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अब रास नहीं आता शहर, जूली के जाने के बाद लव गुरु मटुकनाथ ने दर्द में ढूंढ ली है अपनी खुशी, जानें किस हाल में हैं

Julie Matuknath Love Story: 19 साल पहले बिहार की एक प्रेम कहानी इतनी चर्चा में आई थी कि पूरे देश में तहलका मच गया था. प्रोफेसर मटुकनाथ और उनकी शिष्या जूली की प्रेम कहानी की चर्चा चारों तरफ थी. दोनों के उम्र में 30 साल का बड़ा अंतर था. साल 2014 में दोनों अलग हो गए. अब सवाल ये है कि जूली कहां हैं और मटुकनाथ क्या कर रहे हैं? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

फिर चर्चा में लव गुरु मटुकनाथ
फिर चर्चा में लव गुरु मटुकनाथ
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 13, 2023, 10:36 AM IST

Updated : Dec 13, 2023, 8:19 PM IST

देखें यह विशेष रिपोर्ट.

भागलपुर: बिहार के लव गुरु के नाम से चर्चित प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी और जूली अब अलग-अलग रहने लगे हैं. दोनों का प्रेम प्रसंग काफी चर्चा में रहा था. आपसी समझौते के साथ दोनों एक दूसरे से अलग हो गए थे. उसके बाद से दोनों की चर्चाएं भी थम गई. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अब दोनों कहां है, तो चलिए हम आपको बताते हैं.

एकांतवास में हैं लव गुरु मटुकनाथ: दरअसल पटना विश्वविद्यालय के चर्चित हिंदी के प्रोफेसर लव गुरु मटुकनाथ चौधरी इन दिनों अपने पैतृक गांव के पास कोरचक्का गांव में आजकल एकांतवास में हैं. जब ईटीवी भारत संवाददाता उनके पास पहुंचे तो उन्होंने अपने पूरे दिनचर्या और अपने जीवन को लेकर खुल कर चर्चा की.

प्रश्न: आजकल एकांत में क्यों हैं और क्या कर रहे हैं ?

उत्तर : मैं ओशो का संन्यासी बन कर वर्तमान में जीवन जीने की कोशिश कर रहा हूं. आजकल बच्चों के लिए 2022 ई. से ओशो इंटरनेशनल स्कूल खोला है. मुझे एकांत चाहिए और इसमें मुझे अच्छा लगता है परंतु लोगों को इसमें भी विपरीत चीजें दिखती हैं और गलत चर्चा करते हैं. एकांत मेरे खुद का चुनाव है, मुझमें हिमालय पर भी जाने के विचार आ रहे हैं. लोग इसमें भी गलत अर्थ निकलेंगे. कुछ मीडिया हाउस मेरे अकेलेपन को गलत अर्थ निकलते हैं.

लव गुरु मटुकनाथ ने दर्द में ढूंढ ली है अपनी खुशी
लव गुरु मटुकनाथ ने दर्द में ढूंढ ली है अपनी खुशी

प्रश्न: परिवार से अलग होने को क्या कहेंगे ?

उत्तर: मटुकनाथ ने कहा कि रोज कई लोगों का परिवार टूटता है. मैं अकेला नहीं हूं.आनंद से जुड़ा था. अब आनंद से अलग हो गया हूं.

प्रश्न : जूली को लेकर क्या कहेंगे उनसे क्यों अलग हुए, अभी वो कहा हैं ?

उत्तर : आपसी सहमति से अलग हुए जब जुड़े थे तो सुखद अनुभव हुआ था. अलग हुए तो सुखद अनुभव हुआ है. उनकी कुछ फोटोस वायरल हुए हैं. हमे भी जानकारी मिली है कि वो अभी वेस्टइंडीज में हैं.

प्रश्न : जुली की कभी याद आती है, अगर हां तो अनुभव कैसा रहता है ?

उत्तर: पहले तो मैं बता दूं कि यादें लोगों को डिप्रेशन में डाल देती है. ऐसे तो याद आती नही लेकिन कभी ऐसा वाकया या किसी मौके पर चर्चा होती है तो अवश्य याद आती है. मन आनंद से भर जाता है और मन भाव विभोर हो जाता है.

मैं ओशो का संन्यासी बन कर वर्तमान में जीवन जीने की कोशिश कर रहा- मटुकनाथ
मैं ओशो का संन्यासी बन कर वर्तमान में जीवन जीने की कोशिश कर रहा- मटुकनाथ

2015 में अलग रहने लगी जूली: प्रो. मटुकनाथ कहते हैं कि वर्ष 2004 से वे जूली के प्रेम में थे. वर्ष 2006 में प्रेम जगजाहिर हो गया. जिसके बाद वे जूली के साथ 2014 तक रहे. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि प्रेम आजादी देता है. उन्होंने भी जूली को पूरी आजादी दी. इस क्रम में जूली का झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया. जूली के साथ मेरा प्रेम वर्ष 2014 में ही समाप्त होने लगा था. वर्ष 2015 में वह अपनी इच्छा से चली गयी. मैंने रोका भी नहीं.

परिवार के लोग भी साथ नहीं : प्रो. मटुकनाथ चौधरी ने कहा कि उनके परिवार के लोग जैसे उनकी पत्नी, पुत्र भी उनके साथ नहीं रहते हैं. पुत्र विदेश में रहता है और काफी प्रतिष्ठित पद पर है. जबकि उनकी पहली पत्नी पटना में ही रहती है. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि पत्नी से जुड़ाव की संभावना वर्तमान समय में बनती नहीं दिख रही है. लेकिन वे अपने संपूर्ण जीवन से पूरी तरह से संतुष्ट हैं.

प्रोफेसर मटुकनाथ के विद्यालय की क्या है स्थिति?: प्रो. मटुकनाथ ने कहा कि अक्टूबर 2018 में उन्होंने अवकाश ग्रहण किया. 21 मार्च 2022 को उन्होंने स्कूल की शुरूआत की. प्रो मटुकनाथ कहते हैं कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है. इसलिए उन्होंने गांव आकर अपनी जमीन पर ओशो इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की.

बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं प्रोफेसर: शुरुआती समय में उनके विद्यालय में लगभग 50 छात्र - छात्राएं थे. वर्तमान में उनके विद्यालय में लगभग 40 छात्र छात्राएं बचे हैं. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि इन दिनों वे मेधा छात्रवृति योजना भी चला रहे हैं, जिसके तहत वे मेधावी बच्चों को पुरस्कार भी देंगे.वे अब गांव में एक बड़ी लाइब्रेरी भी खोल रहे हैं.

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एकांतवास में हैं लव गुरु मटुकनाथ: दरअसल पटना विश्वविद्यालय के चर्चित हिंदी के प्रोफेसर लव गुरु मटुकनाथ चौधरी इन दिनों अपने पैतृक गांव के पास कोरचक्का गांव में आजकल एकांतवास में हैं. जब ईटीवी भारत संवाददाता उनके पास पहुंचे तो उन्होंने अपने पूरे दिनचर्या और अपने जीवन को लेकर खुल कर चर्चा की.

प्रश्न: आजकल एकांत में क्यों हैं और क्या कर रहे हैं ?

उत्तर : मैं ओशो का संन्यासी बन कर वर्तमान में जीवन जीने की कोशिश कर रहा हूं. आजकल बच्चों के लिए 2022 ई. से ओशो इंटरनेशनल स्कूल खोला है. मुझे एकांत चाहिए और इसमें मुझे अच्छा लगता है परंतु लोगों को इसमें भी विपरीत चीजें दिखती हैं और गलत चर्चा करते हैं. एकांत मेरे खुद का चुनाव है, मुझमें हिमालय पर भी जाने के विचार आ रहे हैं. लोग इसमें भी गलत अर्थ निकलेंगे. कुछ मीडिया हाउस मेरे अकेलेपन को गलत अर्थ निकलते हैं.

लव गुरु मटुकनाथ ने दर्द में ढूंढ ली है अपनी खुशी
लव गुरु मटुकनाथ ने दर्द में ढूंढ ली है अपनी खुशी

प्रश्न: परिवार से अलग होने को क्या कहेंगे ?

उत्तर: मटुकनाथ ने कहा कि रोज कई लोगों का परिवार टूटता है. मैं अकेला नहीं हूं.आनंद से जुड़ा था. अब आनंद से अलग हो गया हूं.

प्रश्न : जूली को लेकर क्या कहेंगे उनसे क्यों अलग हुए, अभी वो कहा हैं ?

उत्तर : आपसी सहमति से अलग हुए जब जुड़े थे तो सुखद अनुभव हुआ था. अलग हुए तो सुखद अनुभव हुआ है. उनकी कुछ फोटोस वायरल हुए हैं. हमे भी जानकारी मिली है कि वो अभी वेस्टइंडीज में हैं.

प्रश्न : जुली की कभी याद आती है, अगर हां तो अनुभव कैसा रहता है ?

उत्तर: पहले तो मैं बता दूं कि यादें लोगों को डिप्रेशन में डाल देती है. ऐसे तो याद आती नही लेकिन कभी ऐसा वाकया या किसी मौके पर चर्चा होती है तो अवश्य याद आती है. मन आनंद से भर जाता है और मन भाव विभोर हो जाता है.

मैं ओशो का संन्यासी बन कर वर्तमान में जीवन जीने की कोशिश कर रहा- मटुकनाथ
मैं ओशो का संन्यासी बन कर वर्तमान में जीवन जीने की कोशिश कर रहा- मटुकनाथ

2015 में अलग रहने लगी जूली: प्रो. मटुकनाथ कहते हैं कि वर्ष 2004 से वे जूली के प्रेम में थे. वर्ष 2006 में प्रेम जगजाहिर हो गया. जिसके बाद वे जूली के साथ 2014 तक रहे. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि प्रेम आजादी देता है. उन्होंने भी जूली को पूरी आजादी दी. इस क्रम में जूली का झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया. जूली के साथ मेरा प्रेम वर्ष 2014 में ही समाप्त होने लगा था. वर्ष 2015 में वह अपनी इच्छा से चली गयी. मैंने रोका भी नहीं.

परिवार के लोग भी साथ नहीं : प्रो. मटुकनाथ चौधरी ने कहा कि उनके परिवार के लोग जैसे उनकी पत्नी, पुत्र भी उनके साथ नहीं रहते हैं. पुत्र विदेश में रहता है और काफी प्रतिष्ठित पद पर है. जबकि उनकी पहली पत्नी पटना में ही रहती है. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि पत्नी से जुड़ाव की संभावना वर्तमान समय में बनती नहीं दिख रही है. लेकिन वे अपने संपूर्ण जीवन से पूरी तरह से संतुष्ट हैं.

प्रोफेसर मटुकनाथ के विद्यालय की क्या है स्थिति?: प्रो. मटुकनाथ ने कहा कि अक्टूबर 2018 में उन्होंने अवकाश ग्रहण किया. 21 मार्च 2022 को उन्होंने स्कूल की शुरूआत की. प्रो मटुकनाथ कहते हैं कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है. इसलिए उन्होंने गांव आकर अपनी जमीन पर ओशो इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की.

बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं प्रोफेसर: शुरुआती समय में उनके विद्यालय में लगभग 50 छात्र - छात्राएं थे. वर्तमान में उनके विद्यालय में लगभग 40 छात्र छात्राएं बचे हैं. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि इन दिनों वे मेधा छात्रवृति योजना भी चला रहे हैं, जिसके तहत वे मेधावी बच्चों को पुरस्कार भी देंगे.वे अब गांव में एक बड़ी लाइब्रेरी भी खोल रहे हैं.

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Last Updated : Dec 13, 2023, 8:19 PM IST
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