बेगूसराय: AES मामले में स्वास्थ्य विभाग मासूम बच्चों की मौत से फजीहत झेल रहा है. दूसरी तरफ बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. अक्सर खबरों में यह सुनने को मिलता है कि सरकारी अस्पताल में दवाइयों की कमी है. लेकिन वैसे अस्पताल और स्वास्थ्यकर्मी के बारे में आप क्या कहेंगे जिनकी गलती के कारण लाखों की दवाइयां बर्बाद हो गईं. बेगूसराय जिले के वीरपुर प्रखंड में 2021-2022 तक वैधता वाली दवा खेत में फेंकी मिली है.
रेटिंग में टॉप-5 अस्पताल में शुमार
जिले के वीरपुर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवानंदपुर का यह मामला स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का नमूना है. जहां लाखों रुपए की दवा को खेतों में फेंक दिया गया. खास बात यह है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की रेटिंग में टॉप 5 जिलों में बेगूसराय जिला शामिल है. एक तरफ जरूरतमंद दवाइयों के कमी से मर रहा है, वहीं दूसरी ओर विभाग की लापरवाही के कारण लाखों की दवाइयां खेतों में फेंकी हुई हैं, जो सरकारी सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है.
'दोषियों पर हो ठोस कार्रवाई'
विभागीय प्रावधानों के अनुरूप प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र में एक्सपायरी दवाओं को लाल कपड़े में लपेटकर सदर अस्पताल को लौटाना होता है. यहां जो दवाएं फेंकी गई हैं, उसमें ज्यादातर दवाइयों का एक्सपायरी की वैधता वर्ष 2021-2022 तक है. दवाओं के फेंके जाने से स्थानीय लोग काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि जब भी हम दवा लेने अस्पताल जाते हैं तो दवा नहीं है कह कर लौटा दिया जाता है. आज लाखों की दवाईयां खेत में है, तो इसका जवाब कौन देगा? इस प्रकरण में दोषी लोगों पर प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.
'नहीं बख्शे जाएंगे जिम्मेदार'
एसडीएम, संजीव चौधरी ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है. उनका कहना है कि यह एक गंभीर मामला है. जांच के बाद इसके लिए जिम्मेदार को बख्शा नहीं जाएगा. वैध दवाओं की इस तरह बर्बादी को देखकर प्रशासनिक अधिकारी भी अचरज में है.