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21 साल बाद डाली गई ग्रोथ सेंटर की नींव, मुआवजे की मांग कर रहे ग्रामीणों पर भांजी गईं लाठियां - Industrial hub

बेगूसराय के बरौनी में 21 साल बाद भी ग्रोथ सेंटर की जमीन पर इंड्रस्टियल हब नहीं बन पाया है. बिहार सरकार की ये योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई है. यही नहीं, किसानों को भी मुआवजा तक नहीं मिला है.

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Published : Aug 24, 2019, 12:13 AM IST

बेगूसराय: जिले में बियाडा की जमीन पर बन रही चाहरदिवारी के काम का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस और ठेकेदारों के गुंडों का जमकर कहर बरपा है. मामले में स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी जमीन पर जबरन घेराबंदी की जा रही है, जबकि इसका उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला. विरोध करने पर पुलिस ने उनके ऊपर लाठी चार्ज कर दिया.

मामला बरौनी इलाके में तकरीबन 400 एकड़ जमीन को बियाडा ने ग्रोथ सेंटर के लिए अधिग्रहण किया था. इसी जमीन पर चारदिवारी का काम किया जा रहा था. वहीं, मौके पर विरोध करने गए ग्रामीणों को पुलिस ने लाठीचार्ज कर खदेड़ लिया. इस लाठीचार्ज में बिहट निवासी नागेश्वर सिंह को गंभीर चोटे आईं हैं. लोगों का आरोप है कि इस जमीन के लिए हाइकोर्ट से स्टे लगा हुआ है. इसके बावजूद यहां चारदिवारी बनाई जा रही है.

जानकारी देते ग्रामीण

नहीं मिला मुआवजा, अधर में सरकारी योजना
बेगूसराय के बरौनी में 21 साल बाद भी ग्रोथ सेंटर की जमीन पर इंड्रस्टियल हब नहीं बन पाया है. बिहार सरकार की ये योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई है. यही नहीं, किसानों को भी पिछले 21 सालों से मुआवजे और दूसरी दिक्कतों के लिए कोर्ट और कचहरी का चक्कर लगाना पड़ा है. लगभग 400 एकड़ की इस जमीन पर अब सरकार का नींद खुली है, तो किसान भी मुआवजे के लिए मर मिटने को तैयार हैं.

इसलिए किया प्रदर्शन...
21 साल बाद जागे प्रशासन ने अपना काम करना तो शुरू कर दिया. लेकिन प्रशासनिक अमले ने किसानों के मुआवजे की भरपाई या उनके दर्द को नहीं समझा. लिहाजा, विरोध पर उतरे ग्रामीणों ने चल रहे चारदिवारी के काम को रोकना चाहा. इसके एवज में उन्हें लाठियां खानी पड़ी.

क्या है ग्रोथ सेंटर का उद्देश्य
वर्ष 1998 में बिहार सरकार ने बरौनी इलाके में हजारों किसानों की तकरीबन 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण ग्रोथ सेंटर के लिए किया. इसका उद्देश्य इस स्थान पर इंड्रस्टियल हब बनाना था. ऐसी जमीन उद्योगपतियों को दी जाती है और यहां इंडस्ट्री लगाया जाना था. रोजगार सृजन के साथ-साथ बिहार की तरक्की के लिए ये हब बनाना था. लेकिन सालों से ये योजना सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गई.

मामला कोर्ट में लंबित
जानकारी मुताबिक, इस मामले में तात्कालिक निर्देशक केके पाठक ने इस जमीन को लेकर नए विवाद को जन्म दे दिया. उन्होंने न सिर्फ 100 किसानों पर सर्टिफिकेट केस किया बल्कि किसानों को अपनी-अपनी जमीन वापस लेने के लिए कई गुना अधिक दाम लगाया. केके पाठक के इस निर्देश के बाद अधिकतर किसान जमीन लेने के चक्कर में कोर्ट की शरण में गए. फिलहाल, ग्रामीणों का कहना है कि पूरे मामले पर कोर्ट ने स्टे लगाया है.

बेगूसराय: जिले में बियाडा की जमीन पर बन रही चाहरदिवारी के काम का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस और ठेकेदारों के गुंडों का जमकर कहर बरपा है. मामले में स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी जमीन पर जबरन घेराबंदी की जा रही है, जबकि इसका उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला. विरोध करने पर पुलिस ने उनके ऊपर लाठी चार्ज कर दिया.

मामला बरौनी इलाके में तकरीबन 400 एकड़ जमीन को बियाडा ने ग्रोथ सेंटर के लिए अधिग्रहण किया था. इसी जमीन पर चारदिवारी का काम किया जा रहा था. वहीं, मौके पर विरोध करने गए ग्रामीणों को पुलिस ने लाठीचार्ज कर खदेड़ लिया. इस लाठीचार्ज में बिहट निवासी नागेश्वर सिंह को गंभीर चोटे आईं हैं. लोगों का आरोप है कि इस जमीन के लिए हाइकोर्ट से स्टे लगा हुआ है. इसके बावजूद यहां चारदिवारी बनाई जा रही है.

जानकारी देते ग्रामीण

नहीं मिला मुआवजा, अधर में सरकारी योजना
बेगूसराय के बरौनी में 21 साल बाद भी ग्रोथ सेंटर की जमीन पर इंड्रस्टियल हब नहीं बन पाया है. बिहार सरकार की ये योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई है. यही नहीं, किसानों को भी पिछले 21 सालों से मुआवजे और दूसरी दिक्कतों के लिए कोर्ट और कचहरी का चक्कर लगाना पड़ा है. लगभग 400 एकड़ की इस जमीन पर अब सरकार का नींद खुली है, तो किसान भी मुआवजे के लिए मर मिटने को तैयार हैं.

इसलिए किया प्रदर्शन...
21 साल बाद जागे प्रशासन ने अपना काम करना तो शुरू कर दिया. लेकिन प्रशासनिक अमले ने किसानों के मुआवजे की भरपाई या उनके दर्द को नहीं समझा. लिहाजा, विरोध पर उतरे ग्रामीणों ने चल रहे चारदिवारी के काम को रोकना चाहा. इसके एवज में उन्हें लाठियां खानी पड़ी.

क्या है ग्रोथ सेंटर का उद्देश्य
वर्ष 1998 में बिहार सरकार ने बरौनी इलाके में हजारों किसानों की तकरीबन 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण ग्रोथ सेंटर के लिए किया. इसका उद्देश्य इस स्थान पर इंड्रस्टियल हब बनाना था. ऐसी जमीन उद्योगपतियों को दी जाती है और यहां इंडस्ट्री लगाया जाना था. रोजगार सृजन के साथ-साथ बिहार की तरक्की के लिए ये हब बनाना था. लेकिन सालों से ये योजना सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गई.

मामला कोर्ट में लंबित
जानकारी मुताबिक, इस मामले में तात्कालिक निर्देशक केके पाठक ने इस जमीन को लेकर नए विवाद को जन्म दे दिया. उन्होंने न सिर्फ 100 किसानों पर सर्टिफिकेट केस किया बल्कि किसानों को अपनी-अपनी जमीन वापस लेने के लिए कई गुना अधिक दाम लगाया. केके पाठक के इस निर्देश के बाद अधिकतर किसान जमीन लेने के चक्कर में कोर्ट की शरण में गए. फिलहाल, ग्रामीणों का कहना है कि पूरे मामले पर कोर्ट ने स्टे लगाया है.

Intro:बेगुसराय में बियाडा की जमीन पर चारदिवारी का काम का बिरोध कर रहे लोगो पर आज पुलिस और ठीकेदार के गुंडों का कहर टूटा । इस मामले में लोगो का आरोप है कि बियाडा की द्वारा जबरन जमीन की घेराबंदी की जा रही है जबकि कई लोगो को मुआबजा नही दिया गया है । लोगो का मानना है इस मामले में हाइकोर्ट से स्टे लगा हुआ है । बाबजूद इसके प्रशासन की ओर से जमीन है चारदीवारी का काम किया जा रहा है ।इसी का बिरोध करने पहुंचे लोगो पर पुलिस और प्रशासन द्वारा लाठी चार्ज किया गया । जिसमें बिहट निवासी नागेश्वर सिंह को गंभीर चोटे आई है । जिन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।Body:बेगुसराय के बरौनी इलाके में तकरीबन 400 एकड़ की जमीन को बियाडा ने ग्रोथ सेंटर के लिए अधिग्रहण किया था । पर मुआबजे के रूप में कई लोगो को राशि सरकार द्वारा नही दिया गया और जिन लोगो को दिया गया वो भी लोगो के हिसाब से सही नही था । हजारों किसानों की इस जमीन पर लोग पिछले कुछ बर्षो से कोर्ट में मुकदमा कर रखा था । इसी दरम्यान आज जब चारदीवारी का निर्माण का लोग बिरोध करने लगे तो पुलिस और ठीकेदार के लोगो द्वारा पिटाई का आरोप लगा रहे है । फिलहाल नागेश्वर सिंह के सर पर गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज सदर अस्पताल बेगूसराय में चल रहा है । इस घटना से इलाके में लोगो का गुस्सा देखा जा रहा है ।
बाइट - स्थानिये किसानConclusion:
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