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सृजन घोटाला: 3 बैंकों के तत्कालीन प्रबंधकों और संस्था के कर्मियों पर CBI ने दर्ज किया केस

सीबीआई ने सृजन घोटाला से संबंधित एक नया मामला दर्ज किया है. आरोप है कि बैंक कर्मियों और सृजन संस्था के कर्मियों ने जालसाजी कर सरकारी राशि का गबन किया था. पढ़ें पूरी खबर...

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सृजन घोटाला
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Published : Aug 25, 2021, 10:41 PM IST

पटना: सीबीआई (CBI) के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में सृजन घोटाले (Srijan Scam) से संबंधित एक नया मामला (आरसी10(एएस).21) दर्ज किया गया है. इस मामले में सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा आरपी रोड भागलपुर, इंडियन बैंक पटेल बाबू रोड भागलपुर, बैंक ऑफ इंडिया शाखा त्रिवेणी अपार्टमेंट खलिफाबाद आरपी रोड भागलपुर और सृजन संस्था के सबौर भागलपुर के अध्यक्ष, सचिव और कर्मियों को गबन का आरोपी बनाया है.

यह भी पढ़ें- लालू यादव ने फिर दोहराया- जातीय जनगणना होने से नीतियां और बजट बनाने में मिलेगी मदद

सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि बैंक के तत्कालीन पदाधिकारी और कर्मी व सृजन संस्था के कर्मियों ने आपसी षड्यंत्र करके अप्रैल 2007 से जुलाई 2017 के बीच कुल 156 विपत्र, बैंकर्स चेक और चेक के माध्यम से विभिन्न तिथियों को 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये को सृजन के खाते में अवैध रूप से ट्रांसफर किया. इस प्रकार सरकारी राशि का गबन किया गया.

ऑडिट के क्रम में यह मिला कि बैंक ऑफ बड़ौदा से 110 विपत्र और चेक के माध्यम से 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपए, इंडियन बैंक से 33 विपत्रों व चेक से 10 करोड़ 60 लाख 58 हजार 400 रुपये और बैंक ऑफ इंडिया के 11 विपत्र व चेक के माध्यम से दो करोड़ 91 लाख 33 हजार 712 रुपये तत्कालीन बैंक कर्मियों व सृजन संस्था के कर्मियों द्वारा अवैध तरीके से ट्रांसफर कर सरकारी राशि का गबन किया गया. सीबीआई ने इस मामले में आईपीसी की धाराएं 120बी, 409, 420, 467, 468 व 471 में मामला दर्ज किया है.

बता दें कि 2017 में सरकारी कोष में अनियमितता कर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का मामला सामने आया था. जिसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो और ईडी को सौंप दी गई थी. सीबीआई ने भागलपुर के पूर्व डीएम वीरेंद्र यादव को भी आरोपी बनाया है. जिसके खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दायर की गई है. वीरेंद्र यादव 2014 में भागलपुर के जिलाधिकारी थे. उसी दौरान सबसे ज्यादा पैसों की हेराफेरी हुई थी.

मामले का खुलासा 2017 के अगस्त महीने में तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने किया था. तब आदेश तितरमारे का चेक बैंक ने वापस कर दिया था. इसके पीछे बैंक ने तर्क दिया था कि खाते में पर्याप्त रकम नहीं है. इस बात पर जिलाधिकारी हैरान रह गए थे. फिर मामले की तह तक जाने के लिए उन्होंने एक जांच कमेटी बैठा दी थी. कमेटी ने जांच रिपोर्ट सौंपी तो बैंक ऑफ बड़ौदा के सरकारी खातों में पैसे नहीं होने की बात सच साबित हुई. जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट सहित अन्य जानकारी राज्य सरकार को दी. जिसके बाद परत दर परत सृजन घोटाले की सच्चाई लोगों के सामने आने लगी.

सृजन घोटाले के तीन मामलों में सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया, संचालिका रही मनोरमा देवी और उनके बेटे अमित कुमार समेत 44 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने सितंबर 2017 में पटना सिविल कोर्ट की विशेष न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी. इन तीनों मामले में जिन 44 लोगों को आरोपी बनाया गया. उनमें स्वयंसेवी संस्था की अध्यक्षा शुभ लक्ष्मी प्रसाद, मैनेजर सरिता झा, संयोजक मनोरमा के पुत्र अमित कुमार, बैंक ऑफ बरौदा के मुख्य प्रबंधक नैयर आलम, मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक दिलीप कुमार ठाकुर, डूडा के कार्यपालक अभियंता नागेंद्र भगत, रंजन कुमार समैयार और मनोज कुमार सहित अन्य लोग शामिल हैं.

यह भी पढ़ें- पप्पू यादव उजागर कर रहे थे भ्रष्टाचार तो सरकार ने भेज दिया जेल: रंजीत रंजन

पटना: सीबीआई (CBI) के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में सृजन घोटाले (Srijan Scam) से संबंधित एक नया मामला (आरसी10(एएस).21) दर्ज किया गया है. इस मामले में सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा आरपी रोड भागलपुर, इंडियन बैंक पटेल बाबू रोड भागलपुर, बैंक ऑफ इंडिया शाखा त्रिवेणी अपार्टमेंट खलिफाबाद आरपी रोड भागलपुर और सृजन संस्था के सबौर भागलपुर के अध्यक्ष, सचिव और कर्मियों को गबन का आरोपी बनाया है.

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सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि बैंक के तत्कालीन पदाधिकारी और कर्मी व सृजन संस्था के कर्मियों ने आपसी षड्यंत्र करके अप्रैल 2007 से जुलाई 2017 के बीच कुल 156 विपत्र, बैंकर्स चेक और चेक के माध्यम से विभिन्न तिथियों को 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये को सृजन के खाते में अवैध रूप से ट्रांसफर किया. इस प्रकार सरकारी राशि का गबन किया गया.

ऑडिट के क्रम में यह मिला कि बैंक ऑफ बड़ौदा से 110 विपत्र और चेक के माध्यम से 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपए, इंडियन बैंक से 33 विपत्रों व चेक से 10 करोड़ 60 लाख 58 हजार 400 रुपये और बैंक ऑफ इंडिया के 11 विपत्र व चेक के माध्यम से दो करोड़ 91 लाख 33 हजार 712 रुपये तत्कालीन बैंक कर्मियों व सृजन संस्था के कर्मियों द्वारा अवैध तरीके से ट्रांसफर कर सरकारी राशि का गबन किया गया. सीबीआई ने इस मामले में आईपीसी की धाराएं 120बी, 409, 420, 467, 468 व 471 में मामला दर्ज किया है.

बता दें कि 2017 में सरकारी कोष में अनियमितता कर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का मामला सामने आया था. जिसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो और ईडी को सौंप दी गई थी. सीबीआई ने भागलपुर के पूर्व डीएम वीरेंद्र यादव को भी आरोपी बनाया है. जिसके खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दायर की गई है. वीरेंद्र यादव 2014 में भागलपुर के जिलाधिकारी थे. उसी दौरान सबसे ज्यादा पैसों की हेराफेरी हुई थी.

मामले का खुलासा 2017 के अगस्त महीने में तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने किया था. तब आदेश तितरमारे का चेक बैंक ने वापस कर दिया था. इसके पीछे बैंक ने तर्क दिया था कि खाते में पर्याप्त रकम नहीं है. इस बात पर जिलाधिकारी हैरान रह गए थे. फिर मामले की तह तक जाने के लिए उन्होंने एक जांच कमेटी बैठा दी थी. कमेटी ने जांच रिपोर्ट सौंपी तो बैंक ऑफ बड़ौदा के सरकारी खातों में पैसे नहीं होने की बात सच साबित हुई. जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट सहित अन्य जानकारी राज्य सरकार को दी. जिसके बाद परत दर परत सृजन घोटाले की सच्चाई लोगों के सामने आने लगी.

सृजन घोटाले के तीन मामलों में सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया, संचालिका रही मनोरमा देवी और उनके बेटे अमित कुमार समेत 44 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने सितंबर 2017 में पटना सिविल कोर्ट की विशेष न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी. इन तीनों मामले में जिन 44 लोगों को आरोपी बनाया गया. उनमें स्वयंसेवी संस्था की अध्यक्षा शुभ लक्ष्मी प्रसाद, मैनेजर सरिता झा, संयोजक मनोरमा के पुत्र अमित कुमार, बैंक ऑफ बरौदा के मुख्य प्रबंधक नैयर आलम, मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक दिलीप कुमार ठाकुर, डूडा के कार्यपालक अभियंता नागेंद्र भगत, रंजन कुमार समैयार और मनोज कुमार सहित अन्य लोग शामिल हैं.

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