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भागलपुर में मां के इलाज के लिए दर-दर भटक रहा है बेटा, वीडियो वायरल होने के बाद DM ने CS को दिया निर्देश - cancer patient

भागलपुर में कैंसर पीड़ित अपनी मां का इलाज कराने के लिए एक बेटा दर-दर भटक रहा है. स्थानीय लोगों ने इसका वीडियो बनाकर वायरल किया. जिसके बाद जिलाधिकारी ने महिला के इलाज के लिए सिविल सर्जन को निर्देश दिया है. पढ़िये पूरी खबर..

भागलपुर में मां की इलाज के लिये भटकता बेटा
भागलपुर में मां की इलाज के लिये भटकता बेटा
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Published : Aug 27, 2021, 10:57 AM IST

भागलपुर: बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के गोलाघाट ठाकुरबाड़ी के बाहर एक महिला अपने बेटे के साथ बीते पांच साल से रह रही है. महिला कैंसर (Cancer) से पीड़ित है. उसके पास न ही घर है और न ही कोई अपने रिश्तेदार. महिला अपने पति के मौत के बाद से बेटे के साथ रह रही है. महिला के बीमार होने के बाद आसपास के लोगों ने कुछ दिनों तक उसकी मदद की, लेकिन उसके बाद सब उसे भूल गये.

ये भी पढ़ें: 'तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट के सेवन से होते हैं कैंसर के 80% मामले, समय पर नहीं हुआ इलाज तो...'

मानसिक रूप से बीमार महिला के बेटे ने अपनी मां के इलाज के लिए कई लोगों के सामने हाथ फैलाया, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. अब उसकी मां जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. भागलपुर मायागंज अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर ने कैंसर बताकर उसे महावीर कैंसर संस्थान पटना रेफर कर दिया, लेकिन महिला के बेटे के पास पैसा नहीं है.

देखें ये वीडियो

लाचार बेटा अपनी मां की जिंदगी बचाने के लिए इधर-उधर भटक रहा है और लोगों से इलाज के लिए भीख मांग रहा है. उनके पास खाने के लिए अन्न भी नहीं है. कुछ दिन पहले स्थानीय लोगों ने उसका वीडियो बनाकर वायरल किया था. जो वीडियो भागलपुर जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन को मिली. इसके बाद जिलाधिकारी ने भागलपुर सिविल सर्जन को महिला के इलाज के लिए हर संभव कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

स्थानीय अमित आनंद ने बताया कि महिला बहुत गरीब है. इनके पास न रहने के लिए घर है और न ही खाने पीने के लिए पैसा. झोपड़ी है लेकिन तूफान आने पर यह भी टूट जाता है. उन्होंने कहा कि बीते 7-8 महीने से इनकी मां की तबीयत खराब है. महिला के बेटे ने जब मां को मायागंज अस्पताल में इलाज कराया तो डॉक्टरों ने कैंसर बताकर पटना रेफर कर दिया, लेकिन इन्हें देखने वाला कोई नहीं है.

अमित आनंद ने कहा कि पटना जाने के लिए भी इनके पास पैसा नहीं है. हम लोगों ने समय-समय पर भोजन और कपड़ा दिया है. जो भी मदद बनता है वो करते हैं. इनकी स्थिति को देखते हुए स्थानीय कुछ लड़कों ने वीडियो बनाकर वायरल किया था. जिसके बाद से एक सामाजिक संस्था यहां आकर खाने-पीने का सामान देकर गई है लेकिन अब इन्हें आर्थिक मदद की जरूरत है, ताकि इलाज हो सके.

बीमार महिला का बेटा जाद्दू मंडल बताया कि उसकी मां गंभीर हालत में है. मायागंज अस्पताल ने मां को भर्ती नहीं लिया. महिला के बेटे ने कहा कि हम चाहते हैं मेरी मां का इलाज घर में ही हो जाए. पटना जाने के लिए पैसा नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें कहीं से कोई मदद मिल जाए. ताकि हम अपनी मां का इलाज कर सकें.

इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि जिलाधिकारी से मैसेज मिलने के बाद हमारी कैंसर जांच टीम गई थी. विमला देवी की जांच की गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि किस तरह का कैंसर है. सिविल सर्जन ने कहा कि कैंसर का पता चलने पर हमलोग सरकारी सहायता पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि महिला की बेहतरी के लिए जो भी होगा वो किया जाएगा.

बता दें कि विमला देवी अमरपुर के अमखुरिया की रहने वाली है. उसके पति की गंभीर बीमारी से 20 वर्ष पहले मौत हो गयी थी. 5 वर्ष पहले रघु बाबू ठाकुरबाड़ी में नए कमेटी का गठन हुआ था. जिसके बाद विमला देवी को ठाकुरबाड़ी से बाहर कर दिया गया. ऐसे में महिला के पास रहने का कोई घर नहीं था, इसलिए वो ठाकुरबाड़ी के बाहर झोपड़ी बनाकर अपने मानसिक रूप से बीमार बेटे के साथ रहने लगी.

ये भी पढ़ें: पटनाः कैंसर से बचने के लिए समय पर कराएं इलाज

भागलपुर: बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के गोलाघाट ठाकुरबाड़ी के बाहर एक महिला अपने बेटे के साथ बीते पांच साल से रह रही है. महिला कैंसर (Cancer) से पीड़ित है. उसके पास न ही घर है और न ही कोई अपने रिश्तेदार. महिला अपने पति के मौत के बाद से बेटे के साथ रह रही है. महिला के बीमार होने के बाद आसपास के लोगों ने कुछ दिनों तक उसकी मदद की, लेकिन उसके बाद सब उसे भूल गये.

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मानसिक रूप से बीमार महिला के बेटे ने अपनी मां के इलाज के लिए कई लोगों के सामने हाथ फैलाया, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. अब उसकी मां जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. भागलपुर मायागंज अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर ने कैंसर बताकर उसे महावीर कैंसर संस्थान पटना रेफर कर दिया, लेकिन महिला के बेटे के पास पैसा नहीं है.

देखें ये वीडियो

लाचार बेटा अपनी मां की जिंदगी बचाने के लिए इधर-उधर भटक रहा है और लोगों से इलाज के लिए भीख मांग रहा है. उनके पास खाने के लिए अन्न भी नहीं है. कुछ दिन पहले स्थानीय लोगों ने उसका वीडियो बनाकर वायरल किया था. जो वीडियो भागलपुर जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन को मिली. इसके बाद जिलाधिकारी ने भागलपुर सिविल सर्जन को महिला के इलाज के लिए हर संभव कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

स्थानीय अमित आनंद ने बताया कि महिला बहुत गरीब है. इनके पास न रहने के लिए घर है और न ही खाने पीने के लिए पैसा. झोपड़ी है लेकिन तूफान आने पर यह भी टूट जाता है. उन्होंने कहा कि बीते 7-8 महीने से इनकी मां की तबीयत खराब है. महिला के बेटे ने जब मां को मायागंज अस्पताल में इलाज कराया तो डॉक्टरों ने कैंसर बताकर पटना रेफर कर दिया, लेकिन इन्हें देखने वाला कोई नहीं है.

अमित आनंद ने कहा कि पटना जाने के लिए भी इनके पास पैसा नहीं है. हम लोगों ने समय-समय पर भोजन और कपड़ा दिया है. जो भी मदद बनता है वो करते हैं. इनकी स्थिति को देखते हुए स्थानीय कुछ लड़कों ने वीडियो बनाकर वायरल किया था. जिसके बाद से एक सामाजिक संस्था यहां आकर खाने-पीने का सामान देकर गई है लेकिन अब इन्हें आर्थिक मदद की जरूरत है, ताकि इलाज हो सके.

बीमार महिला का बेटा जाद्दू मंडल बताया कि उसकी मां गंभीर हालत में है. मायागंज अस्पताल ने मां को भर्ती नहीं लिया. महिला के बेटे ने कहा कि हम चाहते हैं मेरी मां का इलाज घर में ही हो जाए. पटना जाने के लिए पैसा नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें कहीं से कोई मदद मिल जाए. ताकि हम अपनी मां का इलाज कर सकें.

इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि जिलाधिकारी से मैसेज मिलने के बाद हमारी कैंसर जांच टीम गई थी. विमला देवी की जांच की गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि किस तरह का कैंसर है. सिविल सर्जन ने कहा कि कैंसर का पता चलने पर हमलोग सरकारी सहायता पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि महिला की बेहतरी के लिए जो भी होगा वो किया जाएगा.

बता दें कि विमला देवी अमरपुर के अमखुरिया की रहने वाली है. उसके पति की गंभीर बीमारी से 20 वर्ष पहले मौत हो गयी थी. 5 वर्ष पहले रघु बाबू ठाकुरबाड़ी में नए कमेटी का गठन हुआ था. जिसके बाद विमला देवी को ठाकुरबाड़ी से बाहर कर दिया गया. ऐसे में महिला के पास रहने का कोई घर नहीं था, इसलिए वो ठाकुरबाड़ी के बाहर झोपड़ी बनाकर अपने मानसिक रूप से बीमार बेटे के साथ रहने लगी.

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