बेगूसराय: बुधवार को देश भर में नागपंचमी का त्योहार (Nagpanchami) मनाया गया. इस दिन हर जगह पर लोगों ने सांपों की पूजा की, लेकिन सबसे खास और अदभुत नजारा दिखा जिले के मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में. जहां हर साल की तरह इस बार भी सांपों का मेला (Snakes fair) लगा. यह मेला आसपास के लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र भी है.
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मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में आयोजित इस 'सांपों के मेले' में मौजूद लोग इन जहरीले सांपों से जरा भी नहीं डरते. ये लोग बड़े आराम से सांपों को पकड़ते हैं, उनके साथ खेलते हैं और अलग-अलग किस्म का करतब दिखाते हैं.
इस दौरान पोखर से भगतों (पुजारी) के द्वारा सैकड़ों सांपों को पोखर के पानी से निकाला जाता है. उसके बाद लोग इन विषैले सांपो को हाथों में लेकर प्रदर्शन करते हैं. सांपों को पकड़ने और उसके साथ खेलने की ये परंपरा यहां सालों पुरानी है. जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.
गांव के लोग बताते हैं कि 1981 में यहां भगवती स्थान की स्थापना की गई थी. जिसके बाद से गांव में अमन और शांति है. कभी भी कोई अनहोनी नहीं हुई. इसी दौरान नागपंचमी के दिन गांव के भगत के द्वारा सांप पकड़ने की परंपरा की शुरुआत भी हुई थी. धीरे-धीरे ये परम्परा आगे बढ़ती गई और बाद में ये इलाके का प्रसिद्ध स्थान भी बन गया.
बताया जाता है कि विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगत गांव में स्थित पोखर में आते हैं और पोखर से सैकड़ों विषैले सांपों को पोखर से निकालने का काम करते हैं. इस दौरान सांपों को हाथों में लेकर इस तरह की करतब दिखाते हैं, मानो वो सांप न हो बल्कि कोई खिलौना हो. इस करतब को देखने यहां दूर-दराज से लोग आते है.
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सांपों को पानी से निकालने और उसका करतब दिखाने के पीछे की सच्चाई क्या है, ये आज तक रहस्य बना हुआ है. वहीं धार्मिक आस्था से जुड़े लोग इसे ईश्वरीय वरदान मानते हैं. हालांकि स्थानीय लोग भी इतनी संख्या में पोखर से सांप मिलने के पीछे की वजह नहीं बता पाते हैं. बहरहाल नागपंचमी पर सांपों का ये करतब और उसके पीछे की असल वजह कौतूहल का विषय है.