भागलपुरः बिहार के भागलपुर नगर निगम में जंग (War in Municipal Corporation in Bhagalpur) छिड़ गई है. यह जंग मेयर वसुंधरा लाल और नगर आयुक्त योगेश सागर के बीच है. दोनों में अंदरूनी महासंग्राम शुरू हो गया है. इस जंग में भागलपुर की जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. एक तरफ नगर आयुक्त योगेश सागर अपने नियमों पर अड़े हैं तो दूसरी ओर भागलपुर की मेयर नगर आयुक्त से काफी खफा दिख रही हैं. इसको लेकर भागलपुर के मेयर डॉक्टर वसुंधरा लाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नगर आयुक्त के खिलाफ नाराजगी जताई.
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खुद से फैसले लेते हैं नगर आयुक्तः मेयर ने बताया कि नगर आयुक्त किसी भी फैसले को खुद लेते हैं. मेयर और उप मेयर या पार्षद को बताने की थोड़ी भी जरूरत नहीं समझते, जिसके चलते निगम में सिर्फ और सिर्फ घोटाले ही घोटाले हो रहे हैं. ना ही टेंडर लाने की बात मेरे से नगर आयुक्त ने किया और ना ही टेंडर समाप्त होने की बात कही. मेयर ने नगर आयुक्त पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत पूरे शहर में बारकोड के तहत मोबाइल से कूड़ा उठाने को लेकर एक योजना बनाई गई है. इसका टेंडर नगर आयुक्त ने बिना हमलोगों को जानकारी दिए खुद से कर लिए. यहां तक की कंपनी भी उन्होंने तय कर ली. बड़ा नुकसान के बारे में पता चला तो नगर आयुक्त ने उस टेंडर को फिर खारिज कर दिया.
पटना से ज्यादा भागलपुर का टेंडरः मेयर ने बताया कि कचरा उठाव के लिए बार कोर्ड योजना में बड़ा घोटाला सामने आया. पटना भागलपुर से बड़ा है, वहां का टेंडर 13.5 करोड़ था. भागलपुर का टेंडर 15 करोड़ रखा गया था. नगर आयुक्त खुद से यह फैसला लिए. इससे साफ था कि इसमें कोई गड़बड़ी है. टेंडर के लिए कंपनी को 2 से ढाई प्रतिशत राशि जमा करनी होती है, लेकिन इसमें मात्र 2 लाख रुपए ही जमा किया गया. इस तरह की मनमानी सामने आने के बाद नगर आयुक्त ने खुद टेंडर रद्द कर दिए.
मेयर को कोई जानकारी नहीं दी जातीः मुख्य रूप से हम लोगों को यह कहना है कि नगर आयुक्त अगर शहर की योजनाओं पर काम करते हैं तो हम लोगों को क्यों नहीं बताया जाता है. वार्ड पार्षद प्रीति शेखर ने भी कहा कि भागलपुर शहर में स्मार्ट सिटी के तहत काम हो रहे हैं. इसमें किसी भी तरह की जानकारी ना तो मुझे दी जाती है और ना ही किसी पार्षद को. अगर जनप्रतिनिधि नहीं देख पाएंगे तो फिर लोगों को जवाब कहां से दूंगी. इस दौरान मेयर डॉक्टर वसुंधरा लाल के अलावे डॉ प्रीति शेखर, संजय सिन्हा, नंदकेस नंदी, रंजीत कुमार, पंकज दास, अर्सदी बेगम व कई वार्ड के पार्षद उपस्थित थे.
"नगर निगम में कोई भी काम होता है तो मेयर और उप मेयर को इसकी जानकारी नहीं दी जाती है. नगर आयुक्त अपने मन से फैसला लेते हैं. कचरा उठाव को लेकर बार कोड वाली योजना में घोटाले की बात सामने आई. पटना से ज्यादा रुपए भागलपुर के टेंडर में रखा गया, जबकि पटना भागलपुर से बड़ा शहर है. नगर आयुक्त ने खुद टेंडर भी रद्द कर दिए. इस तरह से स्मार्ट सिटी का काम प्रभावित हो रहा है." -वसुंधरा लाल, मेयर, भागलपुर नगर निगम