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बेगूसरायः पुरानी माता मंदिर में होती है श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी, नवरात्री में विशेष पूजा - द्धालुओं के आस्था का केंद्र है पुरानी माता मंदिर

श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में सालों भर माता की पूजा अर्चना धूमधाम से होती है. लेकिन नवरात्र के अवसर पर यहां दसों दिन वृहत पूजा का आयोजन किया जाता है.

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Published : Oct 3, 2019, 11:47 PM IST

बेगूसरायः जिला मुख्यालय के विष्णुपुर मोहल्ले में स्थापित पुरानी माता का मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. लोगों के अनुसार जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां मन्नत मांगते हैं, माता उनकी सभी मुरादें पूरी करती है. वर्ष 1902 में स्थापित पुरानी दुर्गा माता मंदिर अपने 100 साल से भी ज्यादा के इतिहास और माता की शक्ति के लिए बिहार में विख्यात हैं.

gusarai
पूजा-अर्चना करती महिलाएं

श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है पुरानी माता मंदिर
स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में सालों भर माता की पूजा अर्चना धूमधाम से होती है. लेकिन नवरात्र के अवसर पर यहां दसों दिन वृहत पूजा का आयोजन किया जाता है. खास करके सप्तमी तिथि से लेकर दशमी तिथि तक, यहां काफी भक्तिमय माहौल रहता है और इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने आते है.

पुरानी माता मंदिर में होती है लाखों श्रद्धालुओं की मन्नते पूरी

पुरानी माता मंदिर का नवरात्र में विशेष महत्व
Etv भारत की टीम ने इस मंदिर के महत्व को जानने और दर्शकों तक पहुंचाने के लिए मंदिर पर स्थानीय श्रद्धालुओं और मंदिर के सेवक और मेला कमेटी के अध्यक्ष से बात की. सभी का यही कहना था कि यहां की माता काफी शक्तिशाली है. वैसे तो शक्तिपीठों की अधिकृत लिस्ट में इस मंदिर का नाम नहीं है. लेकिन यह मंदिर शक्तिपीठ से कम भी नहीं है क्योंकि जो भी भक्त मुसीबत में होते हैं या जो भी मुराद लेकर माता के दर पर पहुंचते हैं. माता सबकी मुरादें पूरी करती है. यही वजह है कि यहां के जो भी लोग बाहर रोजगार के सिलसिले में गए होते है नवरात्र में आकर मां की पूजा अर्चना जरूर करते है.

बेगूसरायः जिला मुख्यालय के विष्णुपुर मोहल्ले में स्थापित पुरानी माता का मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. लोगों के अनुसार जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां मन्नत मांगते हैं, माता उनकी सभी मुरादें पूरी करती है. वर्ष 1902 में स्थापित पुरानी दुर्गा माता मंदिर अपने 100 साल से भी ज्यादा के इतिहास और माता की शक्ति के लिए बिहार में विख्यात हैं.

gusarai
पूजा-अर्चना करती महिलाएं

श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है पुरानी माता मंदिर
स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में सालों भर माता की पूजा अर्चना धूमधाम से होती है. लेकिन नवरात्र के अवसर पर यहां दसों दिन वृहत पूजा का आयोजन किया जाता है. खास करके सप्तमी तिथि से लेकर दशमी तिथि तक, यहां काफी भक्तिमय माहौल रहता है और इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने आते है.

पुरानी माता मंदिर में होती है लाखों श्रद्धालुओं की मन्नते पूरी

पुरानी माता मंदिर का नवरात्र में विशेष महत्व
Etv भारत की टीम ने इस मंदिर के महत्व को जानने और दर्शकों तक पहुंचाने के लिए मंदिर पर स्थानीय श्रद्धालुओं और मंदिर के सेवक और मेला कमेटी के अध्यक्ष से बात की. सभी का यही कहना था कि यहां की माता काफी शक्तिशाली है. वैसे तो शक्तिपीठों की अधिकृत लिस्ट में इस मंदिर का नाम नहीं है. लेकिन यह मंदिर शक्तिपीठ से कम भी नहीं है क्योंकि जो भी भक्त मुसीबत में होते हैं या जो भी मुराद लेकर माता के दर पर पहुंचते हैं. माता सबकी मुरादें पूरी करती है. यही वजह है कि यहां के जो भी लोग बाहर रोजगार के सिलसिले में गए होते है नवरात्र में आकर मां की पूजा अर्चना जरूर करते है.

Intro:एंकर- जिला मुख्यालय के विष्णुपुर मोहल्ले में स्थापित पुरानी माता का मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। लोगों के अनुसार जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां मनोकामना करते हैं माता उनकी सभी मुरादें पूरी करती है।


Body:vo- वर्ष 1902 में स्थापित पुरानी माता दुर्गा मंदिर अपने 100 साल से भी ज्यादा के इतिहास और माता की शक्ति के लिए बिहार में विख्यात है। स्थानीय श्रद्धालुओं के मुताबिक मंदिर में सालों भर माता की पूजा अर्चना धूमधाम से होती है लेकिन नवरात्र के अवसर पर यहां दसों दिन वृहत पूजा का आयोजन किया जाता है। खास करके सप्तमी तिथि से लेकर दशमी तिथि तक यहां काफी भक्तिमय माहौल रहता है और इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां माथा टेकने और महिलाएं संध्या आरती में शामिल होती है ।
ईटीवी भारत की टीम ने इस मंदिर के महत्व को जानने और दर्शकों तक पहुचने के लिए मंदिर पर स्थानीय श्रद्धालुओं और मंदिर के सेवक और मेला कमेटी के अध्यक्ष से बात की। सभी का एक मत से यही कहना था कि यहां की माता काफी शक्तिशाली है। वैसे तो शक्तिपीठों की अधिकृत लिस्ट में इस मंदिर का नाम नहीं है लेकिन यह मंदिर शक्तिपीठ से कम भी नहीं है क्योंकि जो भी भक्त मुसीबत में होते हैं या जो भी मुराद लेकर माता के दर पर पहुंचते हैं माता सबकी मुरादें पूरी करती है ,यही वजह है कि यहां के लोग जो बाहर रोजगार के सिलसिले में प्रदेश से बाहर भी गए होते हैं नवरात्र में आकर मां की पूजा अर्चना करते हैं ।
इतना ही नहीं महिलाओं में खास तौर पर इस मंदिर के प्रति खासा आकर्षण है जिस वजह से संध्या आरती में यहां हजारों की संख्या में महिलाएं शामिल होती है जिससे यहां का माहौल भक्तिमय हो जाता है।
वन टू वन विथ अशोक मंडल, श्रद्धालु
" गणेश महतो,सेवक
बाइट- विश्वनाथ दास,अध्यक्ष मेला कमिटी


Conclusion:fvo इतना तय है कि जिस तरीके से हजारों श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है कहीं ना कहीं माता की शक्ति का एहसास कराती है ।खास करके नवरात्र के अवसर पर यहां भक्ति मय माहौल के बीच एक ही ध्वनि सुनाई पड़ती है ।
जय माता दी
जय माता दी
जय माता दी
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