बेगूसराय: इंडिया गठबंधन के नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए गए बयान के खिलाफ बेगूसराय कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है. यह परिवाद बेगूसराय कोर्ट में अधिवक्ता और मुंगेर भाजपा के संगठन प्रभारी अमरेंद्र कुमार अमर ने दायर की है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश दंडाधिकारी की कोर्ट में उन्होंने परिवाद दायर किया है.
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उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ बेगूसराय कोर्ट में शिकायत : परिवाद में अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि उदयनिधि के सनातन धर्म को लेकर दिए गए विवादित बयान के कारण पूरे देश के हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंची है, जिससे वो आहात है. बताते चलें कि पिछले दिनों तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और मंत्री उदयनिधि ने सनातन धर्म को खत्म करने की बात कहते हुए इसकी तुलना मलेरिया, डेंगू, कोरोना जैसी बीमारी से की थी.
सनातन विरोधी बयान पर नहीं थम रहा बवाल : मंत्री ने कहा था कि इसे नष्ट कर देना चाहिए. तमिलनाडु में आयोजित एक कार्यक्रम मे कहे गये इस बयान के बाद देश की राजनीति गर्म हो गई थी और लगातार भाजपा के नेताओं के द्वारा स्टालिन की बयान पर अपना विरोध दर्ज कराया गया. इसी सिलसिले में भाजपा नेता और अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर के इस उनके इस बयान से आहत होकर बेगूसराय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ परिवाद पत्र दायर किया है.
"पिछले दिनों तमिलनाडु के मंत्री उदय निधि स्टालिन सनातन धर्म के संबंध में इसे डेंगू और मलेरिया करते हुए नष्ट करने की बात कही थी. उनके इस बयान से मैं आहत हूं. इसके खिलाफ हमने मुख्य न्यायाधीश दंडाधिकारी के अदालत में एक परिवार पत्र दायर किया है. साथ ही हमने कोर्ट से उनके खिलाफ सम्मन जारी करने का निवेदन किया है. कोर्ट ने चेहल्लुम के बाद कोर्ट खुलने पर इस पर संज्ञान लेने की बात कही है."- अमरेंद्र कुमार अमर, अधिवक्ता सह भाजपा नेता
अधिवक्ता ने लालू और नीतीश को घेरा: अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर ने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेताओं के द्वारा लगातार हिंदू विरोधी बयान और हिन्दू और सनातन को अपमानित करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ बिहार में नीतीश और लालू की सरकार ने हिंदुओं को अपमानित करने के लिए छुट्टियों में कटौती की. वहीं दूसरी तरफ तमिलनायडु के मंत्री ने सनातन को डेंगू और मलेरिया का घर बताकर इसके उन्मूलन की बात कही. बता दें कि अमरेंद्र अमर ने इस परिवार पत्र में सनातन हिन्दू धर्म के अपमान करने और समाज में वैमनष्यता फैलाने को लेकर कोर्ट से इस पर संज्ञान लेने का निवेदन किया है.