाते हैं ।


बाइट: प्रणव कुमार जिला पदाधिकारी भागलपुर
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