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बेगूसराय: मरीजों को दवा मयस्सर नहीं, अस्पताल वाले खेतों में फेंक देते हैं MEDICINE

वीरपुर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवानंदपुर के स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. लाखों की वैध दवा यहां खेतों में मिली है. जिससे लोगों में गुस्सा है. एक तरफ जरूरतमंद दवाओं की कमी के कारण मर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की ऐसी करतूत उजागर हुई है.

वीरपुर प्रखंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
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Published : Jul 5, 2019, 11:03 PM IST

बेगूसराय: AES मामले में स्वास्थ्य विभाग मासूम बच्चों की मौत से फजीहत झेल रहा है. दूसरी तरफ बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. अक्सर खबरों में यह सुनने को मिलता है कि सरकारी अस्पताल में दवाइयों की कमी है. लेकिन वैसे अस्पताल और स्वास्थ्यकर्मी के बारे में आप क्या कहेंगे जिनकी गलती के कारण लाखों की दवाइयां बर्बाद हो गईं. बेगूसराय जिले के वीरपुर प्रखंड में 2021-2022 तक वैधता वाली दवा खेत में फेंकी मिली है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवानंदपुर

रेटिंग में टॉप-5 अस्पताल में शुमार
जिले के वीरपुर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवानंदपुर का यह मामला स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का नमूना है. जहां लाखों रुपए की दवा को खेतों में फेंक दिया गया. खास बात यह है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की रेटिंग में टॉप 5 जिलों में बेगूसराय जिला शामिल है. एक तरफ जरूरतमंद दवाइयों के कमी से मर रहा है, वहीं दूसरी ओर विभाग की लापरवाही के कारण लाखों की दवाइयां खेतों में फेंकी हुई हैं, जो सरकारी सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है.

begusarai
खेत में फेकी दवाईयां

'दोषियों पर हो ठोस कार्रवाई'
विभागीय प्रावधानों के अनुरूप प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र में एक्सपायरी दवाओं को लाल कपड़े में लपेटकर सदर अस्पताल को लौटाना होता है. यहां जो दवाएं फेंकी गई हैं, उसमें ज्यादातर दवाइयों का एक्सपायरी की वैधता वर्ष 2021-2022 तक है. दवाओं के फेंके जाने से स्थानीय लोग काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि जब भी हम दवा लेने अस्पताल जाते हैं तो दवा नहीं है कह कर लौटा दिया जाता है. आज लाखों की दवाईयां खेत में है, तो इसका जवाब कौन देगा? इस प्रकरण में दोषी लोगों पर प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.
'नहीं बख्शे जाएंगे जिम्मेदार'
एसडीएम, संजीव चौधरी ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है. उनका कहना है कि यह एक गंभीर मामला है. जांच के बाद इसके लिए जिम्मेदार को बख्शा नहीं जाएगा. वैध दवाओं की इस तरह बर्बादी को देखकर प्रशासनिक अधिकारी भी अचरज में है.

बेगूसराय: AES मामले में स्वास्थ्य विभाग मासूम बच्चों की मौत से फजीहत झेल रहा है. दूसरी तरफ बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. अक्सर खबरों में यह सुनने को मिलता है कि सरकारी अस्पताल में दवाइयों की कमी है. लेकिन वैसे अस्पताल और स्वास्थ्यकर्मी के बारे में आप क्या कहेंगे जिनकी गलती के कारण लाखों की दवाइयां बर्बाद हो गईं. बेगूसराय जिले के वीरपुर प्रखंड में 2021-2022 तक वैधता वाली दवा खेत में फेंकी मिली है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवानंदपुर

रेटिंग में टॉप-5 अस्पताल में शुमार
जिले के वीरपुर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवानंदपुर का यह मामला स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का नमूना है. जहां लाखों रुपए की दवा को खेतों में फेंक दिया गया. खास बात यह है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की रेटिंग में टॉप 5 जिलों में बेगूसराय जिला शामिल है. एक तरफ जरूरतमंद दवाइयों के कमी से मर रहा है, वहीं दूसरी ओर विभाग की लापरवाही के कारण लाखों की दवाइयां खेतों में फेंकी हुई हैं, जो सरकारी सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है.

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खेत में फेकी दवाईयां

'दोषियों पर हो ठोस कार्रवाई'
विभागीय प्रावधानों के अनुरूप प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र में एक्सपायरी दवाओं को लाल कपड़े में लपेटकर सदर अस्पताल को लौटाना होता है. यहां जो दवाएं फेंकी गई हैं, उसमें ज्यादातर दवाइयों का एक्सपायरी की वैधता वर्ष 2021-2022 तक है. दवाओं के फेंके जाने से स्थानीय लोग काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि जब भी हम दवा लेने अस्पताल जाते हैं तो दवा नहीं है कह कर लौटा दिया जाता है. आज लाखों की दवाईयां खेत में है, तो इसका जवाब कौन देगा? इस प्रकरण में दोषी लोगों पर प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.
'नहीं बख्शे जाएंगे जिम्मेदार'
एसडीएम, संजीव चौधरी ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है. उनका कहना है कि यह एक गंभीर मामला है. जांच के बाद इसके लिए जिम्मेदार को बख्शा नहीं जाएगा. वैध दवाओं की इस तरह बर्बादी को देखकर प्रशासनिक अधिकारी भी अचरज में है.

Intro:एंकर-AES मामले में मासूम बच्चों की मौत से फजीहत झेल रहा स्वास्थ्य विभाग और बिहार सरकार का सिस्टम है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।अक्सर आप खबरों में यह जरूर देखते होंगे की सरकारी अस्पताल में महत्वपूर्ण दवाइयों का घोर अभाव है लेकिन वैसे अस्पताल और स्वास्थ्य कर्मी के बारे में आप क्या कहेंगे जिनकी करतूत की वजह से लाखों रुपए मूल्य की दवाइयां बर्बाद की जा रही है।


Body:vo- जिले के वीरपुर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवानंद पुर का यह मामला स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का बड़ा नमूना है, जहां लाखों रुपए मूल्य की दवाई को खेत में फेंक दिया गया है, जिसके बाद आक्रोशित ग्रामीण हंगामे पर उतारू हैं और हर हाल में दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। खास बात यह है कि प्रदेश की स्वास्थ्य ब्यवस्था की रेटिंग में टॉप 5 जिलों में शुमार बेगूसराय जिले की जमीनी हकीकत यही है। एक तरफ गरीब और जरूरतमंद दवाइयों के लिए त्राहिमाम में है वहीं दूसरी ओर विभाग के कर्मी अपनी लापरवाही के कारण लाखों रुपए मूल्य की दबा को बर्बाद कर सिस्टम को मुंह चिढ़ाने में लगे हैं। विभागीय प्रावधानों के अनुरूप प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र में एक्सपायरी दवाओं को लाल कपड़े में लपेटकर सदर अस्पताल को लौटाना होता है लेकिन यहां जो दवाएं फेंकी गई हैं उसमें ज्यादातर दवाइयां ऐसी हैं जो एक्सपायर नहीं है और वर्ष 20 21 और 20 22 तक की वैधता है। ऐसे में स्थानीय अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग यह दावा भी नहीं कर सकता की एक्सपायरी दवाई थी तो फेंक दी गई क्योंकि एक्सपायरी दबाओं के लिए जो प्रावधान है वह हम आपको बता चुके हैं ।दवाओं के फेंके जाने से स्थानीय लोग काफी आक्रोशित हैं उनका कहना है कि जब भी हम दवा लेने अस्पताल आते हैं तो हमें यह कह कर लौटा दिया जाता है कि अस्पताल में यह दबा नहीं है ,लेकिन अब जबकि लाखों की दवाई फेंक दी गई है तो इसका जवाब देह कौन है, जो भी इस प्रकरण में दोषी हैं उस पर प्रशासन ठोस कार्रवाई करें ।
बाइट बबलू सिंह स्थानीय
vo- लाखो रुपये मूल्य की वैध दवाओं के बरबाद किये जाने के मामले से प्रशासनिक अधिकारी भी अचरज में है और दावा कर रहे हैं कि मामला गंभीर है इसलिए जांच कर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
बाइट-संजीव चौधरी,एसडीएम बेगूसराय


Conclusion:fvo-बिहार के बीमार स्वास्थ्य विभाग के कर्मियो की करतूत से न सिर्फ प्रशासन और सरकार की फजीहत हो रही है बल्कि गरीब मरीजों का सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रति भड़ोसा भी खत्म होता जा रहा है।
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