बेगूसराय:भारत में चुनाव के दौरान बूथ लूट की घटनाओं के बारे में तो आपने सुना ही होगा. लेकिन आज हम आपको बिहार के ऐसे जगह के बारे में बताते हैं जहां पहली बार बूथ लूट की घटना को अंजाम दिया गया.
घटना के बाद से सुरक्षा के होने लगे कड़े इंतजाम
आपको ये जानकर कर आश्चर्य होगा कि भारत में चुनाव के दौरान बूथ लूट की पहली वारदात बेगूसराय जिले में हुई थी. मटिहानी विधानसभा क्षेत्र के रचियाही गांव में इस घटना को अंजाम दिया गया था. इसके बाद से बूथ लूट को रोकने के लिए चुनाव आयोग और प्रशासन के द्वारा वल्यापक सुरक्षा के इंतजाम किए जाने लगे.
कांग्रेस और कम्युनिस्ट प्रत्याशियों में थी कड़ी टक्कर
बेगूसराय जिले की छवि अपराधियों और दबंगों के चलते आजादी के बाद से ही बनती बिगड़ती रही. चाहे जेल ब्रेक कांड हो या बूथ लूट कांड आजाद भारत में बेगूसराय जिले में ही इस तरह की बड़ी घटना को बंदूक की नोंक पर अंजाम दिया गया. वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव की जिले के मटिहानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार सरयू प्रसाद सिंह और कम्युनिस्ट पार्टी के चंद्रशेखर प्रसाद सिंह के बीच भीषण टक्कर थी. इसी चुनाव के दौरान बूथ लूट की घटना को अंजाम दिया गया. घटना के पीछे की कहानी काफी चिलचस्प है.
कांग्रेस नेता पर बूथ लूट का आरोप
जैसा कि सर्वविदित है कि बेगूसराय जिले को हाल के दशकों तक कम्युनिस्टों के वोट बैंक के हिसाब से 'मिनी मास्को' कहा जाता रहा है. उस दौर में मटिहानी विधानसभा इलाके का रचियाही गांव भी कम्युनिस्ट पार्टी के वोट बैंक के हिसाब से उसका अभेद किला माना जाता था. वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता सरयू प्रसाद सिंह ये एहसास हो गया कि जब तक इस बूथ पर वोट को प्रभावित नहीं किया जाय या इसे लूटा नहीं जाए तब तक कम्युनिस्ट पार्टी से पार पाना मुश्किल है. इसी सोच के साथ कांग्रेस के सरयू प्रसाद सिंह के गुर्गों और समर्थकों ने हथियार और लाठी-भाले के जरिये बूथ को लूट लिया.
घटना के बाद विजयी हुए कांग्रेस प्रत्याशी
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ. बूथ लूट के बाद परिणाम भी जारी किए गए. नतीजा कांग्रेस के पक्ष में गया. कांग्रेस के उम्मीदवार सरयू प्रसाद सिंह को चुनाव में जीत मिली और वह विधायक बन गए. इस घटना को बेगूसराय के काले इतिहास के रूप में याद किया जाता है. बूथ लूट की इस घटना के बाद से पूरे देश में रचियाही बूथ लूट कांड की देखा देखी ताबड़तोड़ बूथ लूट की घटना शुरू हो गई. लंबे समय बाद इस पर पाबंदी लगाई जा सकी.
आज भी व्यथित हैं गांव के लोग
आज भी उस घटना से रचियाही गांव के लोग काफी व्यथित हैं. उनका मानना है बूथ लूट की वारदात ने पूरे देश में गांव को बदनाम कर रखा है. जब भी चुनाव आता है तो प्रशासन और मीडिया के लोग यह झांकने आते हैं कि क्या यही रचियाही बूथ है जहां देश की प्रथम बूथ लूट की वारदात हुई थी. स्थानीय ग्रामीण बताते हैं की अगर उस समय चुनाव निष्पक्ष संपन्न होता तो कम्युनिस्ट की जीत होती लेकिन कांग्रेस के दबंगों द्वारा बूथ को लूट कर मतदान के परिणाम को अपने पक्ष में किया गया था.