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भागलपुर: एक कमरे में होती है पहली से पांचवी कक्षा तक की पढा़ई, बच्चे हैं परेशान

एक रुम में पढ़ाई होने के कारण बच्चों को बहुत परेशानी होती है. बच्चे पढ़ाई ध्यान लगाकर नहीं कर पा रहे है

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Published : May 13, 2019, 2:55 PM IST

छात्रा

भागलपुर: सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावा कर रही हो. लेकिन, इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के गांवों में बच्चों को पढ़ने के लिए समुचित सुविधा नहीं मिल पा रही है.
नाथनगर प्रखंड अंतर्गत मुसहरी गांव में बच्चों को पढ़ने में काफी समस्या हो रही है. यहां के प्राथमिक विधालय में एक कमरों में ही पहली से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई हो रही है. साथ ही इस कक्षा में अन्य सामान भी रखे जाते हैं. जिससे पूरा रुम भर जाता है. विद्यालय की यह व्यवस्था शिक्षा विभाग की पोल खोल रही है.

एक रुम में पहली से पांचवीं तक की होती है पढ़ाई

बच्चों ने बताई समस्या
ईटीवी की टीम ने बच्चों से बात भी की. बच्चों के मुताबिक जब पांचवी क्लास की पढ़ाई होती है, तो उस दौरान उसे अपनी पढ़ाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस मामले में शिक्षकों से बात करने की कोशिश की. लेकिन, इस संबंध में शिक्षक कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं.

पदाधिकारी ने जवाब देने से किया इंकार
वरीय पदाधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन का हवला देते हुए बयान देने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि मतगणना के बाद कुछ भी करने में सक्षम हो पाएंगे.

भागलपुर: सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावा कर रही हो. लेकिन, इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के गांवों में बच्चों को पढ़ने के लिए समुचित सुविधा नहीं मिल पा रही है.
नाथनगर प्रखंड अंतर्गत मुसहरी गांव में बच्चों को पढ़ने में काफी समस्या हो रही है. यहां के प्राथमिक विधालय में एक कमरों में ही पहली से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई हो रही है. साथ ही इस कक्षा में अन्य सामान भी रखे जाते हैं. जिससे पूरा रुम भर जाता है. विद्यालय की यह व्यवस्था शिक्षा विभाग की पोल खोल रही है.

एक रुम में पहली से पांचवीं तक की होती है पढ़ाई

बच्चों ने बताई समस्या
ईटीवी की टीम ने बच्चों से बात भी की. बच्चों के मुताबिक जब पांचवी क्लास की पढ़ाई होती है, तो उस दौरान उसे अपनी पढ़ाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस मामले में शिक्षकों से बात करने की कोशिश की. लेकिन, इस संबंध में शिक्षक कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं.

पदाधिकारी ने जवाब देने से किया इंकार
वरीय पदाधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन का हवला देते हुए बयान देने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि मतगणना के बाद कुछ भी करने में सक्षम हो पाएंगे.

Intro:EK HI KAMRE ME HO RAHI HAI EK SE PANCHWI TAK KAKSHA KI PADHAYI BACHHON KO HO RAHI PARESHANI

भारत में जहां एक तरफ बुलेट ट्रेन चलाने के बाद की जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बिहार के छोटे से गांव में बच्चों को पढ़ने के लिए समुचित सुविधा भी मुहैया नहीं है भागलपुर के नाथनगर प्रखंड अंतर्गत मुसहरी गांव में एक ही कमरे में एक से पांचवीं तक की कक्षा चलाई जा रही है और सिर्फ इतना ही नहीं इसी कक्षा में सामान भी रखा जाता है आप सोच सकते हैं कि किस तरह से तबेले की तरह बच्चे की पढ़ाई करवाई जा रही है और किस तरह से अलग-अलग कक्षा के बच्चों को उनके कक्षा के अनुसार शिक्षा दी जा रही है बच्चे तो बच्चे होते हैं बच्चों को क्या पता कि उनके साथ क्या हो रहा है यह तो सरकार की जवाबदेही है कि वह बच्चों को समुचित सुविधा दें ताकि वह पढ़ लिख कर देश के भविष्य को उज्जवल कर सकें।


Body:जब बच्चों से पूछा गया तो एक ही कक्षा में सभी क्लास के बच्चे बैठे हुए थे और पढ़ाई कर रहे थे अगल बगल बैठे बच्चों से जब उनकी कक्षा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपनी कक्षा अलग-अलग बताया आप समझ सकते हैं ऐसी परिस्थिति में बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता कितनी बेहतर हो रही होगी । चाहे जितने भी विकास की बात करें वास्तविकता में बिहार का विकास एक सुदूर गांव के स्कूल में देखने को मिलता है कि कितना विकास हमारे देश पर हमारे राज्य ने किया है जिस जगह पर शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी ओवैसी जगहों पर आज बच्चे शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं भले वह सभी कक्षाओं के बच्चों के साथ में प पढ़ाई कर रहा हो बच्चे बिल्कुल सभी तरह की असमानताओं से बिल्कुल अलग और बिना भेदभाव के पढ़ाई कर रहे थे सरकार ने जो व्यवस्था महादलित टोले के इन बच्चों को दी है वह उनके लिए काफी है ।


Conclusion:इस मामले में जब वरीय पदाधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो आचार संहिता और मतगणना का हवाला देकर सीधे तौर पर उन्होंने पल्ला झाड़ लिया है उन्होंने कहा की मतगणना के बाद कुछ भी करने में सक्षम हो पाएंगे रामपुर के मुसहरी टोला विद्यालय में जहां एक तरफ एक ही कमरे में 1 से 5 तक की कक्षाएं चल रही है वहीं दूसरी तरफ पढ़ने वाले बच्चों के लिए सरकार की तरफ से मुक्त शिक्षण सामग्री के अलावा और कोई विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है बच्चों में अपने शिक्षा और भविष्य को लेकर काफी जागरुकता भी देखी गई बच्चे मध्यान भोजन भी ग्रहण कर रहे थे जिसके बाद सभी बच्चे अपनी कक्षा में पहुंच गए और अपने पढ़ाई में जुट गए। कुल मिलाकर अगर बात करें तो भले ही सरकार ने मदर डे के बच्चों को कोई खास व्यवस्था मुहैया नहीं कर पाई हो लेकिन बच्चों का लगन और जज्बा देखकर शिक्षा को लेकर जागरूकता जरूर दिखती है।
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